Calcutta High Court: कलकत्ता HC ने एक बुजुर्ग कपल को सहायक प्रजनन तकनीक (Reproductive Technology) के माध्यम से फिर से माता-पिता बनने की अनुमति दी है. हालांकि पति ने सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम, 2021 में निर्दिष्ट 55 वर्ष की ऊपरी आयु सीमा पार कर ली है. वह अब 59 साल के हैं. कपल के 19 वर्ष के बेटे ने पिछले साल सुसाइड कर ली थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने कहा कि वह इस मामले में अपवाद बना रही है क्योंकि उस व्यक्ति की पत्नी, (46 साल की उम्र) ने आयु सीमा क्रॉस नहीं की और कानून विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच अंतर नहीं करता.
अदालत ने कहा कि दंपत्ति बाहरी शुक्राणु और अंडाणु का उपयोग करके आईवीएफ के माध्यम से बच्चा पैदा करने के लिए स्वतंत्र हैं.
अदालत क्यों पहुंचा कपल
रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2023 में आत्महत्या के कारण अपने इकलौते बच्चे को खोने के बाद, कपल ने फिर से माता-पिता बनने के लिए एक प्राइवेट क्लिनिक से संपर्क किया.
क्लिनिक के डॉक्टरों ने महिला को ‘मेडिकली फिट और आईवीएफ की प्रक्रिया द्वारा अंडाणु दान के साथ बच्चे को जन्म देने के योग्य’ बताया.
कानूनी विवाद पति के साथ था, जिनकी उम्र 59 साल थी और जो आयु सीमा पार कर चुके थे. इसके बाद दंपति को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा.
अदालत ने और क्या कहा?
26 अप्रैल को अपने आदेश में, न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने कहा कि हालांकि अधिनियम मानव युग्मकों का उपयोग करने वाले सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी क्लीनिकों के कर्तव्यों को निर्धारित करता है, लेकिन यह कहीं भी निर्दिष्ट नहीं किया गया है कि युग्मकों को जोड़े द्वारा प्रदान किया जाना है.
जज ने कहा कि चूंकि दंपति ने ‘थर्ड-पार्टी डोनर’ के शुक्राणु का उपयोग करने की योजना बनाई है, इसलिए सहायक प्रजनन सेवाएं प्राप्त करने में पति पर कानूनी आयु सीमा का सवाल ही नहीं उठता.
(Photo – Symbolic)
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