trendingNow/india/delhi-ncr-haryana/delhiHaryana02089586
Home >>Delhi-NCR-Haryana

Budget: देश के मिडिल क्लास लोगों और छोटे व्यापारियों को बजट से हाथ लगी निराशा- CTI चेयरमैन

व‍ित्‍त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान कहा था क‍ि हम परंपराओं का पालन कर रहे हैं और इसी के साथ कहा कि टैक्स दर में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जा रहा है. वहीं साल 2019 में अंतरिम बजट के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने टैक्‍सपेयर्स को बड़ी राहत दी गई थी.

Advertisement
Budget: देश के मिडिल क्लास लोगों और छोटे व्यापारियों को बजट से हाथ लगी निराशा- CTI चेयरमैन
Balram Pandey|Updated: Feb 01, 2024, 02:37 PM IST
Share

Budget: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2024 को अंतरिम बजट पेश कर दिया है. वहीं बजट से पहले यह उम्मीद जताई जा रही थी कि बजट से पहले करोड़ों सैलरीड क्लॉस को इनकम टैक्स की देरी में राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन लोगों के हाथ सिर्फ मयूसी लगी. क्योंकि व‍ित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पुरानी टैक्स दर को ही बरकरार रखा है.

व‍ित्‍त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान कहा था क‍ि हम परंपराओं का पालन कर रहे हैं और इसी के साथ कहा कि टैक्स दर में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जा रहा है. वहीं साल 2019 में अंतरिम बजट के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने टैक्‍सपेयर्स को बड़ी राहत दी गई थी. इसको लेकर भी सभी को उम्मीगें इस वजट में काफी ज्यादा जताई जा रही थीं.

वहीं इनकम टैक्स में मिडिल क्लास के लोगों को बजट में बिल्कुल भी राहत नहीं मिली है.  इससे पहले इनकम टैक्स में छूट सीमा पिछले 9 सालों से 2.5 लाख ही बनी हुई है. अभी कर इस सीमा में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है. वहीं CTI चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बजट पर निराशा जाहिर करते हुए बताया कि इनकम टैक्स में 5 प्रतिशत और 20 प्रतिशत के बीच 10 प्रतिशत का टैक्स स्लैब वापस लाया जाना चाहिए था. मिडिल क्लास लोगों की चिंता है कि 9 साल से इनकम टैक्स में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये ही बनी हुई है. इसको 5 लाख कर देना चाहिए था.

क्योंकि सालाना 7 लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगने के बावजूद सालाना 2.5 लाख रुपए से ज्यादा की आय होने पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करनी पड़ती है.
इनकम टैक्स छूट सीमा बढ़ने से मिडिल क्लास के उन करोड़ों टैक्स पेयर्स को लाभ होता, जिन्हें टैक्स ना होने के बावजूद रिटर्न जमा करानी पड़ती है. कार्पोरेट्स एवं बड़ी कंपनियों को बैंक लोन 8 - 10% की ब्याज दर से मिल जाता है, लेकिन मिडिल क्लास और छोटे व्यापारियों के लिए केन्द्र सरकार की जो मुद्रा योजना है. 

ये भी पढ़ें: IND vs ENG: जानें कैसी हो सकती हैं भारतीय टीम की Playing 11, किन खिलाड़ियों को मिलेगा मौका

उसमें उनको कहीं ज्यादा ब्याज देना पड़ता है. इसको लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है. पेट्रोल डीजल की कीमतों में 6 अप्रैल 2022 के बाद से कमी नहीं की गई है, जबकि कच्चे तेल की कीमतों में 35 - 40% की गिरावट आई है. केन्द्र सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाकर या पेट्रोलियम कंपनियों पर दवाब बनाकर पेट्रोल डीजल की दरों में कटौती करनी चाहिए थी. जीएसटी में बहुत सारे कठिन कानूनों और नियमों को लेकर भी कोई रियायत नहीं दी गई है.

Read More
{}{}