पटना: बिहार में चुनाव आयोग की ओर से जारी मतदाता सूची के मसौदे (ड्राफ्ट) पर राजद नेता तेजस्वी यादव के आरोपों के जवाब में बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि विपक्ष को संवैधानिक संस्था पर आरोप लगाने से पहले तथ्यों की पूरी जांच कर लेनी चाहिए. राजद नेता तेजस्वी ने दावा किया था कि उनका नाम मतदाता सूची में नहीं है, लेकिन जिला कार्यालय से सत्यापन के बाद उनके आरोपों को निराधार पाया गया.
विजय चौधरी ने कहा कि विपक्ष जल्दबाजी में आरोप लगाने की आदत से बाज नहीं आ रहा. उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग ने न केवल तेजस्वी के नाम की मौजूदगी को स्पष्ट किया, बल्कि प्रमाण के साथ उनकी मतदाता सूची की प्रति भी सार्वजनिक की. इसके बाद विपक्ष ने ईपिक नंबर बदलने का आरोप लगाया, जिसे भी आयोग ने खारिज कर दिया. चौधरी ने कहा कि विपक्ष को किसी संवैधानिक संस्था को बदनाम करने या उसकी प्रक्रिया को दूषित साबित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है. ड्राफ्ट मतदाता सूची को आयोग के पोर्टल पर उपलब्ध कराया गया है, ताकि बिहार का कोई भी मतदाता अपने नाम की जानकारी ले सके. उन्होंने कहा, "जल्दबाजी में आरोप लगाने से गड़बड़ी होती है और जब सच सामने आता है, तो आरोप लगाने वाले की स्थिति असहज हो जाती है. चौधरी ने आगे कहा कि चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर अब तक कोई ऐसा सवाल नहीं उठा, जिसके आधार पर उस पर आरोप लगाया जा सके."
उन्होंने आगे कहा, "शुरू में कुछ लोगों ने दावा किया था कि मतदाता सूची से किसी खास समुदाय के नाम हटाए जा रहे हैं, लेकिन यह गलत साबित हुआ." उन्होंने कहा कि आयोग ने घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन किया, जिसमें सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को शामिल होने का मौका दिया गया. चुनाव आयोग ने एक महीने का समय दिया है, जिसमें लोग अपने और अपने परिवार के नाम की जांच कर सकते हैं. अगर किसी का नाम छूट गया है, तो उसे जोड़ा जाएगा और गलत नामों को हटाया जाएगा.
चौधरी ने बताया कि आयोग ने बिहार में लगभग 22 लाख मृत मतदाताओं के नाम सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू की है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या विपक्ष चाहता है कि मृत लोगों के नाम सूची में रहें? बिहार में रक्षाबंधन के बाद विपक्षी महागठबंधन रैली निकालने वाला है, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल होंगे. इस पर विजय चौधरी ने कहा, "इसमें कोई नेता आए इसका सीधा अर्थ होगा कि इनको अब न्यायपालिका में भी विश्वास नहीं रहा. क्योंकि ये सभी पार्टियां साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में इस प्रक्रिया को रोकने के लिए अर्जी दायर कर चुकी हैं, जिस पर सुनवाई चल रही है. इतना तो इंतजार करना चाहिए, न्यायपालिका पर तो भरोसा रखना चाहिए. इस बीच में रैली निकलना और प्रदर्शन करना यहीं दर्शाता है कि इन लोगों को न्यायपालिका पर भी विश्वास नहीं है."
इनपुट- आईएएनएस
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