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Waqf Board Amendment Bill: कब और क्यों हुई थी बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड की स्थापना, क्या है इसका उद्देश्य?

Waqf Amendment Bill: वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर संग्राम मचा हुआ है. लोकसभा में हंगामे के बीच बिल पेश हो रहा है और 8 घंटे बहस के बाद वोटिंग हो सकती है. समय की गुंजाइश रही तो बहस का समय आगे भी बढ़ाया जा सकता है.

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Waqf Board Amendment Bill: कब और क्यों हुई थी बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड की स्थापना, क्या है इसका उद्देश्य? (File Photo)
Waqf Board Amendment Bill: कब और क्यों हुई थी बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड की स्थापना, क्या है इसका उद्देश्य? (File Photo)
Sunil MIshra|Updated: Apr 02, 2025, 12:44 PM IST
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Waqf Board Amendment Bill: वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर रार मची है. सत्तापक्ष इस बिल को समय के लिहाज से जरूरी मान रहा है तो विपक्ष इसे अलोकतांत्रिक और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बता रहा है. इस बीच मोदी सरकार की ओर से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरिन रिजिजू ने लोकसभा में इस बिल को पेश कर दिया है. बिल पर 8 घंटे तक बहस होगी और सदस्यों की सहमति से जरूरत पड़ने पर बहस को और आगे बढ़ाया जा सकता है. बहस खत्म होने के बाद वोटिंग हो सकती है. अब आइए, जानते हैं कि बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड की स्थापना कब और क्यों की गई थी और इसका उद्देश्य क्या था?

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एक कॉर्पोरेट निकाय के रूप में बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड की स्थापना 1948 में वक्फ के बेहतर प्रशासन के लिए की गई थी. 1947 में बिहार वक्फ अधिनियम लागू किया गया और इसके प्रावधानों के तहत बिहार सुबाई शिया मजलिस ए अवकाफ नाम से एक बोर्ड स्थापित किया गया था. 

बाद में 1973 में केंद्रीय वक्फ अधिनियम, 1954 लागू हो गया था, जिसके बाद बिहार वक्फ अधिनियम 1947 निरस्त कर दिया गया था. तब केंद्रीय वक्फ अधिनियम, 1954 के प्रावधानों के अनुसार एक नया बोर्ड बनाया गया था. इसका उद्देश्य मुसलमानों के धर्मार्थ, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक उत्थान के लिए वक्फ संपत्तियों से होने वाली आय का संरक्षण, पर्यवेक्षण, बेहतर प्रशासन और उचित उपयोग प्रदान करना था.

1995 में वक्फ अधिनियम लाया गया, जो वक्फ अधिनियम 1954 की जगह लेगा और उसे 01 जनवरी, 1996 से लागू हुआ. बिहार सरकार ने अपने अल्पसंख्यक विभाग के माध्यम से वक्फ अधिनियम, 1995 लागू किया. इसके बाद 03 अक्टूबर, 2001 को बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड का गठन किया.

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वक्फ संपत्तियां राष्ट्र की मूल्यवान संपत्ति हैं और ये संपत्तियां गरीबी उन्मूलन, रोजगार के अवसर पैदा करने, गरीब और मेधावी छात्रों को प्रोत्साहन प्रदान करने और समुदाय के जरूरतमंदों और दलितों के कारणों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.

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