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UP Bypolls: यूपी में कांग्रेस आखिर काहे नहीं मान रही 'बड़े भाई' सपा की बात?

Rahul Gandhi Vs Akhilesh Yadav: सपा की ओर से इनकार की आशंका को देखते हुए कांग्रेस ने सभी 10 सीटों पर प्रभारी और पर्यवेक्षक तय कर दिए हैं. 

UP Bypolls: यूपी में कांग्रेस आखिर काहे नहीं मान रही 'बड़े भाई' सपा की बात?
Atul Chaturvedi|Updated: Oct 04, 2024, 11:01 AM IST
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UP Politics: यूपी में 10 सीटों पर होने वाले उपचुनावों को लेकर इंडिया गठबंधन में बात नहीं बन पा रही है. सूत्रों के मुताबिक जहां कांग्रेस 5 सीटें मांग रही है वहीं सपा दो से अधिक सीटें देने पर सहमत नहीं है. कांग्रेस पार्टी मिर्जापुर की मझवा, प्रयागराज की फूलपुर, गाजियाबाद, खैर और मीरापुर सीट चुनाव लड़ने के लिए मांग रही है. सूत्रों के मुताबिक सपा एक से दो सीटें देने की बात कह रही है लेकिन इसमें भी स्‍पष्‍टता नहीं है. लिहाजा सपा की ओर से इनकार की आशंका को देखते हुए कांग्रेस ने सभी 10 सीटों पर प्रभारी और पर्यवेक्षक तय कर दिए हैं. प्रभारी व पर्यवेक्षक संबंधित सीटों पर सम्मेलन कर रहे हैं. इन सम्मेलनों के जरिये संगठन को बूथ स्तर पर तैयार किया जा रहा है. 

कांग्रेस का 50-50 फॉर्मूला
दरअसल जिन 10 सीटों पर चुनाव होना है उनमें से पिछली बार 5 सीटें बीजेपी के नेतृत्‍व वाले एनडीए और 5 सीटें सपा ने जीती थी. कांग्रेस का कहना है कि एनडीए वाली उन 5 सीटों पर सपा का ज्‍यादा प्रभाव नहीं है. लिहाजा अबकी बार वो सीटें कांग्रेस को मिलनी चाहिए और सपा को अपनी पुरानी 5 सीटों पर फोकस करना चाहिए. 

राजनीतिक विश्‍लेषकों के मुताबिक इसके माध्‍यम से कांग्रेस एक प्रयोग कर रही है. दबाव की रणनीति के माध्‍यम से यदि कांग्रेस आज अपने लिए 5 सीटें लेने पर कामयाब हो जाती है तो इसका दूरगामी असर 2027 के विधानसभा चुनाव में पड़ सकता है. उस वक्‍त भी कांग्रेस फिर इस फॉर्मूले को अपनाने पर अड़ सकती है. इसका मतलब ये होगा 2027 में 403 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस कम से कम 200 सीटों पर दावेदारी ठोकेगी. 

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कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष अजय राय ने पिछले दिनों कहा भी था कि हम सपा से केवल उन सीटों पर ही बात करना चाहते हैं जहां पिछली बार बीजेपी और उसके सहयोगी जीते थे. सपा ने जिन 5 सीटों पर पिछली बार कामयाबी हासिल की थी वहां पर हमारे कार्यकर्ता उनका साथ देंगे और जहां एनडीए मजबूत था वहां पर हम उनका मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं. बस यही बात सपा को असहज कर रही है. सपा को कांग्रेस का साथ तो चाहिए लेकिन उसको बराबर सीटें देने का मतलब अपने जनाधार को कम करना है.

2017 का फॉर्मूला
आपको याद होगा कि 2017 का विधानसभा चुनाव भी सपा और कांग्रेस ने साथ मिलकर लड़ा था. उस वक्‍त के चुनाव में इसको 'दो लड़कों' की जोड़ी के रूप में पेश किया गया था. उस वक्‍त सपा 298 सीटों पर लड़ी थी और कांग्रेस ने 105 सीटों पर प्रत्‍याशी उतारे थे. उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के तहत सपा ने 63 सीटों और कांग्रेस ने 17 सीटों पर प्रत्‍याशी उतारे. इंडिया गठबंधन ने बीजेपी को पछाड़ दिया. सपा ने 37 और कांग्रेस ने 6 सीटों पर कामयाबी हासिल की. अखिलेश यादव इस तरह के ही किसी फॉर्मूले के लिहाज से ही आगे बढ़ना चाहते हैं. उसी लिहाज से ही उपचुनाव में सपा अधिकतम 1-2 सीटें सपा को देना चाहती है लेकिन लोकसभा चुनाव में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस बराबरी की बात कहकर अपने लिए भविष्‍य की जमीन तैयार कर रही है.

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