Vishal Dadlani tweets against Jain monk Tarun Sagar: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें संगीतकार विशाल ददलानी और एक्टिविस्ट तहसीन पूनावाला पर जैन मुनि तरुण सागर के खिलाफ कथित आपत्तिजनक ट्वीट्स के लिए 10-10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. हाई कोर्ट ने 29 अप्रैल 2019 को ये जुर्माना ठोका था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कोई अपराध बनता ही नहीं, तो जुर्माना लगाना गलत है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस ए.एस. ओका और उज्जल भुयान की पीठ का मानना था कि हाईकोर्ट को यह मानते हुए जुर्माना नहीं लगाना चाहिए था कि उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता. पीठ ने कहा, "हमारा मानना है कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते समय यह पाया गया कि कोई भी अपराध नहीं बनता है, इसलिए उच्च न्यायालय को अपीलकर्ता को यह बताकर सलाहकार अधिकार क्षेत्र का प्रयोग नहीं करना चाहिए था कि जैन मुनि द्वारा किया गया योगदान अपीलकर्ता और अन्य आरोपियों द्वारा किए गए योगदान से कहीं अधिक है. न्यायालय का कार्य नैतिक पुलिसिंग करना नहीं है."
कोर्ट ने ये भी कहा कि जुर्माना अगर लगाना ही था, तो शिकायत करने वाले पर लगाना चाहिए था. बेंच का मानना था कि शायद हाई कोर्ट इस बात से प्रभावित हुआ कि विशाल और तहसीन ने एक खास धर्म के मुनि की आलोचना की थी.
क्या था पूरा मामला?
अगस्त 2016 में हरियाणा विधानसभा ने जैन मुनि तरुण सागर को सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बोलने के लिए बुलाया था. इसके बाद विशाल ददलानी ने मुनि के नंगे रहने की परंपरा पर ट्वीट कर उनका मजाक उड़ाया था. तहसीन ने भी ऐसा ही कुछ किया और एक फोटोशॉप्ड तस्वीर शेयर की, जिसमें एक महिला अंडरगारमेंट्स में थी और मुनि की फोटो साथ में जोड़ी गई थी. इन ट्वीट्स से बवाल मच गया था बाद में विशाल ने माफी मांग ली थी. सितंबर 2018 में तरुण सागर का निधन हो गया था.
हाई कोर्ट ने 10 लाख का लगाया था जुर्माना
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में इस मामले में FIR दर्ज हुई थी, जिसमें IPC की धारा 295-A (धार्मिक भावनाएं भड़काना), 153-A (समुदायों में नफरत फैलाना), 509 (महिला की गरिमा को ठेस) और IT एक्ट की धारा 66E के तहत कार्रवाई की गई थी. और हाई कोर्ट ने विशाल और तहसीन पर सस्ती लोकप्रियता के लिए ये सब करने पर 10-10 लाख का जुर्माना लगाया गया, ताकि भविष्य में कोई धार्मिक नेता का मजाक न उड़ाए. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.
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