MK Stalin News: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कथित तौर पर केंद्र सरकार की की प्रस्तावित परिसीमन योजना पर तंज किया. साथ उन्होंने राज्य में नवविवाहित जोड़ों से जल्द से जल्द परिवार बढ़ाने की अपील की. उन्होंने कहा कि पहले वे नवविवाहितों को कुछ वक्त लेने की सलाह देते थे, लेकिन अब बदलते हालात में यह संभव नहीं है. इसलिए परिवारों की योजना तुरंत अपनाई जाए. इतना ही, उन्होंने बच्चे को तमिल नाम देने की भी अपील की.
VIDEO | Tamil Nadu Chief Minister MK Stalin said he has changed his views on family planning and would not advise newly married to now wait before having children.
"Earlier, I used to ask the newly weds to take time before expanding their family. Now with the delimitation that… pic.twitter.com/0ewDETXAs6
— Press Trust of India (@PTI_News) March 3, 2025
AIDMK नेता एम.के. स्टालिन ने कहा कि उन्होंने परिवार नियोजन पर अपनी राय बदल ली है और अब नवविवाहित जोड़ों को बच्चों के लिए इंतजार करने की सलाह नहीं देंगे. उन्होंने नागपट्टिनम में एक प्रोग्राम के दौरान कहा, 'पहले मैं नवविवाहितों से कहता था कि वे परिवार बढ़ाने से पहले कुछ वक्त लें. लेकिन अब केंद्र सरकार जो जनगणना आधारित परिसीमन लागू करने की योजना बना रही है, उसके कारण यह सलाह सही नहीं रही. हमने परिवार नियोजन पर ध्यान दिया और जनसंख्या को नियंत्रित किया. अब मैं नवविवाहितों से कहता हूं कि वे तुरंत बच्चे पैदा करने की योजना बनाएं और उन्हें तमिल नाम दें.'
परिसीमन को लेकर चिंता
स्टालिन ने कहा कि केंद्र सरकार 2026 के बाद परिसीमन लागू करने की योजना बना रही है, जिससे तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों को नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने परिवार नियोजन को सफलतापूर्वक लागू किया, लेकिन अब परिसीमन के कारण राज्य को संसद में कम सीटें मिलने का खतरा है, जबकि जीडीपी में उसका योगदान महत्वपूर्ण है.
बीजेपी का पलटवार
वहीं, बीजेपी प्रवक्ता सीआर केशवन ने स्टालिन के बयान को 'हताशा और ध्यान भटकाने वाला नाटक' बताया. उन्होंने पूछा कि क्या डीएमके में इतना साहस है कि वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 'जितनी आबादी, उतना हक' वाले बयान पर सवाल उठा सके.
सर्वदलीय बैठक का ऐलान
स्टालिन ने परिसीमन के खिलाफ 5 मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाई है और बीजेपी से इसमें शामिल होने की अपील की है। उन्होंने केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी आलोचना करते हुए कहा कि यह राज्यों पर हिंदी थोपने की कोशिश करती है.
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