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Delhi News: मुख्यमंत्री की सचिव बनीं ठक-ठक गिरोह का शिकार, दिल्ली पुलिस ने नाबालिग समेत दो को दबोचा

Delhi Police: दिल्ली की सड़कों पर अपराधियों का हौसला इस कदर बढ़ चुका है कि अब ठक-ठक गिरोह ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सचिव वरिष्ठ आईएएस अफसर डॉ. मधु रानी तेवतिया को भी अपना शिकार बना डाला. 16 मई की रात जब वे अपने सरकारी वाहन में घर लौट रही थीं तभी गाड़ी की खिड़की पर ठक-ठक कर उनका ध्यान भटकाया और मौका मिलते ही दरवाजा खोलकर बैग लेकर फरार हो गए.

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Delhi News: मुख्यमंत्री की सचिव बनीं ठक-ठक गिरोह का शिकार, दिल्ली पुलिस ने नाबालिग समेत दो को दबोचा
Delhi News: मुख्यमंत्री की सचिव बनीं ठक-ठक गिरोह का शिकार, दिल्ली पुलिस ने नाबालिग समेत दो को दबोचा
Zee News Desk|Updated: May 28, 2025, 08:57 AM IST
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Chief Minister Rekha Gupta: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सचिव और आईएएस अधिकारी डॉ. मधु रानी तेवतिया खुद ठक-ठक गिरोह का शिकार बन गईं. यह घटना 16 मई की रात की है, जब डॉ. तेवतिया अपनी गाड़ी में घर लौट रही थीं. उनके साथ उनका सरकारी ड्राइवर अजय भी मौजूद था. जैसे ही गाड़ी सिकंदर रोड के पास पहुंची तो अचानक दो लड़के स्कूटी पर आए और गाड़ी की तरफ इशारा करने लगे. सचिव लेडी इरविन कॉलेज के पास गाड़ी रुकवाती हैं और ड्राइवर जैसे ही बाहर उतरता है तभी स्कूटी सवार लड़के कार का दरवाजा खोलते हैं और डॉ. तेवतिया के पास रखा बैग छीनकर भाग जाते हैं. यह सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि किसी को कुछ समझने तक का मौका नहीं मिला.

अमल उजाला की रिपोर्ट्स के अनुसार इस बैग में करीब आठ हजार रुपये नकद, कई अहम दस्तावेज, आधार कार्ड, पासबुक, सचिवालय का परिचय पत्र, और कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामान मौजूद था. यह केवल चोरी नहीं थी, बल्कि एक उच्च पदस्थ महिला अधिकारी की निजता और सुरक्षा पर सीधा हमला था. घटना के अगले दिन 17 मई को ड्राइवर अजय ने बाराखंभा थाने में शिकायत दर्ज कराई. दिल्ली पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए बीआरटी रोड के पास पुष्पा भवन क्षेत्र से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया. इनमें एक 20 वर्षीय हिमांशु उर्फ बाबू है, जो मदनगीर की मद्रासी कॉलोनी का रहने वाला है. वहीं दूसरा आरोपी सिर्फ 16 साल का नाबालिग है.

पुलिस ने इनके पास से तीन मोबाइल फोन और चोरी में इस्तेमाल की गई होंडा एक्टिवा स्कूटी बरामद की है. हालांकि डॉ. तेवतिया का बैग अब तक बरामद नहीं हो सका है. पुलिस का कहना है कि दोनों आरोपियों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड पहले नहीं मिला है, लेकिन जिस तरीके से उन्होंने वारदात को अंजाम दिया, वह बेहद शातिराना था. यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि जब एक वरिष्ठ अधिकारी भी सुरक्षित नहीं है, तो आम नागरिकों की सुरक्षा का क्या होगा. यह मामला सिर्फ एक चोरी का नहीं, बल्कि दिल्ली की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है. पुलिस अब इस गिरोह से जुड़ी कड़ियों को जोड़ने में जुटी है.

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