भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सोमवार को दावा किया कि कांग्रेस नेता शशि थरूर का अपनी पार्टी में ‘हाशिये पर जाना’ अपरिहार्य था, क्योंकि उन्होंने गांधी परिवार के ज़रिए ‘नामित’ मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था. भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस कुछ और नहीं बल्कि गांधी परिवार की 'स्वामित्व वाली कंपनी' है.
मालवीय ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा,'कांग्रेस में शशि थरूर का हाशिए पर जाना अपरिहार्य था, क्योंकि उन्होंने गांधी परिवार के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का साहस किया था.' मालवीय ने आगे कहा,'कांग्रेस, आखिरकार, गांधी परिवार की स्वामित्व वाली कंपनी के अलावा कुछ भी नहीं है.'
Shashi Tharoor’s marginalisation in the Congress was inevitable after he dared to contest the party’s presidential election against Mallikarjun Kharge, a nominee of the Gandhi family. His downsizing would have been swifter and more conspicuous if not for his high public profile.…
— Amit Malviya (@amitmalviya) February 24, 2025
कांग्रेस दिग्गज नेता शशि थरूर इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं. संकेत मिल रहे हैं कि थरूर और पार्टी के बीच मतभेद पनप चुके हैं. जब उनसे पूछा गया कि 'क्या कांग्रेस के साथ सब ठीक है?' तो उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की और यह कहते हुए सवाल को टाल दिया कि 'आज भारत-पाकिस्तान का एक महत्वपूर्ण मैच है'.
पिछले कुछ घटनाक्रमों पर जोर डालें तो थरूर के हालिया बयान कांग्रेस आला कमान को पसंद नहीं आए हैं. उन्होंने पीएम मोदी और ट्रंप की बैठक की तारीफ. थरूर ने पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात को 'उत्साहजनक' बताया था. साथ ही उन्होंने F-35 फाइटर जेट को भारत के लिए कीमती बताया, जबकि कांग्रेस के अन्य नेता इसे बेकार और महंगा बता रहे थे.
इसके अलावा थरूर ने केरल में एलडीएफ सरकार की भी तारीफ. उन्होंने केरल की एलडीएफ सरकार के ज़रिए स्टार्टअप और इंडस्ट्री के विकास की सराहना की. जबकि कांग्रेस ने इस पर नाराजगी जताई, लेकिन सीपीआई(एम) ने थरूर का समर्थन किया.
पार्टी और थरूर के बयानों के बीच मतभेद को लेकर जब थरूर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह सिर्फ भारत के हित की बात कर रहे थे, पार्टी के नहीं. उन्होंने कहा कि उनके लेख में पिछली कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों का जिक्र न करना अनजाने में हुआ था.
इन सब चर्चाओं के बीच यह सवाल भी जन्म ले रहे हैं कि क्या थरूर कांग्रेस का साथ छोड़ देंगे? हालांकि जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे लेकिन अगर कांग्रेस उन्हें नकारेगी तो उनके पास और भी विकल्प हैं, जैसे किताबें लिखना और लेक्चर देना. उन्होंने माना कि कांग्रेस की संगठनात्मक क्षमता बीजेपी से कमजोर है. उन्होंने कांग्रेस को चेतावनी दी कि अगर वह अपनी अपील नहीं बढ़ाएगी तो अगली बार भी विपक्ष में बैठेगी.
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