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Opinion: तेजस्वी यादव ने भी प्रेम विवाह किया तो फिर सजा सिर्फ तेज प्रताप यादव को क्यों?

Lalu Yadav Family Clash: लालू परिवार के नजदीकी लोग भी मानते हैं कि दोनों भाइयों के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है. तेज प्रताप अपने परिवार में अनुष्का यादव को शामिल करते, उससे पहले खुद ही परिवार और पार्टी दोनों से बाहर हो गए. अब पार्टी और परिवार में तेजस्वी यादव को टक्कर देने वाला कोई नहीं बचा.

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लालू यादव का परिवार
लालू यादव का परिवार
K Raj Mishra|Updated: May 27, 2025, 07:40 AM IST
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Tej Pratap Yadav News: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद अध्यक्ष लालू यादव के परिवार में इन दिनों भूचाल आया हुआ है. राजद अध्यक्ष ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया है. इतना ही नहीं उन्हें परिवार से भी बेदखल कर दिया गया है. तेज प्रताप को यह सजा प्रेम करने को लेकर मिली है. दरअसल, तेज प्रताप यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से अनुष्का यादव नाम की एक लड़की के साथ अपने प्रेम का खुलासा किया. हालांकि, बाद में उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट होने की बात कही, लेकिन लालू यादव ने उन्हें पार्टी और परिवार से निकालकर उनके प्रेम संबंधों पर मुहर लगा दी. अब सवाल ये है कि लालू परिवार में अगर प्रेम करना गुनाह है तो तेजस्वी यादव को कोई सजा क्यों नहीं मिली? आखिर उन्होंने भी तो एक क्रश्चियन लड़की के साथ प्रेम विवाह किया है. अब लोग सवाल पूछ रहे हैं कि अकेले तेज प्रताप यादव को ही सजा क्यों मिली?

सियासी जानकारों के मुताबिक, लालू यादव और तेजस्वी यादव का पूरा फोकस आगामी विधानसभा चुनाव पर है. लालू यादव अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को सीएम बनाने की ख्वाहिश रखते हैं. तेजस्वी इसके लिए काफी मेहनत करने में जुटे हैं. हालांकि, लालू-राबड़ी शासनकाल का जंगलराज की काली छाया से वह बाहर नहीं निकल पाते हैं. वे जब भी नीतीश कुमार की सरकार को घेरने की कोशिश करते हैं, पूरा एनडीए एकजुट होकर राजद के जंगलराज पर हमलावर हो जाता है. मां-पिताजी यानी लालू यादव और राबड़ी देवी के अतीत से बाहर निकलने के लिए तेजस्वी ने अब उनकी ही तस्वीरों को राजद के पोस्टरों से गायब करा दिया है. तेजप्रताप यादव अक्सर अपनी  गैर जिम्मेदाराना हरकतों और बयानों के लिए जाने जाते हैं. कई बार उनकी हरकतों या बयानों की वजह से तेजस्वी यादव की पूरी मेहनत पर पानी फिर गया है. ऐसे में तेज प्रताप यादव उनकी राह में बड़ा रोड़ा बन रहे थे. सियासी जानकारों तो यह भी कहते हैं कि इस फैसले के पीछे काफी हद तक तेजस्वी यादव का हाथ है.

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लालू परिवार के नजदीकी लोग भी मानते हैं कि दोनों भाइयों के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है. 2019 के लोकसभा चुनावों से इसकी शुरुआत हुई थी, जब तेज प्रताप यादव ने पिता और छोटे भाई से सलाह-मशविरा किए बिना ही अपने नजदीकियों को राजद का टिकट देना शुरू कर दिया था. अंत में तेजस्वी यादव ने उनके (तेज प्रताप यादव) किसी भी समर्थक को टिकट नहीं दिया था. इससे तेज प्रताप काफी नाराज हुए थे. इसके बाद तेजप्रताप यादव ने नाराज होकर राष्ट्रीय जनता दल के संरक्षक पद से त्यागपत्र दे दिया था और सोशल मीडिया पर लिखा था कि नादान हैं वो जो उन्हें नादान समझते हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ. इस बार तेज प्रताप ने बगावती तेवर दिखाते हुए लालू-राबड़ी मोर्चा की स्थापना तक कर डाली थी. वह राजद के खिलाफ ही चुनावी समर में कूदने वाले थे, लेकिन पिता लालू यादव ने उन्हें समझा-बुझाकर शांत कर दिया था.

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2019 में ही एक ऐसा वाकया हुआ था, जब 26 जनवरी को तेजप्रताप यादव राजद कार्यालय जा रहे थे, लेकिन उन्हें रोकने के लिए मेन गेट पर ताला जड़ दिया गया था. तेजप्रताप ने इसके लिए तब के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन अंदरखाने से जो खबरें आईं, उसमें कहा गया था कि तेजस्वी यादव के कहने पर ही ऐसा किया गया था. तेज प्रताप की पार्टी में दखलंदाजी रोकने के लिए ही पिछले साल तेजस्वी यादव को राजद में फ्री हैंड दिया गया था. परिवार और पार्टी दोनों ही जगहों पर बड़े भाई की उपेक्षा और छोटे भाई का शिखर पर आना, तेजप्रताप यादव को अंदर से कचौट रहा था. इन सब जख्मों को दिल में रखकर 28 जून, 2019 को तेज सेना बनाई थी. उन्होंने बिहार के युवाओं से इस सेना में शामिल होने की अपील की थी. कहने को इस सेना का गठन बाबा बागेश्वर के विरोध के लिए हुआ था, लेकिन इसके जरिए तेज प्रताप अपने भाई तेजस्वी यादव को अपनी सियासी ताकत दिखाना चाहते थे. इन तमाम कारणों के चलते आज नहीं तो कल तेज प्रताप यादव को राजद से बाहर किया ही जाना था. फिलहाल इस पूरे प्रकरण में तेज प्रताप यादव की प्रतिक्रिया का सभी को इंतजार है.

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