South Mission Of BJP: ऐसा लग रहा है कि बीजेपी के संगठनात्मक चुनाव की हलचल अपने अंतिम चरण में है. इधर मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल समाप्त होने को है. अब चर्चा इस बात की हो रही है कि अगला बीजेपी अध्यक्ष कौन होगा. इस दौड़ में दक्षिण भारत से तीन प्रमुख नेताओं के नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं. पार्टी के लिए यह फैसला खास होगा क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद अब बीजेपी की नजर दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने पर है. पार्टी नेतृत्व ऐसे किसी नेता को अध्यक्ष पद सौंप सकता है जो इस चुनौती को प्रभावी तरीके से संभाल सके. देखना है कि बीजेपी अपने इस फैसले से कैसे चौंका सकती है. साथ ही उन तीनों नामों की चर्चा भी जान लेते हैं.
दरअसल बीजेपी अध्यक्ष पद की दौड़ में 3 नाम प्रमुखता से चल रहे हैं. सबसे पहला नाम जी किशन रेड्डी का है. वर्तमान में केंद्रीय कोयला मंत्री रेड्डी, तेलंगाना के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं. वह पहले तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष भी रह चुके हैं और संगठन के कामकाज में उनकी सक्रियता रही है. रेड्डी का ओबीसी समुदाय से आना और संगठन पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है. तेलंगाना में हाल ही में हुए चुनावों में बीजेपी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिसमें रेड्डी की रणनीतिक भूमिका रही.
दूसरा बड़ा नाम बंडी संजय कुमार का है जो इस समय केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हैं. बंडी संजय तेलंगाना के करमनगर से सांसद हैं और राज्य में हिंदुत्व की राजनीति को मजबूती देने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने बतौर प्रदेश अध्यक्ष कई आक्रामक आंदोलन किए. जिससे बीजेपी को तेलंगाना में नई पहचान मिली. उनका जमीनी संगठन कौशल और कार्यकर्ताओं में लोकप्रियता उन्हें इस रेस में आगे रखती है.
तीसरे बड़े दावेदार प्रह्लाद जोशी हैं जो इस समय केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री हैं. कर्नाटक से आने वाले जोशी ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और पार्टी में सीनियर नेता माने जाते हैं. कर्नाटक में बीजेपी के सत्ता से बाहर होने के बाद अब पार्टी राज्य में दोबारा वापसी की रणनीति बना रही है. जोशी का अनुभव और सरकार के साथ उनकी अच्छी तालमेल उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है.
बीजेपी ने उत्तर और पश्चिम भारत में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है लेकिन दक्षिण भारत अभी भी एक चुनौती बना हुआ है. कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में पार्टी को और विस्तार की जरूरत है. दक्षिण भारतीय राज्यों में बीजेपी का वोट शेयर अब भी कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों से पीछे है. ऐसे में पार्टी नेतृत्व किसी दक्षिण भारतीय नेता को कमान सौंपकर इस क्षेत्र में अपनी पकड़ को मजबूत करना चाहता है. इससे स्थानीय मतदाताओं के बीच एक सकारात्मक संदेश जाएगा और पार्टी के विस्तार की संभावना बढ़ेगी.
बीजेपी के नए अध्यक्ष को केवल दक्षिण भारत ही नहीं बल्कि पूरे देश में संगठन को मजबूत करने की चुनौती होगी. पार्टी को नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में अपनी पकड़ और मजबूत करनी होगी जहां अब भी कई समुदायों में उसे स्वीकृति बनाने की जरूरत है. इसके अलावा युवा नेतृत्व को आगे लाना और पार्टी की डिजिटल रणनीति को और प्रभावी बनाना भी अहम कार्य होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी के बाद पार्टी की अगली रणनीति और नेतृत्व की दिशा इसी चुनाव से तय होगी.
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