Rahul Gandhi: 'शाइनिंग इंडिया' के फ्लॉप होने के बाद जिस तरह से बीजेपी ने कमबैक किया, कुछ वैसी ही वापसी करना कांग्रेस की भी हसरत है. पिछले लगभग 15 सालों से कांग्रेस उस दौर से गुजर रही है, जिससे वो जल्द से जल्द उबरना चाह रही. अहमदाबाद में दो दिन चले अधिवेशन में कांग्रेस ने अपने नेताओं को मुगालता दूर करते हुए भविष्य का रोडमैप भी दिया. 2014 से नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने अपने धुआंधार प्रचार से कांग्रेस को जो डेंट लगाया है, वो पार्टी की इमेज में एक बड़ा धब्बा साबित हो रहा है. कहते हैं कि लोहे को लोहा काटता है... शायद इसीलिए कांग्रेस ने अहमदाबाद को ही अपने 84वें अधिवेशन के लिए चुना कि उसे भी गुजरात से ऐसी ही कोई 'जोड़ी' मिल जाए.
कांग्रेस के इस अधिवेशन के बड़े संदेश की बात करें तो उसमें सबसे पहले भाजपा की विचार धारा का विरोध है. ये विरोध इतना तीखा है कि कांग्रेस ने इसे आजादी की 'दूसरी लड़ाई' का नाम दिया है. इसके अलावा पार्टी ने अपनी विरासत को फिर से संजोने की पहल की है. इसकी तस्दीक इस बार मंच पर गांधी-नेहरू के साथ पटेल की फोटो कर रही थी, जिसे उतना ही स्थान मिला जितना कि नेहरू को.
कांग्रेस के इस 'न्यायपथ अधिवेशन' में तीन संकल्प भी लिए गए.
कांग्रेस लड़ रही आजादी की 'दूसरी लड़ाई'
इन संकल्पों से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए कहा कि कांग्रेस जिस तरह से आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों और संघ के खिलाफ लड़ी थी, उसी तरह आज भी BJP-संघ की विभाजनकारी सोच से लड़ रही है. बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस हर कोशिश कर रही है. इसलिए पार्टी ने अपने संघर्ष को अब आजादी की 'दूसरी लड़ाई' कह दी है. खड़गे ने बीजेपी खेमे की ओर से किए जाने वाले एक और दावे पर हमला किया. उन्होंने भाजपा के इस प्रचार का खंडन किया कि नेहरू-गांधी सरकारों ने महानायकों की अनदेखी की.
परसेप्शन की जंग में बीजेपी मीलों आगे
UPA-2 के कार्यकाल में कांग्रेस की भ्रष्टाचार के नाम पर जो फजीहत हुई, वो आज तक बीजेपी भुना रही है. बेशक उस दौर में जिन्हें 'घोटाला' नाम दिया गया वो बाद में फर्जी साबित हुए, लेकिन इतने समय में बीजेपी को जो चाहिए था, वो उसने हासिल कर लिया. उसी दम पर 2014 में पूरे गाजे-बाजे के साथ नरेंद्र दामोदर दास मोदी की ताजपोशी हुई.
मोदी-शाह की जोड़ी से बचने का फॉर्मूला नहीं मिला
नरेंद्र मोदी के गुजरात से निकलकर देश की बागडोर संभालते हुए एक दशक से भी ज्यादा का समय हो गया, लेकिन कांग्रेस आज तक ऐसे फॉर्मूले का इजाद नहीं कर सकी, जो उसे 'मोदी-शाह' की जोड़ी से बचा पाए. शायद इसलिए कांग्रेस ने इस बार अधिवेशन के लिए साबरमती का किनारा चुना, जहां से कभी कांग्रेस को भी बड़े-बड़े सूरमा मिले.
We remember the Grand Old Man of India, Dadabhai Naoroji, on his death anniversary. He was one of the co-founders and former Presidents of the Indian National Congress. His famous drain theory focused on the drain of wealth from India into England. pic.twitter.com/PUUVpWbO0o
— Congress (@INCIndia) June 30, 2018
हथियाई विरासत BJP से पाने की भी है जंग
आजादी की लड़ाई में गुजरात ने कई योद्धा दिए, जिन्होंने अंग्रेजों की पेशानी पर बल डाले. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, लौहपुरुष सरदार पटेल, दादा भाई नौरोजी जैसी विभूतियां कांग्रेस को इसी गुजरात की धरा से मिलीं. कांग्रेस को उम्मीद है कि एक बार फिर इसी धरती से उसे आजादी की 'दूसरी लड़ाई' के लिए भी योद्धा मिलेंगे! एक कारण ये भी है कि कांग्रेस को लगता है कि बीते कुछ सालों में ऐसा नैरेटिव सेट करने की कोशिश की गई है कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल जैसे नायकों को बीजेपी उनसे 'हथिया' रही है. यही वजह है कि अपनी विरासत को संजोकर रखने की चाह में कांग्रेस ने पटेल पर बाकायदा प्रस्ताव पास किया और अपने वर्किंग कमेटी के सभी सदस्यों को 'पटेल ए लाइफ' नाम की किताब भी दी. सिर्फ इतना ही नहीं, कांग्रेस ने इस बार 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की 150वीं जयंती मनाने का ऐलान किया है.
हमारे नेता टीकाराम जूली जी राजस्थान के CLP लीडर हैं, वो मंदिर गए तो BJP के नेताओं ने उस मंदिर को गंगाजल से धुलवा दिया।
BJP के लोग एक दलित व्यक्ति को मंदिर में जाने नहीं देते और अगर वह जाता है तो मंदिर को धुलवाते हैं।
ये हमारा धर्म नहीं है, क्योंकि हमारा धर्म किसी के साथ भेदभाव… pic.twitter.com/Y4R0TuCVum
— Congress (@INCIndia) April 9, 2025
गुजरात के किले में लगाएंगे सेंध
इससे पहले राहुल गांधी ने भी अधिवेशन के एक सत्र में कहा कि विचारधारा की इस लड़ाई में BJP व संघ को कोई हरा सकता है, तो वह सिर्फ कांग्रेस है. बीजेपी के सबसे मजबूत किले में से एक गुजरात में सेंधमारी का दावा राहुल गांधी ने यूं ही नहीं किया था. 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 182 में से 77 सीटों पर जीत दर्ज कर ये अहसास करवा भी चुकी है. 99 सीटें जीतने वाली बीजेपी को तब गुमान था कि वे बड़े आराम से ट्रिपल डिजिट में सीटें जीतकर सत्ता पाएंगे. लेकिन कांग्रेस ने ऐसा होने नहीं दिया.
कांग्रेस को अब एक बार फिर गुजरात से ही किसी करिश्मे की उम्मीद है.