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जस्टिस यशवंत वर्मा केस में आया नया मोड़, फायर डिपार्टमेंट ने कहा 'आग बुझाते समय नहीं मिला कैश'

Justice Yashwant Verma: दिल्ली हाईकोर्ट के जज जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में अचानक आग लग गई थी. जिस समय ये घटना हुई जज किसी काम से बाहर गए हुए थे. पहले कहा जा रहा था कि दमकल कर्मियों को 15 करोड़ कैश मिला था. हालाांकि अब इस मामले  में नया मोड़ आ गया है. 

जस्टिस यशवंत वर्मा केस में आया नया मोड़, फायर डिपार्टमेंट ने कहा 'आग बुझाते समय नहीं मिला कैश'
Abhinaw Tripathi |Updated: Mar 21, 2025, 09:18 PM IST
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Justice Yashwant Verma: दिल्ली हाईकोर्ट के जज जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में अचानक आग लग गई थी. जिस समय ये घटना हुई जज किसी काम से बाहर गए हुए थे. पहले खबर आई थी कि जब आग को बुझाने फायर बिग्रेड की टीम पहुंची तो उसे करोड़ों रूपए कैश में मिले थे. लेकिन इस केस को लेकर नया मोड़ आया है. अग्निशमन विभाग ने कैश मिलने के दावों को खारिज करते हुए सभी को चौंका दिया है. दिल्ली अग्निशमन सेवा (DFS) के प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा कि ' आग बुझाने के दौरान दमकल कर्मियों को कोई नगदी नहीं मिली थी' . जानिए उन्होंने और क्या कहा. 

क्या बोले अग्निशमन सेवा प्रमुख अतुल गर्ग
अतुल गर्ग ने कहा कि 14 मार्च की रात 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने की सूचना मिली. जिसके तुरंत बाद दो दमकल की गाड़ियां भेजी गईं. दमकल कर्मी 11.43 बजे तक घटनास्थल पर पहुंच गए और उन्होंने आग पर काबू पा लिया. साथ ही बताया कि आग स्टोर रूम में लगी थी जहां पर स्टेशनरी और घरेलू सामान रखा था. इस आग को बुझाने में 15 मिनट का समय लगा इस दौरान कोई हताहत नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने इस घटना की जानकारी पुलिस को दी और वहां से उनकी टीम रवाना हो गई. आग बुझाते समय दमकल कर्मियों को कोई नगदी नहीं मिली थी. 

की थी सिफारिश
इससे पहले दावा किया जा रहा था उनके घर में 15 करोड़ कैश बरामद किया है. जिसके बाद जांच शुरू हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक प्रारंभिक जांच के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को रिपोर्ट सौंपेंगे.  प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के बाद आरोप वास्तविक और गंभीर पाए जाते हैं, तो इन-हाउस कमेटी प्रक्रिया शुरू होगी. इससे पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने गुरुवार को बैठक की. न्यायमूर्ति वर्मा के निवास पर आग लगने के दौरान कथित रूप से नकदी बरामद होने के बारे में प्रतिकूल रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार को उनके पैतृक इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति वर्मा के ट्रांसफर की सर्वसम्मति से सिफारिश की. 

बार एसोसिएशन कर रहा है विरोध
यशवंत वर्मा को इलाहाबाद भेजे जाने का कड़ा विरोध हो रहा है. बार एसोसिएशन ने कहा कि यह कोई ‘ट्रैश बिन’ (कूड़ेदान) नहीं है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि एक जज के घर में 15 करोड़ रूपए मिले हैं और उन्हें घर वापसी का इनाम मिल रहा है.  यदि किसी सामान्य कर्मचारी के घर से 15 लाख रुपये बरामद होते हैं, तो उसे जेल भेज दिया जाता है. एक न्यायाधीश के घर से 15 करोड़ रुपये की नकदी बरामद होती है और उसे 'घर वापसी' दी जा रही है. क्या इलाहाबाद उच्च न्यायालय कूड़ेदान है? उच्च न्यायालय बार भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत मजबूती से खड़ा है, हम उन्हें यहां स्वागत नहीं करने देंगे. यदि वे शामिल होते हैं, तो हम न्यायालय में अनिश्चित काल के लिए अनुपस्थित रहेंगे और वकील न्यायालय से दूर रहेंगे. हमारी मांग है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय नहीं भेजा जाना चाहिए. वहीं राज्यसभा में भी आज ये मामला उठाया गया है. ( इनपुट- न्यूज एजेंसी पीटीआई)

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