trendingNow/india/bihar-jharkhand/bihar02533956
Home >>JH Ramghar

Hemant Soren: चौथी बार मुख्यमंत्री बनने से पहले दादा की शहादत को नमन करने पहुंचे हेमंत सोरेन

Hemant Soren: पत्नी कल्पना सोरेन की मौजूदगी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को रामगढ़ का दौरा कर अपने दादाजी स्व. सोबरन मांझी को श्रद्धासुमन अर्पित किया. इस दौरान उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा और शिबू सोरेन के संघर्षों का भी जिक्र किया. 

Advertisement
हेमंत सोरेन ने रामगढ़ में अपने दादाजी को श्रद्धासुमन अर्पित किए
हेमंत सोरेन ने रामगढ़ में अपने दादाजी को श्रद्धासुमन अर्पित किए
Sunil MIshra|Updated: Nov 27, 2024, 07:56 PM IST
Share

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ लेने के एक दिन पहले हेमंत सोरेन बुधवार को अपने दादा सोबरन सोरेन के शहादत दिवस पर उन्हें नमन करने रामगढ़ जिला अंतर्गत अपने पैतृक गांव नेमरा पहुंचे. हेमंत सोरेन के साथ उनकी पत्नी और गांडेय की विधायक कल्पना सोरेन भी थीं. 

नेमरा गांव के लुकैयाटांड़ नामक स्थान पर शहीद सोबरन सोरेन की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद हेमंत सोरेन ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंडियों ने सदियों से शोषण और दमन के खिलाफ संघर्ष किया है. हमारे वीर पुरखों ने हमें हमेशा हक-अधिकार के लिए लड़ने का जज़्बा दिया. ऐसी शहादतें हमें न्याय की लड़ाई पर अडिग रहने की प्रेरणा देती हैं.

बाद में हेमंत सोरेन ने एक्स पर लिखा, शोषकों के खिलाफ संघर्ष करते हुए भी शिक्षा का अलख जलाते हुए पूज्यनीय दादा सोबरन मांझी जी ने शोषित और वंचित समाज को शिक्षित करने का अपना महाअभियान जारी रखा. वह एक कुशल शिक्षक थे. उनका मानना था कि शिक्षा से ही समाज में क्रांति आ सकती है, एक समृद्ध समाज के लिए शिक्षित होना बहुत जरूरी है. हमारे वीर पुरखों और पूज्यनीय दादाजी के संघर्षों से प्रेरणा लेकर उनके सपनों को पूरा करने का मैं प्रयास कर रहा हूं.

महाजनों और सूदखोरों के खिलाफ आवाज उठाने वाले सोबरन सोरेन की हत्या 27 नवंबर 1957 को उस वक्त कर दी गई थी, जब वह गोला प्रखंड मुख्यालय स्थित स्कूल में छात्रावास में रहकर पढ़ने वाले अपने दो पुत्रों राजाराम सोरेन और शिबू सोरेन के लिए चावल और अन्य सामान पहुंचाने के लिए घर से पैदल निकले थे. 

पैतृक गांव 'नेमरा' से थोड़ा आगे लुकैयाटांड़ गांव के निकट उनकी हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद शिबू सोरेन ने सूदखोरी और महाजनी प्रथा के खिलाफ जोरदार आंदोलन शुरू किया था. इस आंदोलन में शिबू सोरेन की एक पुकार पर डुगडुगी बजते ही हजारों लोग तीर-धनुष लेकर इकट्ठा हो जाते थे.

आईएएनएस

Read More
{}{}