India Pakistan News: भारत और पाकिस्तान के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा का विभाजन करने वाली लाइन रेडक्लिफ लाइन (Radcliffe Line) कहलाती है, जिसका निर्धारण ब्रिटिश अफसर सिरिल रेडक्लिफ ने किया था.रेडक्लिफ लाइन को बेहद खराब ढंग से तय की गई अंतरराष्ट्रीय सीमा कहा जाता है, जिस कारण लाखों लोग मारे गए. इस कारण भुखमरी-सामूहिक कत्लेआम और भारत और पाकिस्तान के चार युद्ध हुए. इसे कथित तौर पर कश्मीर मुद्दे की भी मूल जड़ माना जाता है.
सिरिल रेडक्लिफ (Cyril Radcliffe)
सिरिल जॉन रेडक्लिफ एक ब्रिटिश अधिवक्ता थे, जिनका जन्म 1899 में हुआ था. ऑक्सफोर्ड से फिलॉसफी, प्राचीन इतिहास की पढ़ाई उन्होंने की. उन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच नक्शे के निर्धारण के लिए ब्रिटेन से यह सोचकर भेजा गया था कि कि वो तटस्थ भूमिका निभाएंगे. लेकिन ब्रिटेन ने यह सब कुछ बेहद जल्दबाजी में किया, क्योंकि वो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कर्ज में डूबता चला जा रहा था.
क्या सीमा रेखा खींचने के लिए योग्य थे रेडक्लिफ
रेडक्लिफ ने कानून की पढ़ाई की थी और स्थानीय कानून और जनता शिकायतों से जुड़े मामलों में उन्हें विशेषज्ञताथी. लेकिन भारत क्या उनके पास किसी देश के भौगोलिक या जन संख्याकियी मामले में उन्हें कोई अनुभव नहीं था. उन्हें नक्शा बनाने की विशेषज्ञता (cartography) का कोई ज्ञान नहीं था. अंतरराष्ट्रीय सीमा के निर्धारण के लिए वो ब्रिटिश शासकों की दशकों पुरानी जनगणना के डेटा पर निर्भर थे. ब्रिटिश अफसर भारतकी जातीय-नस्लीय और धार्मिक विविधता को समझने में असमर्थ थे और उन्होंने सिर्फ जनगणना को आधार बनाया. बहुत से विशेषज्ञों का मानना है कि जनगणना भी ब्रिटेन से बांटो और राज करो की नीति का हिस्सा थी.
रेडक्लिफ को 1947 में ही बाउंड्री कमीशन फॉर इंडिया का अध्यक्ष बनाया गया. ऐसा फैसला करने वाले ब्रिटिश अफसरों का मानना था कि हिन्दू और मुस्लिम नेताओं की मांगों के बीच भारत से अलग पाकिस्तान को बनाने के लिए कोई ऐसा शख्स मुफीद होता, जिसके पास इसका कोई ऐतिहासिक झुकाव किसी देश के प्रति नहीं था.
रेडक्लिफ ने कैसे खींची रेखा
रेडक्लिफ ने पुरानी जनगणना के डेटा, नक्शे और पंजाब औऱ बंगाल के लिए बनाए गए बाउंड्री कमीशन के इनपुट का इस्तेमाल किया. इस आयोग में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं के बीच मतभेदों की वजह से सीमा निर्धारण का मसला अटका रहा.उन्होंने जिलों में जनगणना का आंकड़ा देखा और जिस जिले में जो बहुसंख्यक था, उसे ही ध्यान में रखा. लेकिन इस आपाधापी में रेडक्लिफ द्वारा खींची गई सीमा रेखा ने पहाड़ियों, नदियों और पर्वतों को भी काट दिया.
रेडक्लिफ के पास बेहद कम वक्त था
रेडक्लिफ को ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने सिर्फ पांच महीने की मोहलत दी थी, जिसके भीतर उन्हें ब्रिटिश भारत से स्वतंत्र भारत का खाका खींचना था. उन्होंने इस समयसीमा को महज पांच हफ्ते कर दिया. यूं कहें तो रेडक्लिफको 175000 वर्ग मील और 8.8 करोड़ आबादी को को धर्म के आधार पर बांटना था, जहां जिसकी संख्या ज्यादा थी. पहले उन्होंने सिंचाई सिस्टम, संचार लाइनों और प्राकृतिक सीमाओं को आधार बनाया, लेकिन फेल रहे. दोनों देशों के बीच नदियों के बंटवारे में भी वो कोई समाधान नहीं कर सके. रेडक्लिफ ने शिमला से काम किया, जो ब्रिटेन की सर्दियों के काल की राजधानी थी. उनके पास जमीनी सर्वे का कोई समय नहीं था.
रेडक्लिफ के एकतरफा फैसले
रेडक्लिफ ने सीमा निर्धारण में एकतरफा फैसले लिए, जबकि हिन्दू और मुस्लिम नेताओं के बीच अलग-अलग इलाकों को लेकर लगातार दावे हो रहे थे. रेडक्लिफ लाइन का निर्धारण 9 अगस्त 1947 को हो गया, यानी महज 15 अगस्त को भारत की आजादी के एक हफ्ते पहले. लेकिन इसका आधिकारिक तौर पर ऐलान 17 अगस्त को हुआ ताकि आजादी के जश्न में खलल न पड़े.
क्या नतीजा भुगतना पड़ा
रेडक्लिफ लाइन की वजह से दुनिया के सबसे बड़े पलायन का सामना लाखों लोगों को करना पड़ा. पाकिस्तान की ओर रह रहे हिन्दुओं को सीमा पार कर भारत की ओर आने की छूट दी गई. इसी तरह इस तरफ रह रहे मुस्लिमों को पाकिस्तान जाने की आजादी दी गई. ऐसे में सब कुछ छोड़ कर आने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.इस दौरान भड़के दंगे में लाखों लोग मारे गए. रेडक्लिफ 8 जुलाई 1947 को भारत आए थे और 35 दिनों के भीतर सब कुछ निपटारा करते हुए लौट गए.
रेडक्लिफ को पछतावा
रेडक्लिफ को बाद में अपनी जल्दबाजी पर बहुत पछतावा हुआ. विभाजन के बाद विनाशकारी हालातों ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया. उन्होंने वस्तुत: अपने इस काम के लिए तय 40 हजार रुपये (1947 में उस वक्त तय की गई रकम) लेने से इनकार कर दिया और इससे संबंधित दस्तावेज जला दिए.
Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.