Delhi Assembly Session 2025: दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद पहला विधानसभा सत्र सोमवार को शुरू हुआ, जहां भाजपा ने 27 साल बाद सत्तापक्ष की सीट संभाली, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को विपक्ष में बैठना पड़ा. यह सत्र तीन दिन तक चलेगा, लेकिन पहले ही दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच राजनीतिक घमासान के संकेत मिलने लगे हैं.
प्रोटेम स्पीकर की भूमिका और शपथ ग्रहण
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने प्रोटेम स्पीकर अरविंदर सिंह लवली को राजनिवास में शपथ दिलाई. इसके बाद उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव से पहले सदन की कार्यवाही संभाली और सभी नव-निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई. भाजपा सरकार की यह पहली बड़ी परीक्षा थी, क्योंकि सदन में उसका बहुमत जरूर है, लेकिन विपक्ष की ओर से लगातार हमले होने की संभावना है.
स्पीकर चुनाव में शक्ति प्रदर्शन
दोपहर को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा, जहां भाजपा ने विजेंद्र गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विजेंद्र गुप्ता के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका समर्थन कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और प्रवेश साहिब सिंह ने किया. इस चुनाव को भाजपा अपने सत्ता परिवर्तन के बड़े संकेत के रूप में देख रही है, जबकि आप इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अगली कड़ी के रूप में देख रही है.
कैग रिपोर्ट पर बड़ा हंगामा तय
विधानसभा सत्र के दूसरे दिन यानी 25 फरवरी को उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना का अभिभाषण होगा, जिसके बाद आम आदमी पार्टी की पूर्व सरकार से जुड़ी 14 लंबित कैग रिपोर्ट सदन में पेश की जाएगी. भाजपा इस रिपोर्ट को पेश कर जनता को यह संदेश देना चाहती है कि आम आदमी पार्टी की सरकार में घोटाले हुए थे और अब उनकी पोल खोली जाएगी. दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर चुकी है और सदन में जबरदस्त हंगामे के आसार हैं.
भाजपा के चुनावी वादों पर आप का हमला
सत्र के दौरान विपक्ष में बैठी आप भाजपा सरकार को उसके चुनावी वादों पर घेरने की रणनीति बना रही है. पार्टी के विधायक आतिशी के नेतृत्व में भाजपा को उसके 'महिलाओं को 2500 रुपये महीना देने' और 'यमुना सफाई' जैसे वादों की याद दिलाई जाएगी. आम आदमी पार्टी का दावा है कि भाजपा सत्ता में आने के बाद अपने वादों से पीछे हट रही है.
क्या यह सत्र हंगामेदार रहेगा?
सभी राजनीतिक घटनाक्रमों को देखते हुए, दिल्ली विधानसभा का यह सत्र बेहद दिलचस्प होने वाला है. जहां भाजपा अपने शासन की नई शुरुआत को सफल बनाने की कोशिश करेगी, वहीं आप उसे जनता के मुद्दों पर घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. अगले दो दिनों में सत्ता और विपक्ष की रणनीतियों से यह साफ हो जाएगा कि दिल्ली की राजनीति किस ओर मुड़ रही है.
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