Haryana News: हरियाणा के पानीपत जिले में शुक्रवार की रात वह तबाही लेकर आई, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. जब किसान दिन भर की मेहनत के बाद चैन की नींद सो रहे थे, तब चार तहसीलों के गांवों में एक के बाद एक खेतों में आग लग गई. यह आग सिर्फ गेहूं की खड़ी फसलों को ही नहीं, बल्कि कटाई के बाद खेत में बचे फसल अवशेषों को भी निगल गई.
पानीपत की तहसीलों सूताना, समालखा, मानना और नौलथा समेत इन गांवों से रातभर धुआं उठता रहा. दमकल विभाग के कर्मचारी बिना रुके पूरी रात आग बुझाने में जुटे रहे. लेकिन तब तक कई एकड़ की फसलें जलकर राख हो चुकी थी. समालखा के गांव मानना में तो स्थिति और भी गंभीर रही, जहां करीब 35 एकड़ जमीन आग की चपेट में आ गई. इसमें 15 एकड़ खड़ी गेहूं की फसल और 20 एकड़ में बचे फसल अवशेष जल गए. दमकल अधिकारी अमित ने बताया कि गर्मी के मौसम और चल रही तेज आंधी-तूफान के कारण आग की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि कई किसान फसल कटने के बाद खेत में बचे अवशेषों को खुद ही आग लगा देते हैं, जो न सिर्फ अवैध है बल्कि खतरनाक भी. एक खेत में लगाई गई आग, तेज हवा के कारण आस-पास के खेतों तक फैल जाती है, जिससे दूसरे किसानों की फसलें भी जल जाती है.
अमित ने यह भी जानकारी दी कि गर्मियों में आग लगने की घटनाओं से निपटने के लिए दमकल विभाग ने सभी तहसीलों के अधिकारियों और कर्मचारियों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सूचना दी जा सके और समय पर रेस्पॉन्स मिल सके. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल के बचे अवशेषों को आग के हवाले करने की बजाय उसका सदुपयोग करें. ये अवशेष पशु चारे, जैविक खाद या बायो-एनर्जी के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं. इससे किसानों को आर्थिक लाभ भी हो सकता है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा.
इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया कि थोड़ी सी लापरवाही कैसे महीने भर की मेहनत पर पानी फेर सकती है. जरूरत है कि किसान और प्रशासन दोनों सतर्क रहें, ताकि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो.
इनपुट- राकेश भयाना
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