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Noida News: नोएडा के जेपी इंफ्राटेक पर CBI की रेड, खंगाले जा रहे है लोन संबंधित दस्तावेज

सीबीआई ने नोएडा प्राधिकरण से 9 बिल्डरों की जानकारी मांगी थी और इसी तरह यमुना और ग्रेटरनोएडा विकास प्राधिकरण से भी जानकारी ली गई है. कुल मिलाकर 26 बिल्डरों की जानकारी जुटाई जा चुकी है, जिनके यहां भी सीबीआई रेड कर सकती है. 

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Noida News: नोएडा के जेपी इंफ्राटेक पर CBI की रेड, खंगाले जा रहे है लोन संबंधित दस्तावेज
Deepak Yadav|Updated: May 23, 2025, 02:25 PM IST
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Noida News: सीबीआई की टीम ने हाल ही में जेपी इंफ्राटेक से जुड़े प्रोजेक्ट पर रेड की है. यह रेड सबवेंशन स्कीम घोटाले को लेकर की गई है. सीबीआई ने नोएडा, ग्रेटरनोएडा और यमुना प्राधिकरण से जेपी इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्रोजेक्ट से संबंधित फाइल मांगी थी. सीबीआई की रेड का दायरा सेक्टर-128 से सेक्टर-132 तक के सभी प्रोजेक्ट्स पर है. इन प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा को पूरा करने के लिए जांच की जा रही है. इन प्रोजेक्ट्स में 17 हजार बायर्स को फ्लैट नहीं मिले हैं.
 
रेड के दौरान सीबीआई ने दस्तावेजों को जब्त किया है और सेल ऑफिस में मौजूद लोगों से पूछताछ की जा रही है. सीबीआई ने नोएडा, ग्रेटरनोएडा और यमुना से कई प्रोजेक्ट्स के दस्तावेज लिए हैं, जिनमें Orchards, Kasa Isles, Kensington Boulevard, Kensington Park, Krescent Homes, Kosmos, Klassic शामिल हैं. इनकी फाइलों की जांच की जा रही है और डिजिटल दस्तावेजों पर भी ध्यान दिया जा रहा है.

सीबीआई ने नोएडा प्राधिकरण से 9 बिल्डरों की जानकारी मांगी थी और इसी तरह यमुना और ग्रेटरनोएडा विकास प्राधिकरण से भी जानकारी ली गई है. कुल मिलाकर 26 बिल्डरों की जानकारी जुटाई जा चुकी है, जिनके यहां भी सीबीआई रेड कर सकती है. सीबीआई प्रोजेक्ट से संबंधित स्वीकृत पत्र, ले आउट प्लान, बकाया, रजिस्ट्री और डेवलपर्स की जानकारी के आधार पर रेड कर रही है. इसमें उन बायर्स का डेटा शामिल है, जिन्हें बिल्डर ने सबवेंशन स्कीम के तहत लोन दिलाया था, लेकिन पैसे जमा नहीं किए गए. बिल्डर, बायर्स और बैंक एग्रीमेंट के दस्तावेज भी खंगाले जा रहे हैं.

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 नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सबवेंशन स्कीम के तहत ग्रुप हाउसिंग योजनाओं की शुरुआत वर्ष 2014 के आसपास हुई थी. इस योजना में धांधली के लिए कुछ बिल्डरों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए बैंकों से लोन पास कराए. बैंकों ने बिना मूल्यांकन और निरीक्षण के रकम जारी कर दी. इस योजना के अंतर्गत शर्तों के अनुसार फ्लैट का कब्जा मिलने तक बिल्डर को ईएमआई का भुगतान करना था. लेकिन कुछ समय बाद बिल्डरों ने ईएमआई देना बंद कर दिया और खरीदारों को फ्लैट भी नहीं दिए. इससे खरीदारों पर ईएमआई का बोझ आ गया और बड़ी संख्या में खरीदार डिफॉल्टर हो गए. कुछ वर्षों बाद इन योजनाओं को लाने वाले अधिकांश बिल्डर दिवालिया हो गए. 

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