DNA Analysis: DNA मित्रों हमने आपको विस्तार से बताया कि कैसे अब तक कुछ लोग अबकर को महान बताते रहे हैं. ये एक खास तरह का नजरिया औऱ खास तरह का नैरेटिव है. इसी नैरेटिव के लोग देश के खलनायक को नायक बनाने की बौद्धिक जुगाली भी करते हैं. इसके लिए तथ्य गढ़ते हैं और फिर उन तथ्यों को विमर्श में आगे बढ़ाते हैं.
DNA मित्रों मोहम्मद अली जिन्ना ये नाम सुनकर आपने मन-मस्तिष्क में कौन से शब्द आए. यकीनन खलनायक, भारत के विभाजन का जिम्मेदार, भारत का दुश्मन, जैसे शब्द आए होंगे. आज हमने जिन्ना का जिक्र इसलिए किया क्योंकि जैसे कुछ लोगों के लिए अकबर ग्रेट था. वैसे ही जिन्ना भी ग्रेट है. हम पाकिस्तान की बात नहीं कर रहे हैं. हम भारत के कुछ लोगों की बात कर रहे हैं. और आज हम ये बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने पूछा है कि दादर के सावरकर सदन को धरोहर का दर्जा देने के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार का रुख क्या है?
#DNAWithRahulSinha | महाराष्ट्र सरकार के लिए सावरकर ग्रेट नहीं? जिन्ना हाउस हेरिटेज, 'सावरकर सदन' क्यों नहीं?
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— Zee News (@ZeeNews) July 16, 2025
कोर्ट ने पूछा है कि आखिर BMC की पुरानी सिफारिश के आधार पर सावरकर सदन को धरोहर संरचना घोषित करने में क्या परेशानी है. विवाद को समझने के लिए इसका संदर्भ समझना भी जरूरी है. मुंबई में ही मोहम्मद अली जिन्ना के घर जिन्ना हाउस को हेरिटेज का दर्जा हासिल है. लेकिन सावरकर सदन को हेरिटेज का दर्जा नहीं मिला है. DNA मित्रों सोचिए. देश के दो टुकड़े करनेवाले जिन्ना का घर हेरिटेज है. लेकिन विभाजन के विरोधी वीर सावरकर का आवास हेरिटेज नहीं है.
धर्म के आधार पर अलग देश की मांग करने वाले जिन्ना का घर संरक्षित इमारत है. लेकिन सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए पूरा जीवन समर्पित करनेवाले वीर सावरकर की विरासत संरक्षित इमारत नहीं है. अंग्रेजों के समर्थन और सहयोग से राजनीति करनेवाले जिन्ना का घर हेरिटेज है. लेकिन अंग्रेजों के विरोध में 10 साल कालापानी की सजा भुगतनेवाले वीर सावरकर का घर संरक्षित इमारत नहीं है.
सोचिए ये कैसी ट्रेजडी है. जो हमारे इतिहास के नायक हैं. उन्हें पहले तो इतिहास के पन्नों से बाहर किया गया और अब उनकी विरासत को भी सुरक्षित और संरक्षित नहीं किया जा रहा है. सोचिए बाबर और अकबर तो आज से करीब 550 साल पहले हुए. उनके विषय में तथ्यों को लेकर बहस हो सकती है. बाबर-अकबर का इतिहास उस वक्त का है, जिसका कोई साक्षात गवाह हमारे सामने नहीं है. लेकिन वीर सावरकर तो हमारे निकट अतीत और स्वतंत्रता संग्राम के नायक हैं. उस कालखंड के गवाह को हमारे बीच रहे हैं. अब भी हमारे बीच हैं.
इसलिए ये सवाल है कि क्या सिस्टम जिन्ना का समर्थन करता है. आज सवाल उन लोगों से भी है जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम को देखा. आखिर उन लोगों ने जिन्ना और सावरकर का सच बयान क्यों नहीं किया. यहां हम आपको बताना चाहेंगे कि 28 मई 1970 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर पर डाक टिकट जारी किया था.
20 मई 1980 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने चिट्ठी लिखकर वीर सावरकर के शताब्दी समारोह के आयोजन की प्रशंसा की थी. इंदिरा गांधी ने अपनी चिट्ठी में वीर सावरकर को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध का प्रतीक बताया था.
26 फरवरी 2003 को संसद में वीर सावरकर का तैल चित्र लगाया गया. तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे. सोचिए जिस स्वंत्रता सेनानी पर डाक टिकट जारी हुआ. जिनका चित्र संसद में लगाया गया वैसे आजादी के महान योद्धा के घर को क्यों संरक्षित नहीं किया जा रहा है. DNA मित्रों वीर सावरकर का घर सिर्फ इमारत नहीं है. हमारी विरासत है. इसे संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है. लेकिन जिस विचारधारा ने अकबर को ग्रेट बताया, वही विचारधारा जिन्ना को सावरकर के ऊपर रखती है. तभी सिस्टम के समर्थन से जिन्ना का घर संरक्षित इमारत है लेकिन BMC की तरफ से 2012 में सिफारिश किए जाने के बाद भी सावरकर का घर संरक्षित नहीं हुआ.
सोचिए जिस विरासत को भविष्य के लिए स्वत: ही संरक्षित करना चाहिए था उसके लिए कोर्ट जाना पड़ रहा है. आज हम यही कहेंगे कि जो विचारधारा अकबर को महान मानती भी सिस्टम में आज भी वही विचारधारा प्रभावशाली है. इसलिए भारतीय संस्कृति से जुड़े लोग उनकी विरासत पीछे छूट रही है और जिन्ना हाउस संरक्षित इमारत है. आज हम ये जरूर कहेंगे कि सहिष्णु होना अच्छी बात है. लेकिन इतना भी सहिष्णु नहीं होना चाहिए की दुश्मन को नायक समझे और अपने नायकों की अनदेखी करें.
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