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Raja Pakar Assembly Seat: राजा पाकर सीट पर 2020 में कांग्रेस की हुई थी जीत, इस बार कितना तैयार है NDA? समझिए समीकरण

Raja Pakar Assembly Seat: राजा पाकर विधानसभा सीट की लड़ाई इस बार बेहद दिलचस्प मानी जा रही है. बता दें कि पिछले चुनाव यानी की 2020 में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिमा कुमारी चुनाव जीत चुकी हैं. ऐसे में इस बार यहां का क्या सियासी समीकरण है, समझिए इस खबर में.

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राजा पाकर विधानसभा सीट
राजा पाकर विधानसभा सीट
Shubham Raj|Updated: Jul 29, 2025, 11:43 PM IST
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Raja Pakar Assembly Seat: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के साथ ही वैशाली जिले की राजा पाकर विधानसभा सीट पर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. यह सीट राजनीतिक रूप से न केवल अहम मानी जाती है, बल्कि यह बिहार के वर्तमान पुलिस महानिदेशक (DGP) का पैतृक क्षेत्र होने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी चर्चा में रहती है. करीब 1,78,982 मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में जनता की प्रमुख मांगें अभी भी अधूरी पड़ी हैं, जिनमें उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मवेशी अस्पताल, बेहतर सड़क और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था मुख्य रूप से शामिल हैं.

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विकास की कमी से जूझ रहा क्षेत्र
राजा पाकर की पहचान ग्रामीण संरचना और सामाजिक विविधता से जुड़ी हुई है. यहां की जातीय संरचना में रविदास, मुस्लिम, कुशवाहा, बनिया, राजपूत, पासवान और सुनार जैसी जातियों की निर्णायक भागीदारी है. यह समीकरण राजनीतिक दलों के लिए किसी भी प्रत्याशी के चयन में निर्णायक भूमिका निभाता है. इलाके की मुख्य समस्याएं, जैसे- जर्जर सड़कें, अधूरा स्वास्थ्य ढांचा, और उच्चतर शिक्षा की अनुपलब्धता आज भी वैसी की वैसी बनी हुई हैं. खासकर मवेशी अस्पताल और हाई स्कूल की कमी ग्रामीण जीवन और शिक्षा को सीधे प्रभावित कर रही है.

राजनीतिक समीकरण और दावेदार
पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2020 में यहां से कांग्रेस की प्रतिमा दास ने जीत दर्ज की थी. गामी चुनाव में BJP, LJP और कांग्रेस तीनों ही प्रमुख दल अपनी-अपनी दावेदारी को लेकर सक्रिय हैं. खासकर BJP और कांग्रेस के बीच सीधा टक्कर की संभावना जताई जा रही है.

जनता का मूड और वोट बैंक
क्षेत्र में युवा मतदाता विकास को लेकर सजग हैं और अब जातीय समीकरण से ऊपर उठकर शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे की मांग कर रहे हैं. गांव-गांव में यह मांग जोर पकड़ रही है कि अब बात सिर्फ वादों की नहीं, धरातल पर काम की होनी चाहिए. बताते चलें कि राजा पाकर सीट बिहार की उन चुनिंदा विधानसभा सीटों में शामिल है, जहां विकास की असल तस्वीर अब तक अधूरी है. यहां के मतदाता अब ऐसी नेतृत्व की तलाश में हैं जो सिर्फ भाषण नहीं, बल्कि उच्चतर माध्यमिक स्कूल, मवेशी अस्पताल, सड़क और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं को ज़मीन पर लाए. आने वाले चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी इस भरोसे को जीतेगी?.

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