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Caste Census: 'प्राइवेट सेक्टर में भी लागू हो आरक्षण', तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी को लिखा खुला पत्र

Tejashwi Yadav News: राजद नेता तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी को खुला पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा कि बिहार जाति सर्वेक्षण, जिसमें पता चला कि ओबीसी और ईबीसी हमारे राज्य की आबादी का लगभग 63 फीसदी हिस्सा हैं. उन्हें यथास्थिति बनाए रखने के लिए बनाए गए कई मिथकों को तोड़ दिया. 

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तेजस्वी यादव, पूर्व डिप्टी सीएम, बिहार (File Photo)
तेजस्वी यादव, पूर्व डिप्टी सीएम, बिहार (File Photo)
Shailendra |Updated: May 03, 2025, 11:40 AM IST
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Tejashwi Yadav: केंद्र सरकार की तरफ से जाति जनगणना का फैसला किया गया है. 30 अप्रैल, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला लिया गया, जिसके बाद से लगातार सभी दलों के नेता इसका श्रेय लेने की होड़ में लगे हुए हैं. अब बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी को खुला पत्र लिखा है.

उन्होंने लिखा कि आदरणीय प्रधान मंत्री जी, हाल ही में आपकी सरकार द्वारा राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना कराने की घोषणा के बाद, मैं आज आपको सतर्क आशावाद के साथ लिख रहा हूं. वर्षों से, आपकी सरकार और एनडीए गठबंधन ने जाति जनगणना के आह्वान को विभाजनकारी और अनावश्यक बताकर खारिज कर दिया है. जब बिहार ने अपना जाति सर्वेक्षण कराने की पहल की, तो सरकार और आपकी पार्टी के शीर्ष विधि अधिकारी सहित केंद्रीय अधिकारियों ने हर कदम पर बाधाएँ खड़ी कीं. आपकी पार्टी के सहयोगियों ने इस तरह के डेटा संग्रह की आवश्यकता पर ही सवाल उठाए. आपका विलंबित निर्णय उन नागरिकों की मांगों की व्यापक स्वीकार्यता को दर्शाता है, जिन्हें लंबे समय से हमारे समाज के हाशिये पर धकेल दिया गया है.

तेजस्वी यादव ने आगे लिखा कि बिहार जाति सर्वेक्षण, जिसमें पता चला कि ओबीसी और ईबीसी हमारे राज्य की आबादी का लगभग 63 फीसदी हिस्सा हैं. उन्हें यथास्थिति बनाए रखने के लिए बनाए गए कई मिथकों को तोड़ दिया. इसी तरह के पैटर्न पूरे देश में उभरने की संभावना है. मुझे यकीन है कि यह रहस्योद्घाटन कि वंचित समुदाय हमारी आबादी का भारी बहुमत बनाते हैं, जबकि सत्ता के पदों पर उनका बहुत कम प्रतिनिधित्व है, राजनीतिक सीमा को पार करते हुए एक लोकतांत्रिक जागृति पैदा करेगा.

राजद ने पीएम मोदी ने अपने पत्र में लिखा कि हालांकि, जाति जनगणना कराना सामाजिक न्याय की दिशा में लंबी यात्रा का पहला कदम मात्र है. जनगणना के आंकड़ों से सामाजिक सुरक्षा और आरक्षण नीतियों की व्यापक समीक्षा होनी चाहिए. आरक्षण पर मनमानी सीमा पर भी पुनर्विचार करना होगा. एक देश के रूप में, हमारे पास आगामी परिसीमन अभ्यास में स्थायी अन्याय को ठीक करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है. निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण जनगणना के आंकड़ों के प्रति संवेदनशील और प्रतिबिंबित होना चाहिए. ओबीसी और ईबीसी के पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए, जिन्हें व्यवस्थित रूप से निर्णय लेने वाले मंचों से बाहर रखा गया है. इसलिए, उन्हें राज्य विधानसभाओं और भारत की संसद में आनुपातिक प्रतिनिधित्व सिद्धांत के आधार पर विस्तारित करने की आवश्यकता होगी.

पीएम मोदी से मांग करते हुए तेजस्वी यादव ने लिखा कि हमारा संविधान अपने नीति निर्देशक सिद्धांतों के माध्यम से राज्य को आर्थिक असमानताओं को कम करने और संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करने का आदेश देता है. जब हम यह जान लेते हैं कि हमारे कितने नागरिक वंचित समूहों से संबंधित हैं और उनकी आर्थिक स्थिति क्या है, तो लक्षित हस्तक्षेपों को अधिक सटीकता के साथ डिजाइन किया जाना चाहिए. निजी क्षेत्र, जो सार्वजनिक संसाधनों का एक बड़ा लाभार्थी रहा है, सामाजिक न्याय की अनिवार्यताओं से अछूता नहीं रह सकता. कंपनियों को पर्याप्त लाभ मिले हैं - रियायती दरों पर भूमि, बिजली सब्सिडी, कर छूट, बुनियादी ढांचे का समर्थन, और विभिन्न वित्तीय प्रोत्साहन सभी करदाताओं के पैसे से वित्त पोषित हैं. बदले में, उनसे हमारे देश की सामाजिक संरचना को प्रतिबिंबित करने की अपेक्षा करना पूरी तरह से उचित है. जाति जनगणना द्वारा बनाए गए संदर्भ का उपयोग संगठनात्मक पदानुक्रमों में निजी क्षेत्र में समावेशिता और विविधता के बारे में खुली बातचीत करने के लिए किया जाना चाहिए.

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने लिखा कि प्रधानमंत्री जी, आपकी सरकार अब एक ऐतिहासिक चौराहे पर खड़ी है. जाति जनगणना कराने का निर्णय हमारे देश की समानता की यात्रा में एक परिवर्तनकारी क्षण हो सकता है. सवाल यह है कि क्या डेटा का उपयोग प्रणालीगत सुधारों के लिए उत्प्रेरक के रूप में किया जाएगा, या यह पिछली कई आयोग रिपोर्टों की तरह धूल भरे अभिलेखागार तक ही सीमित रहेगा?

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उन्होंने आगे लिखा कि बिहार के प्रतिनिधि के रूप में, जहां जाति सर्वेक्षण ने जमीनी हकीकत के प्रति कई लोगों की आंखें खोली हैं, मैं आपको वास्तविक सामाजिक परिवर्तन के लिए जनगणना के निष्कर्षों का उपयोग करने में रचनात्मक सहयोग का आश्वासन देता हूं. इस जनगणना के लिए संघर्ष करने वाले लाखों लोग सिर्फ़ डेटा नहीं बल्कि सम्मान, सिर्फ़ गणना नहीं बल्कि सशक्तिकरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

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