2008 के अधिवक्ता रत्नाकर मिश्रा अपहरण कांड में बगहा कोर्ट ने सोमवार को कुख्यात डकैत राजेंद्र चौधरी को आजीवन कारावास और 10,000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई. 24 अक्टूबर, 2008 को मिनी चंबल के रूप में बदनाम बगहा के सेमरा इलाके में डकैतों ने घर का दरवाजा तोड़कर अधिवक्ता रत्नाकर मिश्रा का अपहरण कर लिया था. सोमवार को बगहा ADJ 4 मानवेंद्र कुमार मिश्रा की अदालत ने इसी मामले में डकैत राजेंद्र चौधरी को सजा सुनाई.
अपर लोक अभियोजन पदाधिकारी मन्नू राव ने कोर्ट के फैसले के बारे में बताया कि 24 अक्टूबर, 2008 को अधिवक्ता रत्नाकर मिश्रा अपने घर में सोए हुए थे. आधी रात को आधा दर्जन डकैत घर का दरवाजा तोड़कर घुस गए और उनका अपहरण कर लिया. अधिवक्ता की पत्नी रंजू देवी ने इस मामले में सेमरा थाना में कांड संख्या 101/2008 दर्ज कराया था. पिछले कुछ साल से इस मामले की सुनवाई चल रही थी.
प्रभारी APP प्रभु प्रसाद ने बताया कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने दस्यु सरगना राजेंद्र चौधरी को आजीवन कारावास समेत 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई. APP ने कहा कि इस फैसले से अपराधियों में डर का माहौल बनेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को अंजाम देने से पहले लोग सौ बार सोचेंगे.
बता दें कि जंगल राज़ में चम्पारण मिनी चंबल के नाम से कुख्यात हो चला था. यहां आए दिन किसी न किसी के यहां डकैती या फिर अपहरण की वारदात आम बात होती थी. तब फिरौती के लिए अपहरण एक उद्योग बन गया था. हालांकि नीतीश सरकार के आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजना के तहत बगहा के तत्कालीन एसपी विकास वैभव ने डकैतों से लोहा लिया औऱ क्षेत्र को डकैतों के चंगुल से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई थी.
रिपोर्ट: इमरान अजीज
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