West Singhbhum News: चाईबासा: एक मां की ममता जब मानसिक अस्थिरता के अंधेरे में डूब जाए, तो उससे जन्म लेने वाली पीड़ा शब्दों में बयान नहीं की जा सकती. झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर प्रखंड के गोपीनाथपुर गांव की एक घटना आज भी लोगों के दिलों को झकझोर देती है, जहां पांच वर्ष पहले एक मानसिक रूप से बीमार मां ने अपनी ही मात्र एक साल की मासूम बच्ची का एक हाथ और एक पैर काट डाला था. आज वह बच्ची, सुहानी माझी, छह वर्ष की हो चुकी है. सुहानी की दर्द भरी जिंदगी ऐसी है कि वह न तो ठीक से चल सकती है, न ही एक हाथ से अपने छोटे-छोटे काम खुद कर पाती है. पिता भागवत माझी दिहाड़ी मजदूरी कर किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, लेकिन गरीबी और लाचारी के बीच सुहानी की मासूम आंखों में आज भी भविष्य के सपने पलते हैं. जिन्हें अब उम्मीद मिलती नजर आ रही है.
ये भी पढ़ें: मौसम ले रही करवट, लू जैसी स्थिति की चेतावनी, आज 4 जिलों में IMD रेन अलर्ट जारी
चक्रधरपुर के समाजसेवी सदानंद होता की संस्था सुमिता होता फाउंडेशन ने सुहानी की दुर्दशा की जानकारी मिलते ही गोपीनाथपुर गांव पहुंचकर बच्ची से और उसके परिवार से मुलाकात की. श्री होता ने कहा "यह बेहद दर्दनाक है कि बच्ची के इलाज के बाद भी उसे कृत्रिम (आर्टिफिशियल) हाथ-पैर नहीं लगाया गया. अब बच्ची बड़ी हो गई है और फाउंडेशन उसके लिए कृत्रिम अंग उपलब्ध कराएगा. साथ ही उसकी पढ़ाई का पूरा जिम्मा भी संस्था उठाएगी." उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए एस्पायर संस्था से बातचीत चल रही है, जहां सुहानी और उसकी बड़ी बहन शिवानी माझी दोनों का छात्रावास में नामांकन कराया जाएगा, ताकि वे शिक्षा से वंचित न रहें, लेकिन सबसे दुखद पहलू यह है कि दिव्यांगता के प्रमाण-पत्र के लिए दो बार आवेदन देने के बावजूद अब तक बच्ची को दिव्यांगता प्रमाण-पत्र नहीं मिला, जिसके चलते उसे किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा.
ये भी पढ़ें: एंबुलेंस में मरीज को तड़पता छोड़ भागा चालक, इलाज के अभाव में व्यक्ति की दर्दनाक मौत
इस मुद्दे पर समाजसेवी सदानंद होता ने स्थानीय प्रशासन और प्रखंड कार्यालय से त्वरित कार्रवाई की अपील की. गांव के मुखिया सेलाई मुंडा ने मौके पर ही आश्वासन दिया कि “बच्ची का प्रमाण पत्र शीघ्र बनवाया जाएगा और उसे हर सरकारी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. इस मार्मिक घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है क्या हमारे समाज और प्रशासन की संवेदनाएं केवल हादसे के वक्त तक सीमित रह गई हैं? हालांकि, सुमिता होता फाउंडेशन और स्थानीय समाजसेवियों की पहल इस बात की मिसाल है कि जहां दर्द है, वहां राहत की कोई न कोई राह निकल ही आती है.
इनपुट - आनंद प्रियदर्शी
झारखंड की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहाँ पढ़ें Jharkhand News in Hindi और पाएं Jharkhand latest news in hindi हर पल की जानकारी । झारखंड की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार। जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!