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Tejpratap Anushka Yadav Love: तेजप्रताप ने तो केवल इजहार-ए-प्यार किया था, लालू यादव ने उसे 'शर्मिंदगी' का विषय क्यों बनाया?

Tejashwi Yadav Vs Tej Pratap Yadav: तेज प्रताप यादव के राजद और परिवार से निष्कासन में किसका फायदा है? 18 जनवरी, 2025 को तेजस्वी यादव को लालू यादव की तरह पार्टी के लिए सभी फैसले लेने को अधिकृत कर दिया गया था. अब सोचिए, किसने तेज प्रताप यादव को किनारे करने का काम किया? सवाल तो यह भी उठता है कि क्या तेजस्वी यादव की सभी बातें मानने को लालू यादव बाध्य हो चुके हैं?

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Tejpratap Anushka Yadav Love: तेजप्रताप ने तो केवल इजहार-ए-प्यार किया था, लालू यादव ने उसे 'शर्मिंदगी' का विषय क्यों बनाया?
Tejpratap Anushka Yadav Love: तेजप्रताप ने तो केवल इजहार-ए-प्यार किया था, लालू यादव ने उसे 'शर्मिंदगी' का विषय क्यों बनाया?
Sunil MIshra|Updated: May 26, 2025, 01:34 PM IST
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Tejpratap Anushka Yadav Love: कहते हैं प्यार करने की कोई उम्र नहीं होती, कोई समय नहीं होता, यह हो जाता है. तमाम बॉलीवुड गाने भी इसकी दुहाई देते हैं. तेजप्रताप यादव ने भी यही किया, बल्कि उनकी मानें तो वे पिछले 12 साल से अनुष्का यादव के साथ रिलेशनशिप में थे. फिर भी चंद्रिका यादव की बेटी ऐश्वर्या की शादी उनके साथ करा दी गई. बहुत संभव है कि इसलिए भी तेजप्रताप यादव और ऐश्वर्या की शादी सफल नहीं हो पाई और तलाक का मुकदमा अभी कोर्ट में हैं. खैर, तेजप्रताप यादव ने इजहार ए प्यार किया और अब वे परिवार और पार्टी निकाला का दंश झेल रहे हैं. लालू प्रसाद यादव ने तेजप्रताप यादव के सोशल मीडिया पोस्ट के एक दिन बाद दुनिया को चौंकाते हुए यह कठोर फैसला ​ले लिया. लालू प्रसाद यादव के कठोर फैसले से पहले लोग यह मान रहे थे कि मनमौजी तेजप्रताप यादव ने फिर से ऐसा काम किया है, जिसकी ओर मीडिया का ध्यान खींचा चला आए, लेकिन लालू प्रसाद के फैसले के बाद तेजप्रताप का रिलेशन राष्ट्रीय शर्मिंदगी का विषय बन गया. नेशनल मीडिया में यह सबसे बड़ी खबर बन गई. अब सवाल उठता है कि एक मजे हुए राजनीतिज्ञ लालू प्रसाद यादव को आखिर यह कठोर फैसला क्यों लेना पड़ा?

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यह सब जानने के लिए थोड़ा सा विषयांतर करना होगा. यह भी जान लीजिए कि यह एक दिन में या एक घंटे में या एक क्षण में लिया गया फैसला नहीं है. इसकी सुगबुगाहट पहले से थी, लेकिन हमें मालूम नहीं चल रहा था कि क्या चल रहा है. इसमें कोई दोराय नहीं कि तेजप्रताप यादव मनमौजी हैं और कभी वे राजनीतिज्ञ बन जाते हैं तो कभी आध्यात्मिक गुरु. कभी वे वृंदावन और मथुरा में पाए जाते हैं तो कभी पटना में. तेजप्रताप यादव के मन में उपेक्षा का भाव 2013 से पैदा होना शुरू हुआ. तब लालू प्रसाद यादव ने अपने दोनों बेटों को राजनीति में लांच किया था. 2015 में नीतीश कुमार के साथ मिलकर लालू प्रसाद यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के बाद भी बिहार में कमाल किया था और महागठबंधन को शानदार बहुमत हासिल हुआ था.

तब लालू प्रसाद यादव ने तेजप्रताप यादव को केवल मंत्री तो तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री का पद दिलवाया. बड़ा भाई कैसे बर्दाश्त करता कि छोटा भाई डिप्टी सीएम बन जाए और वे केवल मंत्री पद से संतोष कर ले. खैर, तेजप्रताप यादव ने वो हलाहल पी लिया, लेकिन मन में जब भाव पैदा हो जाता है, तब वह धीरे धीरे अपना असर दिखाता है. हालांकि सार्वजनिक मंचों पर तेजप्रताप यादव ने कभी भी अपने मन के भाव को जाहिर नहीं होने दिया, लेकिन परिवार के नजदीकी लोग मानते हैं कि दोनों भाइयों के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है.

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समय बीतता रहा और 2019 के लोकसभा चुनाव में तेजप्रताप यादव खुद को बहुत पावरफुल समझने लगे थे. उन्होंने अपनी पसंद के कुछ लोगों को लोकसभा चुनाव का टिकट देने का वादा कर डाला था, लेकिन इस मौके पर भी तेजप्रताप को अपनी हैसियत का अहसास हो चुका था. चुनाव में उनकी पसंद के एक भी प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया, जिसके बाद नाराज होकर तेजप्रताप यादव ने राष्ट्रीय जनता दल के संरक्षक पद से त्यागपत्र दे दिया. इसके बाद सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा था, नादान हैं वो जो उन्हें नादान समझते हैं.

हद तो तब हो गई जब तेजप्रताप यादव और ऐश्वर्या के मनमुटाव के बीच राजद की ओर से 2019 के लोकसभा चुनाव में चंद्रिका यादव को सारण से राजीव प्रताप रूड़ी के खिलाफ उतारने का ऐलान कर दिया गया. उस समय ऐश्वर्या और तेजप्रताप का रिलेशन बिगड़ चुका था और तलाक की अर्जी कोर्ट में थी, फिर भी तेजस्वी यादव ने लालू प्रसाद यादव की सहमति से तेजप्रताप यादव को इग्नोर करते हुए चंद्रिका यादव को प्रत्याशी बनवाया. यह बात भी तेजप्रताप यादव को नागवार गुजरी. तब यह चर्चा भी जोरों से उछाली गई थी कि तेजप्रताप यादव अपने ससुर के खिलाफ चुनाव में उतरने वाले हैं, हालांकि ऐसा कुछ होने से कंट्रोल कर लिया गया.

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राष्ट्रीय जनता दल में बड़े भाई की उपेक्षा और छोटे भाई का शिखर पर आना, पूरी पार्टी को कब्जे में लेना, ये सब तेजप्रताप यादव को सालती रही. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही तेजप्रताप यादव ने अपनी पीड़ा को साझा करते हुए कहा था, हमेशा से हम व्याकुल रहे कि तेजस्वी जी के साथ, जो हमारे अर्जुन हैं, उनके कार्यक्रम में जाएं लेकिन ये पहले ही हेलीकॉप्टर से उड़ जाते थे और हम रह जाते थे जमीन पर. साफ है कि वह तेजस्वी यादव के साथ खुद को मंच पर देखना चाहते थे, लेकिन तेजप्रताप से दूरी बना रखी थी.

2019 में ही एक ऐसा वाकया हुआ था, जब 26 जनवरी को तेजप्रताप यादव राजद कार्यालय जा रहे थे, लेकिन उन्हें रोकने के लिए मेन गेट पर ताला जड़ दिया गया था. तेजप्रताप ने इसके लिए तब के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन अंदरखाने से जो खबरें आईं, उसमें कहा गया था कि तेजस्वी यादव के कहने पर ही ऐसा किया गया था.

राष्ट्रीय जनता दल में तेजस्वी यादव की धाक लगातार बढ़ती जा रही थी और बड़ी बहन मीसा भारती और तेजप्रताप यादव अपने कद को लेकर संघर्ष करते दिख रहे थे. 2018 में मीसा भारती को इस बात की भनक लग चुकी थी कि उन्हें दरकिनार कर लोकसभा चुनाव में भाई वीरेंद्र को उतारने की तैयारी की जा रही है तो बेहद तल्ख लहजे में उन्होंने कहा था, कोई सामने से लड़ेगा तो झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की तरह लड़ेंगे लेकिन पीठ में खंजर घोंपने वाले को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. चाहे वो पार्टी कार्यकर्ता ही क्यों न हो. इस पर तेजस्वी यादव ने इशारों इशारों में अनुशासनात्मक कार्यवाही की धमकी भी दे डाली थी. 

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इन सब जख्मों को दिल में रखकर 28 जून, 2019 को तेज सेना बनाई थी. माना जा रहा था कि इस सेना के गठन से तेजप्रताप अपने छोटे भाई के एकाधिकार को चुनौती दे रहे हैं. तेजप्रताप यादव ने युवाओं से इस सेना में शामिल होने की अपील की थी. तमाम कवायाद करने के बाद भी तेजस्वी यादव की पार्टी में स्थापित होती साख और सत्ता को तेजप्रताप चुनौती नहीं दे सके. 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन ने एनडीए को तगड़ी फाइट दी थी और जीत हार में केवल 12 सीटों का अंतर था. इससे राजद में तेजस्वी यादव की स्वीकार्यता बढ़ती चली गई थी.

30 अक्टूबर, 2021 को विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने महागठबंधन के सामने प्रत्याशी उतारकर मुसीबत खड़ी कर दी थी. दूसरी ओर, तेजप्रताप यादव ने तारापुर के निर्दलीय प्रत्याशी संजय कुमार के लिए प्रचार करने का ऐलान कर दिया था. तेजस्वी यादव ने बड़ी सफलता से संजय कुमार को राजद में शामिल करा लिया और तेजप्रताप यादव देखते रह गए थे. तेजस्वी यादव ने तब स्टार प्रचारकों की लिस्ट से तेजप्रताप यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती का नाम हटा दिया था. यह तेजप्रताप यादव को संदेश देने की एक कोशिश थी. तब तेजप्रताप यादव ने एक पोस्ट में लिखा, ऐ अंधेरे, देख ले मुंह तेरा काला हो गया, मां ने आंखें खोल दीं घर में उजाला हो गया... मेरा नाम रहता न रहता, मां और दीदी का नाम रहना चाहिए था. इस गलती के लिए बिहार की महिलाएं कभी माफ नहीं करेंगी. दशहरा में हम मां की ही आराधना करते हैं न जी.

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तेजप्रताप यादव ने 2 अक्टूबर, 2021 को इशारों इशारों में तेजस्वी यादव पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा था, कुछ लोग लालू प्रसाद यादव को बंधक बनाकर रखे हुए हैं. 2022 में जब एक बार फिर नीतीश कुमार महागठबंधन में आए तो डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ही बने और तेजप्रताप यादव फिर से मंत्री रह गए. 18 जनवरी, 2025 को जो कुछ भी हुआ, वह तेजप्रताप के लिए बहुत आघात पहुंचाने वाला रहा. इस दिन से राजद में तेजस्वी यादव के युग की शुरुआत हो गई. मौर्या होटल में आयोजित पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में तेजस्वी यादव को वो सारी शक्तियां दे दी गईं, जो लालू प्रसाद यादव के पास थीं. राजद के संविधान की धारा 35ए में संशोधन किया गया और तेजस्वी यादव को चुनाव में सिंबल जारी करने का अधिकार भी मिल गया. 

इसके बाद अब सोशल मीडिया पर तेजप्रताप यादव का रिलेशनशिप का ऐलान होता है. इस ऐलान के पीछे की टाइमिंग देखिए. पूरा बिहार इस समय चुनावी मोड में है और थोड़ी सी भी उलटफेर किसी को भी भारी पड़ सकती है. लिहाजा, अनुष्का यादव को तेजप्रताप परिवार में लाते, उससे पहले खुद ही परिवार और पार्टी दोनों से बाहर हो गए. अब तेजस्वी को टक्कर देने वाला कोई नहीं बचा. आम तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तेजस्वी यादव आरोप लगाते हैं कि उनके फैसले कोई और ले रहा है. यही आरोप अब लालू प्रसाद यादव पर लगेंगे कि उनके फैसले तेजस्वी यादव ले रहे हैं. तेजस्वी यादव इस बात का खंडन भी नहीं करेंगे, क्योंकि राजनीतिक रूप से उन्हें यह फायदा पहुंचाता है.  

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