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Vaishali News: 309 ATM, 234 सिम, 53 आधार कार्ड और 35 सरकारी फाइलें... वैशाली से लिखी जा रही थी क्राइम की नई इबारत, पुलिस ने कर दिया खुलासा

Vaishali News: वैशाली पुलिस ने साइबर ठगी के दो अपराधियों को गिरफ्तार किया है. उनके पास से पुलिस ने 309 ATM, 234 सिम, 53 आधार कार्ड और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से जुड़ी 35 सरकारी फाइलें बरामद की हैं.

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वैशाली पुलिस
वैशाली पुलिस
K Raj Mishra|Updated: Apr 15, 2025, 11:44 AM IST
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Vaishali Cyber Crime: बिहार की वैशाली पुलिस ने साइबर क्राइम के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश करने में कामयाबी हासिल की है. पुलिस को काफी दिनों से साइबर क्राइम की शिकायतें मिल रही थीं. हाल ही में पुलिस को सूचना मिली थी कि काजीपुर थाना क्षेत्र के पहेतीया गांव में कुछ लोग अपने घर से साइबर क्राइम का नेटवर्क चला रहे हैं और लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं. इन्ही सूचनाओं पर पुलिस ने गांव में रेड मारी. इस दौरान पुलिस ने मनदीप कुमार और निखिल कुमार को हिरासत में लिया. उनसे पूछताछ के आधार पर जो कुछ मिला, उसे देखकर पुलिसवाले भी हैरान रह गए. दरअसल, पुलिस को मौके पर 309 ATM, 234 सिम, 53 आधार कार्ड और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से जुड़ी 35 सरकारी फाइलें बरामद हुईं.

इतना ही नहीं पुलिस को मौके से मोबाइल माइक्रो चीफ एटियन हैंडलर और फिंगरप्रिंट स्कैनर भी मिले. पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि वह इनके जरिए लोगों को चूना लगाने का काम करते थे. उनके निशाने पर ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर और बेरोजगार युवा रहते थे. वह बेरोजगार युवकों को जॉब कार्ड बनवाने और मजदूरों को मनरेगा जैसी स्कीमों का लालच देकर ठगने का काम करते थे. वह फर्जी तरीके से लोगों का मनरेगा कार्ड बना देते थे और उसका पैसा खुद उठाते थे. अब पुलिस जब्त किए गए लैपटॉप से बाकी फ्रॉड की पूरी गुत्थी को सुलझाने में लगी हुई है.

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इस घटना को लेकर साइबर डीएसपी चांदनी सुमन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को बताया कि आरोपी ‘दानवी फाइनेंस सर्विस लिमिटेड’ नाम की फर्जी कंपनी के जरिये लोगों से लोन देने के नाम पर दस्तावेज लेकर ठगी करते थे. कंपनी का कोई वैध लाइसेंस नहीं पाया गया है. इसके अलावा वे मनरेगा योजना में मजदूरों की रकम भी हड़प लेते थे. आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे मजदूरों के नाम पर फिनो पेमेंट बैंक में खाते खुलवाते थे और जब मनरेगा की राशि आती थी तो मजदूरों को थोड़ा पैसा देकर शेष राशि खुद के खाते में या किसी और के खाते में ट्रांसफर कर लेते थे.

रिपोर्ट- रवि मिश्रा

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