केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 'घटिया' दवाओं की आपूर्ति के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का आदेश दिया है. पीटीआई-भाषा के मुताबिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. दिसंबर में दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के.सक्सेना ने गृह मंत्रालय से मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.
इससे पहले राज निवास के अधिकारियों ने कहा कि मुख्य सचिव नरेश कुमार को लिखे एक नोट में उपराज्यपाल ने उल्लेख किया कि यह चिंताजनक है कि ये दवाएं लाखों मरीजों को दी जा रही हैं.
‘मैंने फाइल का अध्ययन किया है’
कुमार को लिखे नोट में कहा गया है, ‘मैंने फाइल का अध्ययन किया है. यह गहरी चिंता की बात है. मैं इस तथ्य से व्यथित हूं कि लाखों असहाय लोगों और रोगियों को ऐसी नकली दवाएं दी जा रही हैं जो गुणवत्ता मानक संबंधी परीक्षणों में विफल रही हैं.’
उपराज्यपाल ने अपने नोट में कहा कि दिल्ली स्वास्थ्य सेवा (डीएचएस) के तहत केंद्रीय खरीद एजेंसी (सीपीए) द्वारा खरीदी गई ये दवाएं दिल्ली सरकार के अस्पतालों को आपूर्ति की गईं और हो सकता है कि इन्हें मोहल्ला क्लीनिक को भी आपूर्ति की गई हो.
सक्सेना ने अपने नोट में यह भी कहा कि ‘भारी बजटीय संसाधनों को खर्च करके खरीदी गई ये दवाएं सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं’ तथा ये ‘लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकती हैं.
स्वास्थ्य मंत्री ने की स्वास्थ्य सचिव को निलंबित करने की मांग
इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना और केंद्र से राज्य सरकार के स्वास्थ्य सचिव को तत्काल निलंबित करने की सिफारिश की थी. उन्होंने कहा मार्च 2023 में पदभार संभालने के बाद उन्होंने दवाओं, उपकरणों और उपभोग्य सामग्रियों के ऑडिट का आदेश दिया था, लेकिन स्वास्थ्य सचिव को बार-बार याद दिलाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई.
मंत्री ने दावा किया, ‘स्वास्थ्य सचिव ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और दवाओं की खरीद से संबंधित कोई ऑडिट नहीं कराया.’
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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