Yamuna River: एक समय 58 सदस्यों के साथ शुरू हुआ अपर यमुना रिवर बोर्ड अब केवल दो सदस्यों तक सिमट चुका है. समय के साथ नए पदों पर नियुक्तियां नहीं हुईं, जिससे धीरे-धीरे कई पद समाप्त हो गए. अब संसदीय समिति ने इस पर गंभीर चिंता जताते हुए इन पदों को फिर से भरने की सिफारिश की है. केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने भी भरोसा दिलाया है कि जल्द ही कैडर पुनरीक्षण कर इन रिक्त पदों को भरा जाएगा.
बोर्ड की अहम जिम्मेदारी
अपर यमुना रिवर बोर्ड का मुख्य कार्य यमुना नदी के पानी का वितरण करना है. यह बोर्ड हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान के बीच जल आवंटन को सुचारू रूप से संचालित करता है. इसके साथ ही बोर्ड की जिम्मेदारी न्यूनतम जल प्रवाह बनाए रखने की भी है, जिससे यमुना का प्राकृतिक संतुलन बना रहे. हालांकि, नालों और सीवर की सफाई का कार्य राज्यों की जिम्मेदारी होती है, लेकिन जल आवंटन को लेकर होने वाले विवादों के समाधान की जिम्मेदारी अपर यमुना बोर्ड की होती है. जल संसाधन से जुड़ी संसदीय समिति ने हाल ही में बोर्ड में कर्मचारियों की भारी कमी को लेकर चिंता व्यक्त की थी.
कैसे खाली हुए पद?
जलशक्ति मंत्रालय के अनुसार बोर्ड सचिवालय के पदों को केंद्र और यमुना किनारे बसे राज्यों से प्रतिनियुक्ति के आधार पर भरा जाना था. वर्ष 1999 में 58 स्थायी पदों को स्वीकृति मिली थी. लेकिन 2015 में, पांच साल से खाली पड़े 36 पद समाप्त कर दिए गए. इसके बाद भी स्थिति नहीं बदली और 2020 तक 22 और पद रिक्त माने गए. इन पर भी नियुक्तियां न होने के कारण 17 और पद खत्म कर दिए गए.
फिलहाल केवल दो सदस्य
आज स्थिति यह है कि बोर्ड में केवल दो ही सदस्य कार्यरत हैं सदस्य सचिव और पर्यावरण विशेषज्ञ. मंत्रालय ने माना है कि प्रतिनियुक्ति के आधार पर अफसर और कर्मचारी नहीं मिल रहे हैं. इसलिए अब बोर्ड के पदों को स्थायी कैडर में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है. जलशक्ति मंत्रालय ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर कार्मिक मंत्रालय को भेजा है. यदि यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो बोर्ड में स्थायी पद सृजित किए जाएंगे, जिससे जल प्रबंधन और वितरण की प्रक्रिया को बेहतर तरीके से संचालित किया जा सकेगा.
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