Vice President Election: जगदीप धनखड़ ने सोमवार (21 जुलाई) की रात करीब 10 बजे अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया. धनखड़ ने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था, लिहाजा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और पीएम मोदी की ओर भी धनखड़ को बेहतर स्वास्थ्य की शुभकामनाएं दी गई हैं. इसी के साथ सरकार के सामने अब अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव कराने की जिम्मेदारी आ गई है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने नए उपराष्ट्रपति की तलाश शुरू कर दी है. उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति भी होता है और उस पर सदन को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी होती है, लिहाजा इसी मानसून सत्र में उपराष्ट्रपति का चुनाव हो सकता है.
संविधान के अनुच्छेद 68 के तहत, धनखड़ के उत्तराधिकारी का चुनाव 06 महीने के भीतर यानी सितंबर 2025 तक पूरा करना अनिवार्य है. मतलब साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले-पहले अगले उपराष्ट्रपति की नियुक्ति हो जाएगी. एनडीए सरकार इसका लाभ बिहार विधानसभा चुनावों में भी लेना चाहेगी, लिहाजा अगला उपराष्ट्रपति बिहार से हो सकता है. अगर पिछले 10 सालों में संवैधानिक पदों पर हुई नियुक्तियों पर नजर डालें तो सरकार ने चुनावी राज्यों पर बहुत ज्यादा फोकस किया है. बिहार से उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा है.
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उपसभापति के रूप में हरिवंश बाबू के पास लंबा संसदीय अनुभव है. इसके अलावा वह सीएम नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाते हैं. पीएम मोदी और बीजेपी से भी उनके रिश्ते अच्छे हैं. जेडीयू के राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर भी इस रेस में शामिल है. वे पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं और फिलहाल केंद्र सरकार में कृषि राज्य मंत्री हैं. अपने पिता की तरह वे अति पिछड़ी जातियों में अपनी पैठ बनाए हुए हैं. सीएम नीतीश कुमार के नाम की चर्चा भी चल रही है. बीजेपी उनको दिल्ली भेजने के प्रयास में हैं. हालांकि, वह बिहार शायद ही छोड़ना चाहें. बीजेपी से रविशंकर प्रसाद का नाम भी रेस में हैं, लेकिन वह लोकसभा के सदस्य हैं. फिलहाल मोदी-शाह के युग में बीजेपी की रणनीति समझना इतना आसान नहीं है. जिस शख्स का नाम चर्चा में आया समझो उसे वो पद नहीं मिलने वाला है.
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संविधान के मुताबिक, उपराष्ट्रपति बनने के लिए भारत का नागरिक होना आवश्यक है. इसके अलावा आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए. किसी भी लाभ के पद पर नहीं रहना चाहिए. उपराष्ट्रपति पद के लिए सांसद होना आवश्यक नहीं है, लेकिन राज्यसभा सीट के लिए योग्य होना चाहिए. उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है. इसके साथ ही वह पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय का कुलाधिपति भी होता है. माखनलाल राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का कुलाध्यक्ष होता है. देश के सबसे पहले उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे. वह 1952 से 1962 तक इस पद पर रहे.