Bombay High Court: अदालत में कामकाज का बोझ कितना ज्यादा है और जज कैसे इसका सामना कर रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण बांबे हाईकोर्ट के जज के एक मामले में मिला है. हाईकोर्ट जज ने खुलासा किया है कि वो ऑफिस में कोर्ट टाइम के बाद भी रोज दो ढाई घंटे तक ओवरटाइम करते हैं. उसके बाद घर जाकर भी देर रात केस स्टडी करते हैं और देर रात दो बजे तक केस से जुड़ी फाइलें पढ़ते रहते हैं. जस्टिस माधव जामदार ने 85 पन्नों का एक अदालती आदेश छह महीने में अपलोड हो पाने की वजह भी उसी ऑर्डर में बताई.
हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने कहा, न्यायिक कामकाज बहुत ज्यादा होने की वजह से ऐसा हुआ है. यह केस पुणे में एक संपत्ति विवाद से जुड़ा था.इस अदालत आदेश को 19 दिसंबर को कोर्ट ने सुनाया था.हालांकि ऑर्डर की कॉपी 30 मई 2025 को अपलोड हो पाई.
जज ने अपने आदेश में लिखा, वो रोज रात दो बजे तक मुकदमों से जुड़ी फाइलें पढ़ते रहते हैं. सुबह एक घंटे तक केस से जुड़े कागजात पढ़ते हैं. फिर शनिवार-रविवार और छुट्टी के दिन भी ऑफिस में जरूरी कामकाज निपटाते में लगे रहते हैं.
अदालती आदेश में देरी की वजह
जस्टिस माधव जमदार नेबताया, वो रोजाना कामकाजी दिनों में नियमित अदालती समय के बाद भी दो से ढाई घंटे अलग से काम करते हैं और रात 10:30 से 11:30 बजे के तक ही कोर्ट चैंबर से घर जा पाते हैं. रात दो बजे तक मुकदमे की फाइलें पढ़ने में लग जाते हैं. सुबह भी एक घंटे यही काम करते हैं. इसी वजह से इस ऑर्डर की अपलोडिंग में देरी हुई.
जस्टिस जमदार इससे पहले भी सुर्खियों में थे, जब उन्होंने एक वकील द्वारा उनकी पत्नी को फोन कॉल की जांच के आदेश दिए थे.ऑर्डर के बाद बेंच ने उस केस की आगे सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया था
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