trendingNow12378617
Hindi News >>देश
Advertisement

Vidisha: डीएम ने बीजा मंडल के मंदिर को बताया था मस्जिद? नप गए विदिशा के जिला कलेक्टर

Vidisha mandir: भोजशाला के बाद मध्य प्रदेश में एक नया विवाद सामने आया है.  इस बार विवाद यहां के विदिशा में प्राचीन विजय सूर्य मंदिर को लेकर खड़ा हुआ है. फिलहाल इस मंदिर का प्रबंधन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) करता है और विवाद भी एएसआई के एक लेटर की वजह से हुआ है. बात निकली तो दूर तक गई. कलेक्टर साहब ने इस मामले पर कुछ ऐसा कह दिया कि उनकी बदली हो गई.

Vidisha: डीएम ने बीजा मंडल के मंदिर को बताया था मस्जिद? नप गए विदिशा के जिला कलेक्टर
Shwetank Ratnamber|Updated: Aug 11, 2024, 11:43 AM IST
Share

Vijay Surya Mandir Controversy: एक प्रचलित मुहावरा है- तोल-मोल के बोलना, यानी कोई भी बात कहने या बताने से पहले उसका आगा-पीछा सोचना. बड़े-बूढ़े यही कहते आए हैं, 'कम बोलो-मीठा बोलो.' जमाना चाहे कितना बदल गया लेकिन इन बातों के मायने नहीं बदले. यहां ये जिक्र इसलिए क्योंकि कुछ ऐसा ही करने की वजह से एमपी के विदिशा जिले की कमान संभाल रहे कलेक्टर साहब की बदली हो गई. नागपंचमी के त्योहार के दिन विजय सूर्य मंदिर/बीजामंडल मंदिर है या मस्जिद? जैसे विषय पर उन्होंने जो एक्शन लिया उसके रिएक्शन में बात बिगड़कर मुख्यमंत्री दफ्तर (CMO) तक चली गई थी. 

क्यों नपे कलेक्टर?

मध्य प्रदेश के विदिशा में बीजा मंडल मंदिर-मस्जिद विवाद के बाद विदिशा कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य को हटा दिया गया है. विदिशा कलेक्टर ने मंदिर मस्जिद विवाद के बाद  बीजा मंडल में पूजा अर्चना पर रोक लगा दी थी. हलांकि नाग पंचमी के मौके पर बीजा मंडल में भारी संख्या में लोग पूजा अर्चना के लिए पहुंचे हुए थे. लेकिन प्रशासन की रोक की वजह से वो पूजा नहीं कर सके थे. ज़ी न्यूज की टीम बीजा मंडल के अंदर से ग्राउंड रिपोर्ट दिखाई थी. उसमें हमारी टीम ने मंदिर के LIVE सबूत दिखाए थे. सैकड़ों लोगों की भीड़ कलेक्टर के आदेश के बाद वहां पूजा अर्चना नहीं कर सकी थी. 

-कलेक्टर साहब ने बीजामंडल में पूजा अर्चना पर रोक लगाई थी.

-पूजा-अर्चना करने पर 2 साल की जेल का प्रावधान था.

-एक लाख का जुर्माना और सजा का नियम बताया था.

-पूरा का पूरा बीजा मंडल कैंपस ASI के अधिकार में है

क्या है विवाद की वजह

एएसआई भोपाल सर्कल की वेबसाइट का कहना है कि मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर के खंडहर पर किया गया था. स्तंभ पर पाए गए शिलालेखों में से एक से इस बात की पुष्टि होती है कि यह देवी चर्चिका का मंदिर था.माना जाता है कि इसे 11वीं-12वीं शताब्दी में सूर्य देव के सम्मान में बनाया गया था. मुगलकाल में औरंगजेब के शासनकाल में मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा. 17वीं शताब्दी में इसे मस्जिद के रूप में पुनर्निर्मित किया गया. मराठा शासन के दौरान मस्जिद को दूसरी जगह ले जाया गया. 1934 में मंदिर के खंडहरों की खोज ने हिंदू महासभा के नेतृत्व में इसके संरक्षण के लिए एक आंदोलन शुरू किया.

तब से इस मंदिर को साल में बस एक बार नाग पंचमी पर पूजा के लिए खोला जाता है. 1965 में सांप्रदायिक तनाव को दूर करने के लिए, तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्रा ने मुसलमानों के लिए यहां एक अलग ईदगाह की स्थापना की. बस यहीं से विवाद ने तूल पकड़ लिया. इसके बाद से हिंदूवादी संगठन लगातार एमपी की राज्य सरकार और केंद्र की  मोदी सरकार से  'बीजामंडल विजय मंदिर' को नियमित पूजा के लिए खोलने की मांग कर रहे हैं.

Read More
{}{}