Chief Justice: भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ आज यानी गुरुवार को राष्ट्रीय न्यायिक संग्रहालय और अभिलेखागार (NJMA) के उद्घाटन समारोह में पहुंचे. यहां उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भी इस्तेमाल किया. यानी उन्होंने AI वकील से भारत में मृत्युदंड की वैधता पर सवाल पूछा. एआई वकील के ज्ञान का टेस्ट लेने के लिए चीफ जस्टिस ने पूछा,'क्या भारत में मृत्युदंड संवैधानिक है?' चीफ जस्टिस के सवाल पर AI ने संतोषजनक जवाब दिया. जिसके बाद चीफ जस्टिस वहां से आगे बढ़ गए.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ राष्ट्रीय न्यायिक संग्रहालय और अभिलेखागार पहुंचे. इस दौरान उनके साथ अन्य जज और वकील भी मौजूद थे. जिसके कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद AI का भी इस्तेमाल किया. AI वकील से उन्होंने पूछा कि क्या भारत में मृत्युदंड संवैधानिक है? जवाब में कहा,'भारत में मृत्युदंड संवैधानिक है. हालांकि यह सिर्फ दुर्लभ मामलों में ही होता है.' AI वकील ने आगे बताया,'कुछ विशेष दिशानिर्देशों के अनुसार ही लागू किया जाता है.' सीजेआई यह जवाब सुनकर आगे बढ़ गए.
#WATCH | Delhi | At the inauguration ceremony of the National Judicial Museum and Archive (NJMA) at the Supreme Court, Chief Justice of India DY Chandrachud interacts with the 'AI lawyer' and asks, "Is the death penalty constitutional in India?" pic.twitter.com/ghkK1YJCsV
— ANI (@ANI) November 7, 2024
इस मौके पर बोलते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि नया संग्रहालय सर्वोच्च न्यायालय के चरित्र और राष्ट्र के लिए इसके महत्व को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि संग्रहालय नई नस्ल के लिए एक इंटरैक्टिव जगह बने. उन्होंने कहा,'आप चाहते हैं कि स्कूल और कॉलेज के युवा बच्चे, नागरिक जो जरूरी नहीं कि वकील और न्यायाधीश हों, वे यहां आएं और न्यायालय में हर दिन सांस लेने वाली हवा में सांस लें, ताकि उन्हें कानून के शासन के महत्व और जजों/वकीलों के रूप में हम सभी द्वारा किए जाने वाले कामों का अनुभव हो.'
चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि संग्रहालय 'न्यायाधीश-केंद्रित' नहीं है. इसमें वे खंड हैं जिन्हें हमने संविधान सभा में देखा, जिन्होंने संविधान का निर्माण किया... बार के सदस्य जिन्होंने अपनी निडर वकालत से न्यायालय को आज जैसा बनाया है, उसमें योगदान दिया और मुझे यकीन है कि हम यहां अधिक से अधिक लोगों को ला पाएंगे. मैं बार के सभी सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि वे आएं और संग्रहालय देखें. मुझे उम्मीद है कि अगले सप्ताह में मेरे उत्तराधिकारी भी युवा पीढ़ी के लिए जगह खोलेंगे ताकि वे न्याय की उस सांस को ले सकें जो हम हर दिन सांस लेते हैं."
उन्होंने आगे कहा कि इस संग्रहालय की योजना बनाने में लगभग डेढ़ साल लगा. जबकि इस योजना को हकीकत में बनाने में लगभग 6 महीने लगे. उन्होंने बताया कि यह अदालत के काम के साथ-साथ किया गया है. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें अक्सर कलाकृतियों के ही म्यूजियम देखे हैं. उन्होंने कहा कि हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के बेहतरीन म्यूजियम की तर्ज पर एक ऐसा संग्रहालय चाहिए जो हमारे संस्थान और उच्च न्यायालयों के महत्व को दिखा सके.
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