Dhananjay- Karuna Case: बीड सरपंच मर्डर केस और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ गई हैं. इस बार मामला उनके परिवार का है. मुंबई की एक सत्र अदालत ने कहा है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता धनंजय मुंडे का उनकी पहली पत्नी होने का दावा करने वाली महिला के साथ संबंध प्रथम दृष्टया ‘विवाह की प्रकृति’ का है और वह महिला घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत की हकदार है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शेख अकबर शेख जाफर ने शनिवार को दिए गए आदेश में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने करुणा मुंडे नामक महिला को अंतरिम भरण-पोषण राशि देने के एक मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी थी.
क्या है मामला?
ये विवाद करुणा शर्मा नाम की महिला से जुड़ा है, जो खुद को धनंजय मुंडे की पहली पत्नी बताती हैं. करुणा ने 2020 में मुंडे के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि मुंडे ने उन्हें शारीरिक और भावनात्मक रूप से परेशान किया और उनके वैवाहिक अधिकारों से वंचित रखा. करुणा ने कोर्ट से अंतरिम गुजारा भत्ता और मुआवजे की मांग की थी. 4 फरवरी 2025 को बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उनकी याचिका को आंशिक रूप से मंजूर करते हुए मुंडे को करुणा को 1.25 लाख रुपये और उनकी बेटी को 75,000 रुपये हर महीने देने का आदेश दिया था.
मुंडे ने पत्नी मानने से किया इंकार
मुंडे ने इस फैसले के खिलाफ सत्र अदालत में अपील की थी. उनका दावा था कि करुणा उनकी पत्नी नहीं हैं और न ही वो उनके साथ कभी लिव-इन रिलेशनशिप में रहे. लेकिन सत्र अदालत के जज शेख अकबर शेख जफर ने उनकी दलील ठुकरा दी. कोर्ट ने कहा कि भले ही करुणा की शादी का कानूनी दर्जा तय करना बाकी हो, लेकिन उनका रिश्ता मुंडे के साथ ‘विवाह जैसा’ है.
बिना साथ रहे नहीं होगा बच्चा
कोर्ट ने अपने फैसले में दो अहम दस्तावेजों का जिक्र किया- ‘वसीयतनामा’ (2017) और ‘स्वीकृतिपत्र’. इनमें मुंडे ने करुणा को अपनी पहली पत्नी और दूसरी पत्नी के रूप में राजश्री को बताया था. कोर्ट ने कहा, “प्रथम दृष्टया ये साफ है कि करुणा का मुंडे के साथ रिश्ता विवाह की प्रकृति का था. उनके दो बच्चे हैं, जो बिना साझा घर में रहने के संभव नहीं.” जज ने ये भी जोड़ा कि घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत पाने के लिए शादी का सर्टिफिकेट जरूरी नहीं, बल्कि रिश्ते का स्वरूप मायने रखता है.
कोर्ट ने ये भी माना कि मुंडे का करुणा के वैवाहिक अधिकारों से इनकार करना भावनात्मक हिंसा की श्रेणी में आता है. इसलिए करुणा को गुजारा भत्ता और दूसरी राहत मिलनी चाहिए. हालांकि, उनके बेटे को राहत नहीं दी गई, क्योंकि वो अब बालिग हो चुका है.
करुणा की नाराजगी,2 लाख रुपए महीने गुजारा भत्ता
करुणा ने कहा कि वो अंतरिम गुजारा भत्ते से खुश नहीं हैं. उन्होंने कहा, “मुझे करुणा मुंडे कहलाना चाहिए, क्योंकि कोर्ट ने मुझे पहली पत्नी माना है. मैंने 15 लाख रुपये महीने की मांग की थी, लेकिन 2 लाख ही मिले. मुंबई जैसे शहर में ये काफी नहीं. मैं हाई कोर्ट जाऊंगी.” (इनपुट भाषा से भी)
Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.