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Ram Mandir Pran Pratishtha: क्‍या सोमनाथ मंदिर पूरा बनने के बाद हुआ था प्राण प्रतिष्‍ठा का कार्यक्रम?

Somnath Temple Reconstruction: आजादी के बाद प्राचीन सोमनाथ मंदिर का पुर्ननिर्माण किया गया था. मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में 11 मई 1951 को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी शामिल हुए थे. 

Ram Mandir Pran Pratishtha: क्‍या सोमनाथ मंदिर पूरा बनने के बाद हुआ था प्राण प्रतिष्‍ठा का कार्यक्रम?
Manish Kumar.1|Updated: Jan 15, 2024, 03:21 PM IST
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Somnath Temple Reconstruction History: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है. सोशल मीडिया पर इसे लेकर चर्चा और बहस भी खूब चल रही हैं. इनमें ही एक सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि क्या किसी अधूरे बने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करना सही है. इस सवाल को कई लोग धार्मिक विधि विधान से जोड़कर भी देख देख रहे हैं और कह रहे हैं कि अधूरे बने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करना परंपराओं के खिलाफ होगा. लेकिन इस सारी चर्चा में एक तथ्य की तरफ अब तक कम ध्यान गया है कि यह पहली बार नहीं हो रहा है कि किसी अधूरे निर्मित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जा रही हो.

आजादी के बाद प्राचीन सोमनाथ मंदिर का पुर्ननिर्माण किया गया था. मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में 11 मई 1951 को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी शामिल हुए थे. यह कार्यक्रम जब आयोजित किया गया था तब तक मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हुआ था.

जेडी परमार दवारा लिखित 'प्रभास तीर्थ दर्शन: सोमनाथ' नामक किताब में इस तथ्य का उल्लेख मिलता है कि मई 1951 में संपन्न प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद भी कई वर्षों तक सोमनाथ मंदिर का निर्माण कार्य चलता रहा.

इस किताब के 18 वें पृष्ठ ये पता चलता है कि तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के करकमलों द्वारा 11 मई 1951 को सोमनाथ भगवान के शिवलिंग की प्रतिष्ठा की गई.

किताब के 18वें पृष्ठ पर ही यह उल्लेख भी मिलता है कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्री सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष महाराजा जामसाहेब दिग्विजयसिंह मंदिर के निर्माण का मार्गदर्शन करते रहे.

मंदिर के सभामंडप और शिखर का निर्माण पूरा होने पर उन्होंने महारुद्रयाग करवाया और 13 मई 1965 को दोपहर 12.30 कलश प्रतिष्ठा करके मूल्यवान कौशेय ध्वज लहराया.

कई चरणों में हुआ सोमनाथ मंदिर का निर्माण
सोमनाथ की आधिकारिक वेबसाइट से भी इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है. वेबसाइट के मुताबिक नया सोमनाथ मंदिर कई चरणों में बनाया गया. नए मंदिर के तीन मुख्य भाग थे- 1-शिखर, 2-सभामंडप और 3-नृत्यमंडप. इनमें से पहले दो हिस्सों का निर्माण 7 मई 1965 को पूरा हुआ. पूर्णतः पुनर्निर्मित मंदिर 1 दिसंबर 1995 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया.

सरदार पटेल की प्रेरणा से हुआ पुर्ननिर्माण
बता दें प्राचीन सोमनाथ मंदिर का हिंदू धर्म व संस्कृति में विशेष महत्व है. इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना व जाना जाता है. यह मंदिर इतिहास में कई बार आक्रमणकारियों का निशाना बना. लेकिन हर बार इसका पुर्नर्निमाण किया गया. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रेरणा से इस मंदिर का पुर्नर्निमाण संभव हो पाया.

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