Chinese Army: 'पेंटागन' ने अपनी रिपोर्ट में चीनी फौज को लेकर बड़ा दावा किया है. अमेरिका के प्रतिरक्षा विभाग मुख्यालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि चीन की सेना में भ्रष्टाचार ने उसके 2027 के सैन्य आधुनिकीकरण लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ने से रोक दिया है. पिछले साल से चीन की सेना में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाया जा रहा है और पिछले महीने रक्षा मंत्रालय ने कहा कि एक टॉप लेवल फौजी अफसर को निलंबित कर दिया गया है और 'अनुशासन के गंभीर उल्लंघन' के लिए जांच के दायरे में है.
पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई और दिसंबर 2023 के बीच कम से कम 15 हाई रैंकिंग वाले चीनी फौजी अफसरों और डिफेंस इंडस्ट्री के अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया गया. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के लिए रिपोर्ट में कहा गया है,'2023 में पीएलए ने करप्शन से जुड़ी जांच और सीनियर नेताओं को हटाने की एक नई कार्रवाई का सामना किया, जिसने 2027 के आधुनिकीकरण टार्गेट की दिशा में इसकी रफ्तार को बुरी तरह प्रभावित किया है.'
केंद्रीय खुफिया एजेंसी के चीफ समेत अमेरिकी अफसरों ने कहा है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेना को 2027 तक ताइवान पर आक्रमण करने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है. पेंटागन के मुताबिक चीन के 2027 आधुनिकीकरण लक्ष्यों में सैन्य सिद्धांतों, कर्मियों, हथियारों और उपकरणों में आधुनिकीकरण की रफ्तार को बढ़ावा देते हुए खुफिया मशीनीकरण समेत अन्य अहम चीजों के एकीकरण में तेजी लाना शामिल है.
नवंबर में चीन ने कहा कि एडमिरल 'मियाओ हुआ' अनुशासन के गंभीर उल्लंघन के लिए जांच के दायरे में थे. मियाओ वो अधिकारी हैं जिन्होंने देश के हाई लेवल मिलिट्री कमांड बॉडी, सेंट्रल मिलिट्री कमिशन में काम किया था. इसके अलावा वो उस आयोग के प्रमुख राजनीतिक अधिकारी भी थे जिसका नेतृत्व खुद शी जिनपिंग करते हैं. इसके अलावा मियाओ से निचली रैंक के अफसर रक्षा मंत्री डोंग जून भी जांच का सामना कर रहे हैं.
पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक एक दस्तावेज में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए एक संक्षिप्त नाम का इस्तेमाल करते हुए कहा गया है,'पीएलए ने आधुनिकीकरण के लिए अपने 2027 वाला टार्गेट हासिल करने असमान प्रगति की है. चीन अगर अपने इस लक्ष्य को हासिल कर लेता है तो पीएलए सीसीपी के ताइवान एकीकरण की कोशिशों के लिए ज्यादा विश्वसनीय सैन्य उपकरण बन सकता है.'
अक्टूबर में छपी ताइवान के शीर्ष सैन्य थिंक टैंक द्वारा एक सर्वे में कहा गया है कि ज्यादातर ताइवानी मानते हैं कि आने वाले पांच वर्षों में चीन हमला कर सकता है, लेकिन वे बीजिंग को लोकतांत्रिक देश के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में देखते हैं. पिछले पांच वर्षों में चीन की सेना ने ताइवान के आस-पास अपनी गतिविधियों को काफी हद तक बढ़ा दिया है, जिसे बीजिंग अपना क्षेत्र मानता है. ताइपे में सरकार की कड़ी आपत्तियों के बावजूद द्वीप को अपने कंट्रोल में लाने के लिए ताकत का इस्तेमाल भी जारी है.
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