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Haryana News: भगवंत मान की चेतावनी बेअसर, BBMB ने हरियाणा के लिए खोले भाखड़ा के जलद्वार

CM Bhagwant Mann: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तीखा हमला करते हुए कहा कि BBMB में 60% हिस्सेदारी होने के बावजूद पंजाब की सहमति के बिना लिया गया यह फैसला संघीय ढांचे की भावना के खिलाफ है.  

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Haryana News: भगवंत मान की चेतावनी बेअसर, BBMB ने हरियाणा के लिए खोले भाखड़ा के जलद्वार
Haryana News: भगवंत मान की चेतावनी बेअसर, BBMB ने हरियाणा के लिए खोले भाखड़ा के जलद्वार
PUSHPENDER KUMAR|Updated: May 03, 2025, 01:21 PM IST
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BBMB Meetiing News Punjab: पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद एक बार फिर गर्मा गया है. इस बार मामला भाखड़ा बांध से हरियाणा को अतिरिक्त 4500 क्यूसेक पानी देने को लेकर उठ खड़ा हुआ है. केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में हुई अहम बैठक में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) को यह निर्देश दिया गया कि वह अगले आठ दिनों तक हरियाणा की तत्काल आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त पानी मुहैया कराए. 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बैठक में केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, बीबीएमबी के सदस्य राज्य पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के प्रतिनिधि मौजूद थे. हरियाणा और राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में जल संकट को देखते हुए यह तात्कालिक निर्णय लिया गया, जिसे पंजाब ने सीधे तौर पर 'जन विरोधी' और 'तानाशाही' करार दिया. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि बीबीएमबी अब पंजाब के अधिकारों की अनदेखी कर रही है. नैतिकता के आधार पर हरियाणा को 1700 क्यूसेक पानी दिया जा सकता है, लेकिन उसे जबरन 4500 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है. यह पंजाब की हिस्सेदारी की सीधी लूट है.

सीएम मान ने यह भी कहा कि बीबीएमबी में पंजाब की 60% हिस्सेदारी है, इसलिए बिना उसकी सहमति कोई भी पानी नहीं दिया जा सकता. उन्होंने केंद्र पर 'राजनीतिक दबाव में काम करने' का आरोप लगाते हुए कहा कि पंजाब को बाईपास करना सीधे राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन है. राजनीतिक गलियारों में इस फैसले को लेकर हलचल तेज हो गई है. आम आदमी पार्टी ने इसे पंजाब के हितों के खिलाफ बताते हुए विरोध प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी है. दूसरी ओर हरियाणा सरकार ने फैसले का स्वागत किया है और कहा कि यह जनता की जरूरत को ध्यान में रखकर लिया गया मानवीय निर्णय है. यह जल विवाद अब सिर्फ संसाधनों का नहीं, बल्कि संघीय ढांचे में राज्यों के अधिकारों और केंद्र के हस्तक्षेप की नई बहस को जन्म दे रहा है. आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक रणभूमि पर और गरमाने की पूरी संभावना है.

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