Delhi Development Authority: दिल्ली की यमुना नदी के डूब क्षेत्रों में हो रहे अवैध कब्जों को लेकर एक बार फिर बड़ी कार्रवाई सामने आई है. दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को अपनी ताजा रिपोर्ट सौंपते हुए बताया है कि वर्ष 2024 तक यमुना बाढ़ क्षेत्र की लगभग 590 हेक्टेयर (1,459 एकड़) भूमि को अतिक्रमण से मुक्त करा लिया गया है. हालांकि, वजीराबाद से लेकर यमुना खादर तक फैले करीब 22 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में अब भी 123 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा बना हुआ है.
डीडीए की 2 अप्रैल को एनजीटी को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक यमुना के डूब क्षेत्र में 27 प्रमुख अतिक्रमण की पहचान की गई है. इनमें झुग्गियों के अलावा मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, गौशालाएं, अखाड़े और वर्कशॉप जैसे धार्मिक और सामाजिक ढांचे भी शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक अरुणा नगर, निगमबोध घाट, लद्दाख बुद्ध विहार और डीएनडी फ्लाईवे के पास हिंडन सरोवर जैसे संवेदनशील इलाकों में ये अतिक्रमण फैले हुए हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि इस अतिक्रमण की सूची में कई सरकारी ढांचे भी शामिल हैं. इनमें एक बोट क्लब ऑफिस, दिल्ली जल बोर्ड का पंप हाउस, नगर निगम का शौचालय, एक सरकारी आश्रय गृह और एक गैस एजेंसी की इमारत तक शामिल है. इसके अलावा 1.3 लाख वर्ग मीटर में फैले 32 बड़े भूखंडों और 10 लाख वर्गमीटर से अधिक कृषि या झुग्गी क्षेत्र पर भी कब्जे का मामला सामने आया है.
एनजीटी यमुना के बाढ़ मैदानों को संरक्षित करने को लेकर पहले से ही सख्त रुख अपनाए हुए है. उसने डीडीए से इन क्षेत्रों का सीमांकन करने और अवैध कब्जों को हटाने के लिए ठोस कार्रवाई की मांग की है. 6 फरवरी को ट्रिब्यूनल ने डीडीए को 2019 के आदेशों का पालन न करने पर फटकार भी लगाई थी. डीडीए ने सफाई दी है कि जिन अतिक्रमणों को हटाया गया है उनमें धार्मिक ढांचे, पक्के मकान, झुग्गियां, मवेशी शेड, खेत, पार्किंग स्थल और रिक्शा चार्जिंग स्टेशन शामिल हैं. हालांकि कुछ मामलों में अदालतों द्वारा यथास्थिति बनाए रखने के आदेश होने के कारण तत्काल कार्रवाई नहीं की जा सकी है. अब उम्मीद की जा रही है कि एनजीटी की निगरानी में जल्द ही पूरे क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा, जिससे दिल्ली को एक स्वच्छ और सुरक्षित बाढ़ क्षेत्र मिल सके.
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