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Kundali Yoga: क्या आपकी कुंडली में भी है ये 5 योग, अगर हां तो आप भी होंगे श्रीकृष्ण जितना भाग्यशाली

किसी भी जातक के जीवन में ग्रहों की दशा, उसकी कुंडली में स्थिति और साथ ही ग्रहों की वजह से बन रहे योग काफी असर डालते हैं. शुभ ग्रह अगर किसी जातक की कुंडली में अच्छी पोजिशन में मौजूद हों. वह अपने भाव या सम भाव में हो और उच्च का हो तो वह आपको खूब तरक्की देता है.

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फाइल फोटो
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Gangesh Thakur|Updated: Jan 23, 2024, 05:22 PM IST
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Kundali Yoga: किसी भी जातक के जीवन में ग्रहों की दशा, उसकी कुंडली में स्थिति और साथ ही ग्रहों की वजह से बन रहे योग काफी असर डालते हैं. शुभ ग्रह अगर किसी जातक की कुंडली में अच्छी पोजिशन में मौजूद हों. वह अपने भाव या सम भाव में हो और उच्च का हो तो वह आपको खूब तरक्की देता है. वहीं कई शुभ ग्रहों के एक साथ आने से राजयोग का भी निर्माण होता है जो आपके जीवन पर सीधे प्रभाव डालता है. ऐसे में हम आपको आज आपकी कुंडली के उन योगों के बारे में बताएंगे जिनमें से अगर 5 योग आपकी कुंडली में हो तो आपको श्री कृष्ण के समान भाग्यशाली बना सकते हैं. 

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ये 5 ग्रह योग आपके जीवन को समृद्ध, सुसंस्कृत और साथ ही आपके अंदर देव भाव पैदा करने वाले हैं. इन 5 योगों को ज्योतिष के अनुसार पंच महापुरुष योग कहा गया है. इनमें से एक भी योग हो तो आप जीवन में कभी संघर्ष नहीं करेंगे. वहीं अगर 5 योग आपकी कुंडली में मौजूद हों तो कहना ही क्या? 

वैसे आपको बता दें कि कुंडली के 5 वह ग्रह मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि हैं. इन्हीं के योग से पंच महापुरुष योग बनता है. वैसे आपको बता दें कि यह योग मूल त्रिकोण या केंद्र में इनमे से एक भी ग्रह के बैठने से बनता है और इसका असर ऐसा होता है कि जातक की सोई किस्मत जाग जाती है. 

हालांकि यह योग तभी फलदायी होता है जब ये ग्रह आपके केंद्र में होते हैं. वैसे आपको बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण की कुंडली में ये पंच महापुरुष योग बने थे. इसमें से रूचक योग जो मंगल की वजह से बनता है. भद्र योग जो बुध बनाता है. हंस योग जो गुरु की वजह से बनता है. मालव्य योग शुक्र की वजह से और शश योग जो शनि बनाता है आते हैं. 

वैसे आपको बता दें कि आपकी कुंडली में मंगल की मौजूदगी अगर लग्न भाव में हो या फिर चंद्रमा से वह केंद्र के घरों में मौजूद हो. यानी कि चंद्रमा या लग्न के भाव से मंगल 1,4,7 या 10 वें घर में मौजूद हो और यह भाव मेष, मकर या वृश्चिक राशि का हो तो यह योग बनता है. यही परिस्थिति बुध के साथ भी है वह अगर लग्न भाव या चंद्र कुंडली के केंद्र के घरों में हो और कन्या राशि में विराजमान हो तो भद्र योग का निर्माण होता है. 

गुरु का हंस  योग भी ऐसे ही बनता है. वहीं शुक्र के साथ भी एकदम यही स्थिति हो तो मालव्य योग का निर्माण होता है. इसी तरह शनि भी अगर लग्न और चंद्र से केंद्र के घरों में स्थित हो तो शश योग बनता है. ऐसे में यह सभी योग मिलकर जातक को इतना फायदा देते हैं इतना भाग्यशाली बनाते हैं कि उनका भाग्य भगवान श्री कृष्ण की तरह चमकने लगता है. 

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