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10 सालों तक खाना नहीं खाया खाना...अब 26 साल की उम्र में हुई मौत, वैज्ञानिक भी है हैरान!

Viral News: ब्रिटेन से हैरान करने वाली खबर आई है. यहां टिया-मैकार्थी नाम की महिला 10 सालों से बगैर खाना का खाए ही रह रही थी. वो इस तरह से एक दो साल से नहीं बल्कि 26 सालों तक जिंदा रहीं और इसी साल 28 अप्रैल को उसकी मौत हो गई गई है.  इस खबर ने वैज्ञानिकों भी हैरान कर दिया.  

10 सालों तक खाना नहीं खाया खाना...अब 26 साल की उम्र में हुई मौत, वैज्ञानिक भी है हैरान!
Md Amjad Shoab|Updated: May 13, 2025, 06:37 PM IST
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Viral News: किसी इंसान को अगर एक वक्त का खाना न मिले, तो उसे तुरंत थकान और कमजोरी महसूस होने लगती है. लेकिन जरा सोचिए अगर कोई इंसान 10 साल तक खाना न खाए तो उसके साथ क्या होगा? दरअसल, ब्रिटेन की एक महिला जिसने अपने जीवन के पहले दशक यानी 10 सालों तक खाना नहीं खाया. हालांकि,  अब 26 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई है. लेकिन अभी तक ये पुष्टि नहीं हुई है उसकी मौत कैसे हुई है?

द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक ब्रिटिश महिला ने 10 सालों तक भोजन नहीं किया. उसकी 26 साल की उम्र में मौत हो गई है. लेकिन टिया-मै मैकार्थी ट्यूब के जरिए से भोजन दिया गया था. मैकार्थी की मां सू मैकार्थी ने बताया कि 28 अप्रैल को वो बिस्तर पर बेहोश पड़ी हुई थी. डॉक्टरों ने जांच करने के बाद बताया कि उसकी मौत हो गई है, हालांकि, मौत की क्या वजह है? यह पता लगाने के लिए परीक्षण किए जा रहे हैं.

उसके 22 साल के भाई दीन ने कहा।, 'कुछ भी असामान्य नहीं था. उसे थोड़ी खांसी थी. उसकी मानसिकता उसकी शारीरिक उम्र से बहुत कम थी, इसलिए वह स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकती थी या नौकरी नहीं कर सकती थी, लेकिन उसका जीवन बहुत बेहतर था. उसे घुड़सवारी का शौक था और वह वास्तव में कला और शिल्प में रुचि रखती थी.'

क्या है मामला?
मैकार्थी के मामले ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है. आखिर उन्हें अपने जीवन के पहले 10 सालों तक सोते वक्त एक ट्यूब के जरिए से पोषक तत्व मिल रहे थे. वक्त से 12 सप्ताह पहले जन्मी और एक किलोग्राम से भी कम वजन वाली टिया-मे को ओसोफेजियल एट्रेसिया नामक एक दुर्लभ जन्मजात बीमारी थी. रिपोर्ट के मुताबिक, ये बीमारी 40,000 बच्चों में से सिर्फ एक को प्रभावित करता है.'

चूंकि टिया-मै की ग्रासनली और पेट जुड़े हुए नहीं थे, इसलिए उसे तीन महीने की उम्र में ही ऑपरेशन से गुजरना पड़ा, जिसमें शरीर के दोनों अंगों को जोड़ा गया. मैकार्थी बताती हैं कि अपने जीवन के पहले साल में उनकी बेटी ने ज़्यादातर वक्त अस्पतालों में बिताया.

डॉक्टर हैरान
अन्य विकलांगताओं के बावजूद, डॉक्टर उसके खाना से इनकार करने के पीछे कोई कारण नहीं बता पाए. मैकार्थी को शक था कि यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या थी जो उसके जीवन के शुरुआती महीनों से ही शुरू हो गई थी. जब टिया ने कई बार सांस लेना बंद कर दिया था.

यह हैरान करने वाला मामला तब सुर्खियों में आया था जब 2006 में बनी एक डॉक्यूमेंट्री द गर्ल हू नेवर एट में भी इस कहानी को दिखाया गया था. इसके बाद उसकी मां उसे ऑस्ट्रिया के एक एक्सपर्ट्स के पास ले गई, जो अपने शोध को लेकर काफी विवादों में था, क्योंकि एक्सपर्ट्स एक रिसर्च प्रोग्राम चलाता था, इसमें पेसेंट को को भूखा रखा जाता था. जबकि टिया-मै ने पहली बार 10 साल की उम्र में खाना खाने की इच्छा जताई थी. वहीं, दिसंबर 2012 में उसे जिंदा रखने वाली नली को हटा दिया गया और 15 साल की उम्र तक वह सामान्य आहार लेने लगी. हालांकि, अपनी विकलांगता की वजह से वह कभी भी स्वतंत्र रूप से नहीं रह पाई.

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