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Bihar Voter List: बिहार में क्यों जरूरी है वोटर लिस्ट की बारीक जांच और विपक्ष को किस बात का है डर? यहां जानें

Bihar Voter List Verification: बिहार में मतदाता सूची की स्क्रीनिंग पर मचे राजनीतिक कोहराम के बीच चुनाव आयोग (ECI) ने साफ किया है कि यह कवायद देश के हर राज्य में की जाएगी. बिहार के बाद यही काम असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुदुचेरी में होगा. इसके बाद उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गोवा और मणिपुर का नंबर है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
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K Raj Mishra|Updated: Jul 09, 2025, 05:15 PM IST
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Bihar Voter List Verification: बिहार में वोटर लिस्ट की स्क्रीनिंग को लेकर राजनीतिक कोहराम मचा हुआ है. चुनाव आयोग के इस काम के विरोध में विपक्ष ने आज (बुधवार, 09 जुलाई) को पूरे बिहार में चक्का जाम करके विरोध प्रदर्शन किया. इसे सफल बनाने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी पटना पहुंचे और राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ मिलकर मार्च किया. इस मार्च में महागठबंधन में शामिल सभी दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया. इस दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव दोनों ने बीजेपी के साथ-साथ चुनाव आयोग पर जमकर निशाना साधा. राहुल गांधी ने एक बार फिर से चुनाव आयोग पर बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और हरियाणा में वोट की चोरी की गई है. अब बिहार में वोटों की चोरी करने की कोशिश की जा रही है. राहुल गांधी के बयान पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता को अभी से बिहार में हार नजर आने लगी है. इस सियासी घमासान के बीच सवाल ये है कि चुनाव आयोग आखिर बिहार में वोटर लिस्ट का सत्यापन क्यों करना चाहता है और इससे विपक्ष को क्या डर सता रहा है? 

वोटर लिस्ट अपडेट करने को लेकर चुनाव आयोग की दलील है कि बिहार में 2003 के बाद से मतदाता सूची का कोई व्यापक पुनरीक्षण नहीं हुआ है. जिसके कारण कई गलतियां और अनियमितताएं देखने में आईं हैं. इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, बिहार में करीब 8 करोड़ मतदाता हैं. चुनाव आयोग का कहना है कि वोटर लिस्ट में खामियां जैसे- डुप्लिकेट नाम, मृत व्यक्तियों के नाम, या अपात्र व्यक्तियों के नाम से चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है और इससे चुनावों की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है. 

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क्यों जरूरी है वोटर लिस्ट की बारीक जांच?

इसमें कोई शक नहीं है कि देश के कई राज्यों में अवैध तरीके से बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या रहते हैं. अवैध घुसपैठ की वजह से असम, पश्चिम बंगाल और झारखंड डेमोग्रॉफी में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं. बिहार का सीमांचल इलाका भी इस समस्या से जूझ रहा है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अवैध घुसपैठियों के कारण बिहार के किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जिले में आधार कार्ड धारकों की संख्या आबादी से अधिक पाई गई है. यह रिपोर्ट फर्जी मतदाताओं की ओर भी इशारा करती है. ये घुसपैठिये ना सिर्फ चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को भी प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि बिहार के नागरिकों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं.

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इसको लेकर कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है कि केवल योग्य भारतीय नागरिक ही मतदान करें. यही वजह है कि बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की स्पेशल स्क्रीनिंग की जा रही है. आयोग के सूत्रों ने बताया कि अगली बारी उन राज्यों की है जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुदुचेरी शामिल हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गोवा और मणिपुर का नंबर है. यहां वर्ष 2027 में चुनाव होने हैं. बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में मतदाता सत्यापन की बात से ममता बनर्जी सशंकित हैं और वह भी इसका विरोध कर रही हैं.

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विपक्ष को किस बात का डर सता रहा?

चुनाव आयोग को मिली शिकायतें और कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में यह दावा किया गया है कि बिहार के कई विधानसभा क्षेत्रों में औसतन 8,000 से 10,000 फर्जी, डुप्लिकेट या मृत व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची में शामिल हैं. विपक्ष के डर की असली वजह यही है. विपक्ष को शंका है कि कहीं फर्जी, डुप्लिकेट या मृत वोटरों के नाम पर उसके कोर वोटर का नाम ना काट दिया जाए. यही वजह है कि बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इसे 'वोटबंदी' बता रहे हैं. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का आरोप है कि बीजेपी के इशारे पर चुनाव आयोग यह काम कर रहा है. उन्होंने तो चुनाव आयुक्त को धमकाते हुए यहां तक कह दिया है कि मैं कहता हूं, आपको जो करना है करिए, लेकिन बाद में कानून आप पर हावी होगा.

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