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समस्तीपुर में डोनाल्ड ट्रम्प के नाम से बना फर्जी आवासीय प्रमाणपत्र, प्रशासन ने समय रहते किया पर्दाफाश

समस्तीपुर में एक फर्जी आवेदन में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नाम और तस्वीर का उपयोग कर आवासीय प्रमाणपत्र बनवाने की कोशिश की गई. महिला राजस्व पदाधिकारी की सूझबूझ से मामले का पर्दाफाश हुआ और आवेदन रद्द कर दिया गया. साइबर थाने में केस दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी गई है.

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समस्तीपुर प्रशासन ने फर्जीवाड़े को लेकर दर्ज की FIR
समस्तीपुर प्रशासन ने फर्जीवाड़े को लेकर दर्ज की FIR
Saurabh Jha|Updated: Aug 06, 2025, 09:56 PM IST
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बिहार के समस्तीपुर जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां डोनाल्ड ट्रम्प के नाम और फोटो के साथ एक फर्जी आवासीय प्रमाणपत्र का आवेदन किया गया था. यह आवेदन मोहीउद्दीननगर प्रखंड के RTPS केंद्र में दाखिल किया गया था. मामला तब सामने आया जब यह आवेदन सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

इस पूरे मामले की शुरुआत राजस्व पदाधिकारी की सतर्कता से हुई. महिला अधिकारी ने आवेदन की गहन जांच की और दस्तावेजों में भारी गड़बड़ी पाई. उन्होंने देखा कि आवेदन में आवेदक का नाम "डोनाल्ड जॉन ट्रम्प" और पिता का नाम "फैडरिक क्रिस्ट ट्रम्प" लिखा था. साथ ही आवेदन के साथ छेड़छाड़ कर तैयार किया गया एक फर्जी आधार कार्ड भी जोड़ा गया था.

जैसे ही मामला प्रकाश में आया, जिला प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए इस फर्जीवाड़े की जांच करवाई और आवेदन को रद्द कर दिया. साथ ही साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई. यह एफआईआर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धाराएं 318(4) और 336(4) तथा आईटी एक्ट, 2000 की धाराएं 66(c) और 66(d) के अंतर्गत की गई है.

प्रशासन ने साफ शब्दों में कहा है कि सरकारी सेवाओं में किसी भी तरह के फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल पूरी तरह अस्वीकार्य है. इस तरह की हरकतों पर ‘Zero Tolerance’ नीति अपनाई जाएगी और दोषियों को कठोर दंड दिया जाएगा.

प्रशासन ने चेतावनी दी है कि भले ही किसी ने मजाक या सनसनी फैलाने के उद्देश्य से आवेदन किया हो, लेकिन जब वह सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा बनता है, तो वह गंभीर अपराध बन जाता है. ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई तय है.

इस घटना ने यह सिद्ध किया है कि सरकारी डिजिटल तंत्र अब केवल ऑनलाइन नहीं, बल्कि सजग, उत्तरदायी और पारदर्शी भी है. प्रशासनिक सजगता और महिला अधिकारियों की सक्रियता ने एक बार फिर भरोसे को मजबूत किया है.

जिला प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि सरकारी प्रमाणपत्रों के लिए केवल सही और प्रमाणिक दस्तावेज ही प्रस्तुत करें. किसी भी प्रकार की झूठी जानकारी या फर्जी दस्तावेज आवेदन की रद्दीकरण और आपराधिक अभियोजन का कारण बन सकते हैं.

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