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AIIMS Delhi: मोबाइल पर घंटों बिताने से आपका बच्चा हो सकता है इस गंभीर बीमारी का शिकार, हो जाएं सचेत

Arthritis Problem: एम्स दिल्ली के बाल चिकित्सा विभाग के  डॉक्टर नरेंद्र बागड़ी ने शुक्रवार को बताया कि अगर आपका बच्चा खेलने-कूदने में दर्द, आंखों में लाली, जोड़ों में दर्द और सूजन जैसी समस्याओं  को लेकर आपके पास आता है तो इसे नजरअंदाज बिल्कुल न करें.

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Delhi aiims doctor
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Zee Media Bureau|Updated: May 03, 2025, 10:34 PM IST
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Delhi News: अगर आपका बच्चा खेलने-कूदने में दर्द, आंखों में लाली, जोड़ों में दर्द और सूजन जैसी समस्याओं की शिकायत करता है, तो इसे नजरअंदाज बिलकुल न करें. यह जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस (JIA) हो सकता हैं, जो बच्चों और बड़ों में पाया जाने वाला एक आम गठिया रोग है.

यह जानकारी एम्स दिल्ली के बाल चिकित्सा विभाग के गठिया रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र बागड़ी ने शुक्रवार को दी. उन्होंने बताया कि जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस (JIA) बीमारी इस समय देशभर में तेजी से फैल रही है और केवल AIIMS दिल्ली में हर साल 250 से 300 मामले सामने आते हैं. इस रोग के इलाज में बाल गठिया विशेषज्ञ, हड्डी के विशेषज्ञ, आंख के विशेषज्ञ और कसरत के चिकित्सकों का योगदान होता है.

क्या है जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस?
जे.आई.ए. एक ऑटोइम्यून बिमारी है, जो हाथों, घुटनों, टखनों, कोहनी और कलाई जैसे जोड़ों में दर्द और सूजन का कारण बन जाता है. ये बीमारी शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकती है. यह रोग 16 साल की उम्र से पहले शुरू होता है और अनुवांशिक और पर्यावरणीय कारणों का परिणाम हो सकता है, जैसे कि संक्रमण। हालांकि, जे.आई.ए. एक ही परिवार के 2 बच्चों में कम ही पाया जाता है.

लक्षणों पर ध्यान दें
डॉ. बागड़ी ने कहा कि अगर बच्चे के जोड़ों में दर्द और सूजन 6 सप्ताह से ज्यादा समय तक रहती है, तो तुरंत चिकित्सकीय जांच कराएं. जे.आई.ए. को जल्दी पहचानकर उसका इलाज शुरू किया जा सकता है. यह एक पुरानी स्थिति है, जिसका मतलब है कि यह महीनों और सालों तक रह सकती है.

इलाज
डॉ. बागड़ी ने बताया कि जे.आई.ए. को जड़ से खत्म करने की कोई दवा नहीं है, लेकिन इसका इलाज किया जा सकता है. इलाज का मेन उद्देश्य दर्द, थकावट और अकड़न को कम करना, जोड़ और हड्डी की खराबी को रोकना और शारीरिक गतिविधियों में सुधार करना है. पिछले 10 साल में बॉयोलॉजिक दवाओं की शुरुआत के साथ जे.आई.ए. के इलाज में काफी विकास देखने को मिला है. इसके अलावा, रोगियों को अल्पकालिक स्टेरॉयड और फिजियोथेरेपी भी दी जाती है.

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स्क्रीन टाइम और किडनी रोग
एम्स के बाल चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. पंकज हरि ने बताया कि छोटे बच्चों में किडनी रोगों की समस्या तेजी से बढ़ रही है. इसके पीछे स्क्रीन टाइम एक बड़ा कारण बनकर उभर रहा है. बच्चे घंटों मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर पर वीडियो गेम खेलते हैं और पेशाब आने पर उसे रोकते हैं, ताकि उनका मनोरंजन प्रभावित न हो. इस आदत से किडनी पर दबाव पड़ता है, जिसके कारण मूत्राशय की कमजोरी, मूत्र असंयम और गुर्दे की पथरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. 

Input- Mukesh Singh

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