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अब बंगाल की बारी.. आखिर 'दिल्ली इफेक्ट' को कैसे भुनाने वाली है BJP, कुछ यूं तैयार हो रहा ब्लूप्रिंट

BJP Bengal Strategy: 2011 में ममता बनर्जी ने 34 साल पुरानी लेफ्ट सरकार को हटाकर सत्ता हासिल की थी. अब बीजेपी इस नैरेटिव को गढ़ने की कोशिश कर रही है कि ममता सरकार भी उसी राह पर चल पड़ी है.

अब बंगाल की बारी.. आखिर 'दिल्ली इफेक्ट' को कैसे भुनाने वाली है BJP, कुछ यूं तैयार हो रहा ब्लूप्रिंट
Gaurav Pandey|Updated: Feb 16, 2025, 11:37 AM IST
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Delhi Effect in Bengal Elections: दिल्ली में 27 साल बाद मिली जीत के बाद बीजेपी अब इस फॉर्मूले को पश्चिम बंगाल में आजमाने की तैयारी कर रही है. पार्टी का मानना है कि दिल्ली में मिली सफलता के पीछे मजबूत उम्मीदवारों के साथ-साथ चुनावी प्रबंधन और माइक्रोमैनेजमेंट की अहम भूमिका रही. अब यही रणनीति बंगाल में भी अपनाई जाएगी जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी का संगठन पहले से ही मैदान में उतर चुका है और पूरी योजना के साथ चुनावी मोर्चा संभालने की तैयारी कर रहा है. इसका ब्लूप्रिंट की है.. इसे समझा जान जरूरी है.

कैसे बनाया जा रहा माहौल? 
असल में पश्चिम बंगाल में एक वरिष्ठ बीजेपी नेता के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कुछ बातें शेयर की गई है. उनका कहना है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार के खिलाफ जो एंटीइनकंबेंसी थी. वैसा ही माहौल पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ देखा जा सकता है. पार्टी का फोकस यह सुनिश्चित करने पर होगा कि जनता को बार-बार बताया जाए कि जो समस्याएं वे रोजाना झेल रहे हैं. वे ममता सरकार की नीतियों की वजह से हैं. पार्टी का मानना है कि अगर यह संदेश सही ढंग से जनता तक पहुंचा दिया जाए. तो चुनावी गणित बीजेपी के पक्ष में बन सकता है.

मुद्दों को भुनाने की तैयारी
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता जितना ज्यादा बयानबाजी कर रहे थे उतना ही बीजेपी को फायदा हो रहा था. इसी तरह बीजेपी पश्चिम बंगाल में भी ऐसे मुद्दों को भुनाने की तैयारी कर रही है जो जनता के बीच चर्चा का विषय बन सकें. इसके अलावा भ्रष्टाचार का मुद्दा भी बीजेपी की रणनीति में अहम भूमिका निभाएगा. दिल्ली चुनाव में जिस तरह भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाया गया उसी तरह बंगाल में भी टीएमसी सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया जाएगा.

मुद्दा नया हो या पुराना.. नैरेटिव गढ़ने की तैयारी 
ओडिशा चुनाव का उदाहरण देते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि वहां 'बाहरी' का मुद्दा उठाकर बीजेपी को फायदा मिला था. नवीन पटनायक के खासमखास रहे वीके पांडियन को मुद्दा बनाकर पार्टी ने चुनावी नैरेटिव सेट कर लिया था. पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी इसी तरह की रणनीति पर काम कर सकती है जहां पार्टी किसी नए मुद्दे को उठाकर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करेगी. 

मुख्य मुकाबले में आ गई है बीजेपी.. लेफ्ट कहां है?
2011 में ममता बनर्जी ने 34 साल पुरानी लेफ्ट सरकार को हटाकर सत्ता हासिल की थी लेकिन अब बीजेपी इस नैरेटिव को गढ़ने की कोशिश कर रही है कि ममता सरकार भी उसी राह पर चल पड़ी है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बंगाल में 18 सीटें जीती थीं, जो उसके लिए बड़ा उत्साहवर्धक था. हालांकि, 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी सत्ता बचाने में सफल रहीं. लेकिन बीजेपी 77 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी दल बन गई.

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