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Haryana Crime News: सोनीपत में दो सरकारी स्कूलों में करोड़ों का घोटाला, क्लर्क ने ई-सैलरी पोर्टल से किया फर्जी भुगतान

Haryana News: सोनीपत जिले के सरकारी स्कूलों के एक क्लर्क द्वारा करोड़ों रुपये के घोटाला का मामला सामने आया है. जिसमे आरोपी क्लर्क ने ई-वेतन पोर्टल की मदद से फर्जी नामों से बिल बनाकर सरकारी खजाने से करोड़ रुपये की रकम निकाल ली.

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Haryana Crime News: सोनीपत में दो सरकारी स्कूलों में करोड़ों का घोटाला, क्लर्क ने ई-सैलरी पोर्टल से किया फर्जी भुगतान
Zee Media Bureau|Updated: Jul 19, 2025, 06:41 PM IST
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Sonipat News: सोनीपत के दो सरकारी स्कूलों से एक क्लर्क द्वारा करोड़ों रुपये का गबन किए जाने का मामला सामने आया है. आरोपी क्लर्क ने ई-सैलरी पोर्टल की मदद से फर्जी नामों के बिल बनाकर सरकारी खजाने से करीब 1.45 करोड़ रुपये की रकम निकाल ली. यह घोटाला तब उजागर हुआ जब स्कूल की प्रिंसिपल ने पुराने रिकॉर्ड की जांच शुरू की. इस मामले में थाना कुंडली में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और पुलिस जांच कर रही है.

रिटायर्ड टीचर के नाम पर बनाया गया फर्जी लीव एनकैशमेंट बिल
पीएम श्री वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, अकबरपुर बारोटा की प्राचार्या भारती ने शिकायत में बताया कि उन्हें छत्तैहरा बहादुरपुर स्कूल का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था. जब उन्होंने 1 जुलाई 2025 को वहां का कार्यभार संभाला तो स्कूल के लिपिक मंजीत ने उन्हें बताया कि सेवानिवृत्त शिक्षक शिवराज का लीव एनकैशमेंट बिल तैयार है.

फोन पर एक व्यक्ति, मनोज आनंद ने भी यही जानकारी दी. उन्होंने विश्वास कर बिल ट्रेजरी में भेज दिया, लेकिन जब ई-सैलरी पोर्टल खोला गया तो पता चला कि बिल असली रिटायर्ड टीचर शिवराज के नाम से नहीं, बल्कि महेंद्र मलिक नामक एक अनजान व्यक्ति के नाम से बना था. बिल की राशि 9,09,075 रुपये थी. प्राचार्या भारती ने तुरंत हस्तक्षेप कर यह भुगतान रुकवाया और बिल को जिला ट्रेजरी ऑफिसर से रिजेक्ट करवा दिया.

जांच में निकले 31 फर्जी बिल, 1.12 करोड़ रुपये की हेराफेरी
घोटाले की जानकारी मिलते ही प्राचार्या भारती ने छत्तैहरा बहादुरपुर स्कूल के पुराने रिकॉर्ड की गहराई से जांच शुरू की. इसमें 31 ऐसे फर्जी लीव एनकैशमेंट और सैलरी एरियर के बिल पाए गए, जिनकी कोई ऑफिस कॉपी, टोकन बुक या कैशबुक में एंट्री नहीं थी. ये बिल जुलाई 2021 से जून 2025 के बीच बनाए गए थे. इन फर्जी बिलों के जरिए कुल 1,12,13,076 रुपये की सरकारी राशि का गबन किया गया. इसमें से 1,03,04,001 रुपये की रकम महिमा, दिव्या, निशांत अरोड़ा, भूपेंद्र कुमार, तृप्ता, संजय कुमार, पूनम और कृष्णा जैसे फर्जी नामों के बैंक खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर की गई.

फर्जी नामों से भुगतान, कोई कर्मचारी नहीं
जिन नामों पर भुगतान हुआ, वे सभी नाम फर्जी पाए गए. इनका स्कूल से कोई संबंध नहीं था न तो वे कभी नियुक्त हुए और न ही उनके कोई दस्तावेज़ स्कूल रिकॉर्ड में मौजूद थे. जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी मनोज आनंद की पत्नी तृप्ता का नाम भी भुगतान सूची में शामिल है, जिससे यह स्पष्ट है कि यह घोटाला किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं बल्कि मिलीभगत से किया गया है. 

अकबरपुर बारोटा स्कूल में भी 33 लाख रुपये का घोटाला
मनोज आनंद पूर्व में अकबरपुर बारोटा स्कूल में लिपिक के पद पर कार्यरत था और प्रमोशन के बाद भी ई-सैलरी पोर्टल का काम देखता रहा. यहां भी 20 फर्जी सैलरी एरियर बिल बनाए गए और 32,96,909 रुपये की सरकारी राशि गबन की गई. इस स्कूल में भी महिमा और दिव्या जैसे फर्जी नामों से भुगतान हुआ.

इन सभी भुगतानों का कोई रिकॉर्ड न टोकन बुक में मिला, न कैशबुक में, ई-सैलरी पोर्टल पर इन UCP कोड में PAN नंबर तक नहीं डाले गए, जबकि 10,000 रुपये से अधिक के भुगतान के लिए PAN नंबर अनिवार्य होता है.

एफआईआर दर्ज, पुलिस जांच जारी
प्राचार्या भारती ने पूरे मामले की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी को भेजी, जिसके आधार पर थाना कुंडली में एफआईआर दर्ज कर ली गई है. आरोपी मनोज आनंद और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ धोखाधड़ी, गबन, जालसाजी और सरकारी धन हड़पने के आरोप में केस दर्ज किया गया है. भारतीय दंड संहिता के साथ-साथ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं भी लगाई गई हैं.

प्राचार्या की सजगता से 9 लाख रुपये की बचत
अगर प्राचार्या भारती समय पर हरकत में न आतीं, तो महेंद्र मलिक के नाम से 9 लाख रुपये की राशि भी खजाने से निकल जाती उनके सतर्कता भरे कदम से यह लेन-देन समय रहते रुकवाया जा सका है. अब प्राचार्या ने मांग की है कि इस पूरे घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की जाए, सभी दोषियों से सरकारी राशि की वसूली की जाए और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो.

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Input- JAIDEEP RATHEE

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