हाजीपुर, वैशाली जिले में कालाजार रोग के उन्मूलन (एलिमिनेशन) की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है. जिले में कालाजार फिर से पैर न पसारे, इसके लिए चलाया जा रहा रोगी खोज अभियान गुरुवार को समाप्त हो गया. राहत की बात यह है कि इस अभियान के तहत अब तक एक भी नए कालाजार रोगी की पुष्टि नहीं हुई है. हालांकि, महुआ में एक कालाजार के संदिग्ध मरीज की पहचान हुई है, जिसकी जांच महुआ अनुमंडल अस्पताल में की जाएगी. यह दर्शाता है कि स्वास्थ्य विभाग सतर्क है और किसी भी संभावित मामले को तुरंत पकड़ने की कोशिश कर रहा है.
जिला वेक्टर बोर्न डिजिज नियंत्रण पदाधिकारी (VBDCO) डॉ. गुड़िया कुमारी ने बताया कि साल 2022 से लेकर अप्रैल 2025 तक वैशाली जिले के 13 प्रखंडों में कुल 72 कालाजार रोगी पाए गए थे, जिनका सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है. यह आंकड़े दिखाते हैं कि कालाजार एक समय जिले में एक चुनौती था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों से इस पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है. इस साल, यानी 1 जनवरी से 31 मई तक, जिले के भगवानपुर प्रखंड में 7 कालाजार के रोगी मिले हैं. इनमें से 4 को कालाजार (वीएल) और 3 को चर्म कालाजार (पीकेडीएल) बताया गया है. इन सभी मरीजों का भी इलाज किया जा रहा है.
2022 से अप्रैल 2025 तक भगवानपुर प्रखंड में 7 कालाजार रोगी मिले थे. इसके अलावा, बिदुपुर में 4, चेहराकलां में 5, हाजीपुर में 5, गोरौल में 1, जंदाहा में 4, लालगंज में 4, महनार में 1, महुआ में 9, पातेपुर में 4, राघोपुर में सबसे ज्यादा 11, सहदेई बुजुर्ग में 1 और वैशाली प्रखंड में 2 कालाजार रोगी पाए गए थे. इन सभी का सफल इलाज किया जा चुका है. उन्होंने यह भी बताया कि इन्हीं 13 प्रखंडों के 57 गांवों में कालाजार रोगी खोज अभियान चलाया जा रहा था. इस अभियान को सफल बनाने के लिए 65 आशा कार्यकर्ता और 48 आशा फैसिलिटेटर को लगाया गया था. राज्य, जिला और प्रखंड स्तर पर इस अभियान की लगातार निगरानी की जा रही थी.
जिला वीबीडीसीओ डॉ. गुड़िया ने जानकारी दी कि 57 गांवों के 13,506 आवासीय परिसरों में जाकर आशा कार्यकर्ता कालाजार के लक्षणों, जैसे 15 दिन या उससे अधिक समय से बुखार वाले मरीजों की पहचान कर रही थीं. इस रोगी खोज अभियान के दौरान कुल 67,530 आबादी के बीच सर्वेक्षण किया गया. वीबीडीसी धीरेंद्र कुमार ने बताया कि कालाजार खोज के दौरान किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की पहचान होने पर उसकी तुरंत जांच की जाएगी. जांच में कालाजार की पुष्टि होने पर सिंगल डोज दवा से उसका इलाज किया जाएगा. कालाजार उन्मूलन को सुनिश्चित करने के लिए पहले से प्रभावित गांवों में सिंथेटिक पैराथ्राइड नामक दवा का छिड़काव भी कराया गया है. यह दवा कालाजार फैलाने वाले कीटों को नियंत्रित करने में सहायक है. इस तरह के सक्रिय कदम यह सुनिश्चित करते हैं कि वैशाली जिला कालाजार मुक्त बना रहे.
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