Chanpatia Vidhan Sabha Seat: बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए रस्साकशी शुरू हो चुकी है. हर दल और नेता अपना नफा-नुकसान देखते हुए अपनी-अपनी दांवपेंच चलने में जुटे हैं. इसी कड़ी में पश्चिम चंपारण की चनपटिया विधानसभा सीट पर पिछले 25 सालों से भगवा लहरा रहा है, लेकिन इस बार बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. दरअसल, बीजेपी के पूर्व विधानसभा प्रकाश राय इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं. इसके लिए उन्होंने जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है. बता दें कि 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की टिकट पर प्रकाश राय ने जीत हासिल की थी, लेकिन 2020 में पार्टी ने उनका टिकट काटकर उमाकांत सिंह को प्रत्याशी बनाया था. उमाकांत सिंह ने 13 हजार 469 वोटों से प्रचंड जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक रंजन को हराया था. इस चुनाव में उमाकांत सिंह को 83 हजार 828 वोट हासिल हुए थे.
इस बार पूर्व विधायक प्रकाश राय ने साफ कहा है कि अगर पार्टी उनको टिकट नहीं देगी तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने अपना जनसंपर्क अभियान भी तेज कर दिया है. पूर्व विधायक प्रकाश राय के इस तेवर से बीजेपी में हड़कंप मच गया है. बता दें कि पूर्व विधायक प्रकाश राय भूमिहार जाति के बड़े नामों में से एक हैं. पार्टी में वे एक ऐसा नेता हैं, जिनको मुस्लिम समुदाय का भी वोट मिलता है. इसके अलावा भूमिहार, ब्राह्मण और वैश्य जाति के वोटरों के बीच पूर्व विधायक प्रकाश राय की काफी लोकप्रियता है. उनके कार्यकाल में चनपटिया विधानसभा में काफी काम हुए थे. उनके कार्यकाल में क्षेत्र में इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक कॉलेज और चनपटिया स्टार्टअप की धूम मची थी. इलाके में सड़क और बिजली के काम हुए थे. इसके बावजूद पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था. इसका कारण लोगों को समझ नहीं आया था.
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सियासी जानकारों का कहना है कि चुनाव से पहले कोरोना पॉजिटिव हो जाने के कारण उनका टिकट कट गया था. हालांकि, इस बार प्रकाश राय हर हाल में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. प्रकाश राय के अलावा बीजेपी प्रतीक शर्मा भी इसी क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे है. वहीं पूर्व बीजेपी नेता और फेमस यूट्यूबर मनीष कश्यप भी इसी विधानसभा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. सियासी जानकारों का कहना है कि चनपटिया विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए आसान नहीं है. लोगों का कहना है कि अगर प्रकाश राय बागी होकर चुनाव लड़ते हैं, तो बीजेपी का खेल बिगड़ सकता है.
जातीय समीकरण
चनपटिया विधानसभा सीट पर ब्राह्मण और यादव वोटरों का दबदबा है. मुस्लिम वोटरों की भी अच्छी संख्या हैं. इसके अलावा भूमिहार और कोइरी भी निर्णायक भूमिका में हैं. बंद पड़ी चीनी मिल इस क्षेत्र का बड़ा मुद्दा है. इसके अलावा स्टील प्रोसेसिंग यूनिट बंद पड़ा है. रोजगार के साधन नहीं होने के कारण यहां पलायन सबसे बड़ी समस्या है. हर गांव से 70% लोग बाहर कमाने जाते हैं. इलाके में कोई डिग्री कॉलेज नहीं है. स्वास्थ्य के लिए कोई अच्छा अस्पताल नहीं है.