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देशभक्ति की मिसाल: शहीद इम्तियाज के भाई भी मां भारती की सेवा में, घर का नाम भी 'सीमा प्रहरी निवास'

Martyr Mohammad Imtiaz: पाकिस्तान की सेना ने सीजफायर का उल्लंघन करते हुए अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण रेखा पर आरएस पुरा सेक्टर में 9 मई की शाम जबरदस्त गोलीबारी की थी जिसमें बीएसएफ के सब इंस्पेक्टर शहीद मोहम्मद इम्तियाज शहीद हो गए थे.

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शहीद मो. इम्तियाज
शहीद मो. इम्तियाज
K Raj Mishra|Updated: May 12, 2025, 10:51 AM IST
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Martyr Mohammad Imtiaz: भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर होने से आखिरकार बॉर्डर पर एकबार फिर से माहौल शांत हो गया है. भारत ने सीजफायर की घोषणा तो कर दी गई है, लेकिन भारतीय सेना पाकिस्तान की हर हरकत पर पैनी नजर रखे हुए है. पाकिस्तान के साथ जंग जैसी स्थिति में पूरा देश एकजुट नजर आया. पाकिस्तान ने तमाम तरह के दुष्प्रचार करके भारत की एकजुटता को तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन कामयाब नहीं हो सका. पाकिस्तान को उम्मीद थी कि भारत का मुसलमान मोदी सरकार का समर्थन नहीं करेगा, लेकिन उसे यहां भी मुंह की खानी पड़ी. भारत का मुसलमानों तो पाकिस्तान को जड़ से समाप्त करना चाहता था, लेकिन दुश्मन देश की किस्मत अच्छी थी कि सीजफायर हो गया. इस पूरे ऑपरेशन में देश ने अपने कुछ वीर सपूतों को भी खो दिया, उनमे से ही एक हैं बिहार के लाल मोहम्मद इम्तियाज.

BSF के एसआई मोहम्मद इम्तियाज, ऑपरेशन सिंदूर के वक्त जम्मू-कश्मीर में तैनात थे. सरहद की रखवाली करते हुए वे पाकिस्तान की गोलीबारी में शहीद हो गए. बीएसएफ ने उनकी शहादत को सलाम करते हुए कहा कि सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज ने आगे बढ़कर बीएसएफ सीमा चौकी का नेतृत्व करते हुए वीरतापूर्वक पाकिस्तानी गोलीबारी का सामना किया. इस दौरान उन्होंने अपने प्राण भी न्योछावर कर दिए, लेकिन चौकी खाली नहीं की. आज यानी 12 मई को उनका शव उनके पैतृक गांव पहुंचेगा, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद पटना एयरपोर्ट पर जाकर शहीद जवान को श्रद्धांजलि देंगे. इससे बाद सारण जिले में गड़खा थाना क्षेत्र के उनके पैतृक गांव नारायणपुर में उन्हें सुपुर्दे खाक किया जाएगा. उनकी शहादत को देश हमेशा याद रखेगा.

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नारायणपुर के ग्रामीणों ने बताया कि इम्तियाज बेहद नेकदिल इंसान थे. वो काफी मिलनसार थे और एक महीने पहले ही ईद के आसपास ही वो घर आए थे. वो गांव में सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक करके लोगों से मिलते-जुलते थे. शहीद मो. इम्तियाज अहमद तीन भाई हैं. उनसे छोटे भाई मोहम्मद मुस्तफा भी बीएसएफ में तैनात हैं और इस समय वह मेघालय में बांग्लादेश सीमा पर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. दोनों भाइयों ने बचपन से ही सेना की वर्दी पहनने का सपना देखा था और उन्होंने मेहनत और समर्पण से अपने इस सपने को साकार किया. वहीं सबसे छोटे भाई मोहम्मद असलम गांव पर ही रहते हैं. इम्तियाज और मुस्तफा ने मिलकर अपने गांव में एक घर बनाया था, जिसका नाम उन्होंने ‘सीमा प्रहरी निवास’ रखा. यह नाम उनकी देशभक्ति और सेवा भाव को दर्शाता है.

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