L&T 70000 Crore Proposal: रक्षा मंत्रालय ने 70,000 करोड़ रुपये की पनडुब्बी डील के लिए भारतीय कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. यह प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत भारतीय नौसेना के लिए छह आधुनिक पनडुब्बियों की खरीद से जुड़ा है. एलएंडटी ने स्पेन की कंपनी नावांटिया के साथ मिलकर अपना प्रस्ताव दिया था, जिसे नौसेना की आवश्यकताओं के अनुरूप न पाए जाने के कारण अस्वीकार कर दिया गया.
मांग पर खरे नहीं उतरे एलएंडटी?
न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक एलएंडटी और उसके पार्टनर ने अपने एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम का प्रदर्शन स्पेन में भारतीय नौसेना की टीम को दिखाया था. हालांकि नौसेना ने अपनी मांगों में स्पष्ट रूप से समुद्र में साबित (sea-proven) प्रणाली की आवश्यकता जताई थी. इस कारण एलएंडटी का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया. अब इस परियोजना के लिए केवल सरकारी कंपनी मजगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड और उसके जर्मन पार्टनर थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स दौड़ में बचे हैं.
मजगांव डॉकयार्ड्स का अनुभव
मजगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड पहले से ही भारतीय नौसेना को छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां प्रदान कर चुका है, जिसमें आईएनएस वागशीर भी शामिल है. इसके अलावा, कंपनी को तीन और पनडुब्बियां बनाने का ऑर्डर मिला है, जो फ्रेंच नेवल ग्रुप के सहयोग से तैयार की जाएंगी. सरकार ने प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत इस प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाने की योजना बनाई है.
चीन की बढ़ती ताकत के मद्देनजर चुनौती
चीन की नौसेना के तेजी से आधुनिकीकरण को देखते हुए भारत ने कई परमाणु और पारंपरिक पनडुब्बी प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है. हालांकि, इन क्षमताओं को विकसित करने में भारत को अभी भी तेज़ी से कदम बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि वह चीन और पाकिस्तान से अपनी समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित कर सके.
रक्षा क्षेत्र में एलएंडटी की भूमिका
एलएंडटी भारतीय नौसेना के रणनीतिक पनडुब्बी प्रोजेक्ट्स में लंबे समय से शामिल रही है. कंपनी के पास देश के दोनों तटीय क्षेत्रों में रक्षा परियोजनाओं के लिए विशेष सुविधाएं हैं. हालांकि इस डील से बाहर होने के बाद कंपनी की इस परियोजना में भागीदारी समाप्त हो गई है.
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