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CAG Report: कैसे तैयार होती है CAG रिपोर्ट, क्यों दिल्ली में मचा सियासी घमासान? AAP और BJP आमने-सामने

CAG Report AAP vs BJP: दिल्ली की सियासत एक बार फिर गरमा गई है. इस बार मुद्दा है CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट है. जिसे लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) आमने-सामने हैं.

CAG Report: कैसे तैयार होती है CAG रिपोर्ट, क्यों दिल्ली में मचा सियासी घमासान? AAP और BJP आमने-सामने
Gunateet Ojha|Updated: Feb 25, 2025, 05:32 PM IST
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CAG Report AAP vs BJP: दिल्ली की सियासत एक बार फिर गरमा गई है. इस बार मुद्दा है CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट है. जिसे लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) आमने-सामने हैं. जब विधानसभा में इस रिपोर्ट को पेश किया गया तो सदन में हंगामा मच गया. भाजपा ने आरोप लगाया कि AAP सरकार ने जानबूझकर इस रिपोर्ट को दबाए रखा. ताकि उसमें दर्ज वित्तीय गड़बड़ियों को छिपाया जा सके. इसके जवाब में AAP ने भाजपा पर राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया. इस हंगामे के बीच सदन से कई विधायकों को बाहर कर दिया गया जिससे विवाद और बढ़ गया.

CAG रिपोर्ट क्या होती है और क्यों महत्वपूर्ण है?

CAG यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक.. भारत का शीर्ष सरकारी ऑडिटर होता है. जो सरकार के खर्च और कमाई की जांच करता है. इसका मुख्य काम यह देखना होता है कि सरकार ने जो पैसे खर्च किए वे सही तरीके से खर्च हुए या नहीं. यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि सरकार की योजनाएं कितनी प्रभावी रहीं और क्या उनमें सुधार की जरूरत है. जब यह रिपोर्ट संसद या विधानसभा में पेश की जाती है. तो इससे सरकार की जवाबदेही तय होती है और जनता को यह जानने का मौका मिलता है कि उनका पैसा कैसे इस्तेमाल किया गया.

कैसे तैयार की जाती है CAG रिपोर्ट?

CAG रिपोर्ट को तैयार करने की एक कठिन और विस्तृत प्रक्रिया होती है. इसके लिए सरकारी रिकॉर्ड की जांच की जाती है. अधिकारियों से बातचीत की जाती है. साइट विजिट किए जाते हैं और अलग-अलग योजनाओं के क्रियान्वयन का विश्लेषण किया जाता है. ऑडिट पूरा होने के बाद CAG संबंधित विभाग से प्रारंभिक रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया मांगता है. सरकार की सफाई और स्पष्टीकरण के बाद अंतिम रिपोर्ट तैयार होती है. जिसे संसद या विधानसभा में पेश किया जाता है. यह रिपोर्ट सरकार की कार्यशैली पर महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर सकती है इसलिए इसे लेकर अक्सर विवाद भी होते हैं.

दिल्ली में CAG रिपोर्ट पर बवाल क्यों?

CAG रिपोर्ट को लेकर दिल्ली में जो हंगामा मचा है उसकी जड़ में विधानसभा चुनावों से पहले रिपोर्ट को पेश करने में हुई देरी है. भाजपा का आरोप है कि AAP सरकार ने जानबूझकर CAG की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने में देरी की. क्योंकि इसमें सरकार की विफलताओं और वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है.

भाजपा ने AAP पर लगाए गंभीर आरोप

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पहले भी AAP सरकार से इन रिपोर्टों को सार्वजनिक करने के लिए कहा था. उन्होंने विधानसभा के विशेष सत्र में भी इस मुद्दे को उठाया था. लेकिन बावजूद इसके रिपोर्ट को पेश करने में देरी की गई. भाजपा ने इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार भ्रष्टाचार छिपाने की कोशिश कर रही थी.

क्या AAP सरकार ने गड़बड़ियों को छिपाने की कोशिश की?

इस विवाद के केंद्र में सबसे बड़ी बात मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के नवीनीकरण का मामला है. भाजपा ने आरोप लगाया कि इस परियोजना में भारी अनियमितताएं हुई हैं और सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है. CAG रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण के लिए 7.61 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया था. लेकिन अप्रैल 2022 तक यह खर्च बढ़कर 33.66 करोड़ रुपये हो गया. यानी दो साल में खर्च में 342 प्रतिशत की वृद्धि हो गई. भाजपा ने इसे 'शीश महल घोटाला' नाम दिया है और इसे AAP सरकार की भ्रष्टाचार नीति का प्रमाण बताया है.

..तब विजेंद्र गुप्ता ने किया था तगड़ा विरोध

इस मुद्दे को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता विजेंद्र गुप्ता ने विशेष रूप से जोरदार विरोध किया. वे पहले भी विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने पर सदन से बाहर कर दिए गए थे. लेकिन अब जब वह खुद विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी संभाल रहे हैं तो यह विवाद और भी गंभीर रूप ले चुका है.

CAG की लंबित रिपोर्टें और विवादित खुलासे

CAG ने दिल्ली सरकार से जुड़ी 14 अहम रिपोर्टों को विधानसभा में पेश किया. इनमें कई ऐसे मुद्दे शामिल हैं जो AAP सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. इन रिपोर्टों में दिल्ली की शराब नीति, वाहन प्रदूषण नियंत्रण योजनाएं, बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी सरकारी योजनाएं, स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन और दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के कामकाज पर विस्तृत ऑडिट किया गया था. इसके अलावा दिल्ली सरकार के वित्तीय लेन-देन और योजनाओं के क्रियान्वयन से जुड़ी रिपोर्टें भी पेश की गईं.

AAP सरकार कठघरे में

भाजपा ने इन रिपोर्टों के आधार पर AAP सरकार को कठघरे में खड़ा किया है और कहा है कि इनमें दिल्ली सरकार के कई विभागों में हुई अनियमितताओं का खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे कुछ योजनाएं कागजों पर ही रह गईं, सरकारी धन का सही उपयोग नहीं हुआ और कई जगह वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं.

अब आगे क्या?

CAG रिपोर्ट के आने के बाद दिल्ली की राजनीति में नए सिरे से घमासान शुरू हो गया है. भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां इस रिपोर्ट के आधार पर AAP सरकार पर हमला कर रही हैं. वहीं, AAP ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे भाजपा द्वारा गढ़ा गया राजनीतिक एजेंडा बताया है. यह साफ है कि CAG रिपोर्ट के खुलासों ने AAP के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है.

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