Waqf Board Amendment Bill: वक्फ बोर्ड संसोधन बिल को सरकार ने आज (बुधवार, 02 अप्रैल) को लोकसभा में पेश कर दिया है और इस पर चर्चा चल रही है. इस बिल पर चर्चा करते समय बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस को जमकर सुनाया. रविशंकर प्रसाद ने शाहबानो से सायरा बानो तक कांग्रेस का पूरा चिट्ठा खोल दिया. उन्होंने कहा कि मैं विपक्ष की बात सुन रहा था. मुझे उनके तर्क को सुनने में बड़ी कठिनाई हुई. वक्फ बोर्ड बिल में संशोधन होना चाहिए लेकिन नहीं भी होनी चाहिए. ये दोनों तर्क कैसे चलेता. सबसे पहले थोड़ी बात संविधान की बात कर लें. आजकल लाल किताब बहुत घूमती हैं. जब भी कोई विषय होता है एक संविधान की लाल किताब दिखाते हैं. हम संविधान की हरी किताब लाए हैं, जो संसद में रखी हुई है. मैं इसी को दिखाऊंगा आज. संविधान के मौलिक अधिकार की धारा-15 में लिखा है कि महिलाओं के साथ कोई भी भेद नहीं होगा और सरकार महिलाओं के विकास के लिए कानून बना सकती है. अगर यह वक्फ बिल देश की महिलाओं के विकास के लिए लाया जा रहा है, वक्फ में उनकी भूमिका के लिए यह कानून लाया जा रहा है तो यह कानून गैर-संवैधानिक कैसे हो गया. संविधान में यह भी लिखा है कि समाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों के विकास के लिए सरकार कार्रवाई कर सकती है. यह सच्चाई है.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मैं जिस प्रदेश बिहार से आता हूं, वहां बहुत सारे पछड़े मुसलमान हैं. पसमांदा कहते हैं हम. उनको वक्फ के मैनेजमेंट में अवसर नहीं मिलता. संविधान की धारा 15 की आलोक में इस बिल में इस बात का प्रावधान किया जा रहा है कि पिछड़े मुसलमानों को भी वक्फ में जगह दी जाएगी, तो परेशानी क्या है इनको. संविधान की दुहाई का जवाब मैं संविधान से ही दे रहा हूं. संविधान की धारा 25 की बात गई. इसका क्लॉज 2 भी पढ़ लीजिए. अगर वक्फ की जमीन बर्बाद हो रही है, लूटी जा रही है, हड़पी जा रही है तो संविधान का धारा 25 ये अधिकार देता है कि कानून बन सकता है. ये बिल कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है. वक्फ के मायने मंत्री जी ने विस्तार से बताया है. वक्फ कोई धार्मिक संस्था नहीं है, वह सिर्फ वैधानिक संस्था है. मुतव्वली की क्या भूमिका होती है. मुतव्वली को सिर्फ मैनेजर बोलते हैं. ये मैं नहीं कर रहा हूं. मैं इस्लामिक लॉ के बहुत बड़े स्कॉलर भारत के पूर्व जस्टिस हिदायतुल्लाह की किताब में लिखते हैं कि मुतवल्ली साहब इस 8 लाख की प्रॉपर्टी के खाली मैनेजर हैं. अगर प्रॉपर्टी लूटी जाए तो क्या सरकार खामोश रहे.
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8 लाख संपत्ति है, इसमें- कब्रिस्तान भी होंगे, मस्जिद होंगे. मैं सवाल पूछना चाहता हूं कि वक्फ की संपत्ति पर कितने स्कूल बने, कितने अस्पताल बने, कितनी विधवा-बेटियों को लाभ मिला? अगर आज इस कानून के जरिए उस समाज को इसका लाभ मिले तो इनको परेशानी क्या हो रही है. दिल से तो ये भी चाहते हैं कि संशोधन हो, लेकिन राजनीतिक मजबूरी इनके पैर पीछे खींचती है. याद करिए शाहबानो के केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हो हल्ला किया गया. उस समय राजीव गांधी इस देश के प्रधानमंत्री थे. उस मुस्लिम महिला को मात्र कुछ रुपये दिए गए, क्या हो हल्ला किया गया. उस समय आरिफ मोहम्मद खान आपकी सरकार में मंत्री थी. उनका दो दिन ऐतिहासिक भाषण हुआ था इसी सदन में कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अच्छा. एकाएक हंगामा हुआ राजीव गांधी हिल गए. उनको खामोश कर दिया गया. शाहबानो के बाद सायरा बानो तक, तीन तलाक से इतनी परेशानी थी, मुस्लिम महिलाएं गई थीं कोर्ट में. दो साल तक इनकी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब तक नहीं फाइल किया, ताकि मामला लटका रहे. 2014 में हमारी सरकार आई. मोदी जी ने मुझे कानून मंत्री बनाया था. फाइल आई तो कहा कि इसमें जवाब लगाना है, सुप्रीम कोर्ट डांट लगाया है. मैं गया प्रधानमंत्री जी के पास उन्होंने कहा कि जाओ कोर्ट के अंदर और बाहर खड़े हो जाओ कि मोदी सरकार तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं के साथ खड़ी है.
सुप्रीम कोर्ट में जब तीन तलाक के मामले की सुनवाई चल रही थी तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि आप फैसला मत करिए, हम एक निकाहनामा बनाएंगे और पूरे देश में घुमाएंगे कि निकाह करते समय तीन तलाक नहीं दोगे ये शर्त नहीं रखोगे. तीन तलाक पर जब कानून बना तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पूरे देश में बहुत बड़ा आंदोलन उकसाने का काम किया. धारा 370 पर भी सब लोग एक थे. देश टूट जाएगा, देश में आग लग जाएगी. आज 370 टूट गया. जम्मू-कश्मीर में विकास हो रहा है. अभी जो चुनाव हुआ एक भी बूथ पर रीपोल नहीं हुआ. जहां पाकिस्तानी झंडे लहराते थे आज वहां तिरंगा लहराता है और लोग भारत माता की जय बोलते हैं. मैंने 86 से 20 तक की कहानी बताई, स्वर वही हैं. सुर वही हैं. तल्खी वही हैं. अब यह नहीं चलेगा. वोट बैंक के लिए कहां तक जाएंगे, क्यों जाना चाहिए. सीएए पर तूफान खड़ा किया गया. आज फिर तूफान खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. मुस्लिम जमात के कौन होंगे, क्या उनके आदर्श वोटों की दलाली करने वाले होंगे. मुस्लिम जमात के आदर्श होंगे मौलाना अबुल कलाम आजाद, डॉ एपीजे कलाम, अब्दुल हमीद. जब मोहम्मद शमी ऑउट करता है तो पूरा देश ताली बजाता है. जब सानिया मिर्जा टेनिस में भारत का नाम ऊंचा करती है तो सभी खुश होते हैं. ये देश बदल रहा है. कांग्रेस कहां थी और कहां चली आई. राजीव गांधी को 400 सीट मिली, शाहबानो केस में वो इन लोगों के सामने झुके, इसके बाद आजतक कांग्रेस को बहुमत नहीं मिली. नरेंद्र मोदी को एक बार पूर्ण बहुमत मिला, दूसरी बार मिला. आपने लोगों ने संविधान में मिसलीड करके जनता के साथ धोखाधड़ी करके यूपी में कुछ गड़बड़ किया तो जनता की समझ में आ गया तो हरियाणा जिता दिया, महाराष्ट्र जिता दिया, दिल्ली जिता दिया, अब बिहार भी जिता देंगे.
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आजादी के बाद 54 में एक्ट आया, 59, 64, 69, 84, 95 में बदलाव हुआ. ये सारा बदलाव कुछ जमातों के दबाव में आया. 95 कब आया, जब राम जन्मभूमि का आंदोलन चल रहा था. 13 कब आया, जब इनके हारने का रास्ता खुल रहा था. जब इस तरह से बदलाव करते हैं तो आपकी मंशा अकलियत की सेवा करना नहीं है. आपकी मंशा अपने वोट में इजाफा करने की है. फिर भी हार जाते हैं. ये 8 लाख संपत्ति है. दुनिया की सबसे बड़ी संपत्ति है. मुतवल्ली उसको मैनेज करता है. मैनेजर की कोई अकाउंटबिलिटी होती है या नहीं. पटना के गर्दनीबाग में एक सरकारी जमीन की तालाब है, जहां छठ पर लोग अर्घ्य देते हैं. हाईकोर्ट में सरकार ने कहा है कि यह सरकारी जमीन है. वहां से 5-7 किलोमीटर दूर एक कब्रिस्तान है. इस तालाब को कुछ लोग कहते हैं कि यह हमार वक्फ है. हर छठ पर खड़े हो जाते हैं. कलकत्ता में सेना का कमांड फोर्ट विलियम को भी अपना बता दिया. कुछ दिन बाद कहेंगे पूरा हिंदुस्तान हमारा वक्फ है. प्रयागराज में बोला, भोपाल में बोला. पूरे देश में ऐसा किया गया. इसलिए यह बदलाव जरूरी है.
पूरा लूट लिया है, पटना में भी लूट लिया, वक्फ पर कानून होना चाहिए. लालू यादव ने ये बातें संसद में कही थीं. लॉ में कोर्ट जाना मना था, इस बिल से कोर्ट में जा सकते हैं. आज क्रश्चिन समाज क्यों दुखी हैं और वक्फ में बदलाव चाहते हैं. केरल के क्रश्चिन समाज के लोग इससे डिस्टर्ब हैं तो उनको लगता है कि बदलाव जरूरी है. 1- आप इस बिल का विरोध क्यों करते हैं. आपको इस बिल से क्या परेशानी है. 2- क्या आप चाहते हैं कि वक्फ की संपत्ति हड़पने, लूटने, दलाली, बिचौलियों के बीच में रहे या गरीबों के लिए काम में आए, बेटियों के लिए काम में आए. यह उसके लिए रास्ता खोलता है. 3- इस बिल में बड़े-बड़े नामी जज, महिलाएं सब आकर देखने वाली हैं तो आपको शर्मिंदगी किस बात की है. परेशानी इस बात की है मैनेजर साहब पर कंट्रोल नहीं होना चाहिए. इफ्तार में नहीं जाने और बुलाने की धमकी देते हैं. आपके वो दिन लद गए जब वीटो लगाते थे. नरेंद्र मोदी की सरकार कहती है कि सबका साथ-सबका विकास तो कभी हिंदू-मुस्लिम में फर्क नहीं किया. वोट दो या ना दो तो सबका विकास करते हैं. हम सबको एक जैसा ही देखते हैं. यह देश के हित में है.
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