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Delhi Assembly Session: दिल्ली में शराब पॉलिसी बदलने से हुआ 2002 करोड़ रुपये का नुकसान, CAG में बड़ा खुलासा

Delhi Assembly Session: दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार तो आबकारी नीति पर आधारित CAG रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट में शराब घोटाले से जुड़ी कई अहम जानकारियां दी गई हैं.

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Delhi Assembly Session: दिल्ली में शराब पॉलिसी बदलने से हुआ 2002 करोड़ रुपये का नुकसान, CAG में बड़ा खुलासा
Akanchha Singh|Updated: Feb 25, 2025, 01:35 PM IST
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Delhi News: दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार तो आबकारी नीति पर आधारित CAG रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट में शराब घोटाले से जुड़ी कई अहम जानकारियां दी गई हैं. विधानसभा में रिपोर्ट पेश करते हुए, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह रिपोर्ट पूर्व सरकार के कार्यकाल में हुए वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करती है. विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि पूर्व सरकार ने जानबूझकर सीएजी रिपोर्ट को दबा कर रखा था, ताकि इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक न किया जा सके. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से रोकने की कोशिश की थी, ताकि उनकी नीतियों के खिलाफ उठने वाली आलोचना को दबाया जा सके.

सीएजी रिपोर्ट में दिल्ली की आबकारी नीति के तहत हुई कथित अनियमितताओं का विवरण दिया गया है और यह आरोप लगाया गया है कि शराब बिक्री से जुड़े कई मामलों में नियमों का उल्लंघन किया गया था. सीएम रेखा गुप्ता ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए इसे विधानसभा में पेश किया और सरकार की ओर से आगे की कार्रवाई करने का संकेत दिया. वहीं जी दिल्ली एनसीआर के पास CAG रिपोर्ट कॉपी आ गई है. 

चुनिंदा कंपनियों को पहुंचाया गया फायदा
CAG रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में शराब के लाइसेंस जारी करने में कई अनियमितताएं सामने आई हैं. रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया है कि शराब के लाइसेंस केवल कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए दिए गए थे. इसके साथ ही, नई शराब नीति को एकाधिकार बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया था, जिसमें नियमों की अनदेखी की गई. फैसले और नीतियां तय करते समय कई जगहों पर नियमों का पालन नहीं किया गया और इसका फायदा केवल कुछ विशेष समूहों को हुआ. CAG रिपोर्ट ने इन मामलों को उजागर करते हुए इसे गंभीर वित्तीय अनियमितता करार दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक AAP सरकार के समय शराब नीति बदलने से 2002 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ.

दिल्ली सरकार को लगभग 890 करोड़ का हुआ घाटा 
CAG रिपोर्ट के मुताबिक, रिटेंडर प्रक्रिया के कारण दिल्ली सरकार को लगभग 890 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. इसके अलावा जोनल लाइसेंस जारी करने में छूट देने से राज्य को लगभग 940 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ शराब रिटेलर्स ने पॉलिसी समाप्त होने तक अपने लाइसेंस जारी रखे, जिससे सरकार को अतिरिक्त वित्तीय नुकसान हुआ. कुछ शराब खुदरा विक्रेताओं ने शराब नीति समाप्त होने तक अपने लाइसेंस का उपयोग किया, जबकि कुछ ने इन्हें समय से पहले ही वापस कर दिया. इसके अलावा, कोविड-19 के कारण लागू प्रतिबंधों के दौरान, 28 दिसंबर 2021 से 27 जनवरी 2022 तक शराब कारोबारियों को लाइसेंस शुल्क में 144 करोड़ रुपये की छूट दी गई. यह निर्णय सरकारी राजस्व पर अतिरिक्त दबाव डालने वाला साबित हुआ है.

सिक्योरिटी डिपॉजिट सही से नहीं हुआ इकट्ठा 
इसके अलावा, सिक्योरिटी डिपॉजिट सही से इकट्ठा नहीं करने के कारण सरकार को 27 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. शराब लाइसेंस के उल्लंघन के कारण भी सरकार को चपत लगी. दिल्ली एक्साइज नियम, 2010 के तहत नियम 35 को सही तरीके से लागू नहीं किया गया, जिससे न केवल सरकार को नुकसान हुआ बल्कि शराब व्यापार में अनियमितताएं भी सामने आईं. इसी के साथ, मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल में दिलचस्पी रखने वाले कारोबारियों को गलती से व्होलसेल लाइसेंस दिए गए, जिससे शराब की पूरी सप्लाई चेन में कुछ खास कारोबारियों को फायदा हुआ. इससे व्होलसेल मार्जिन पांच फीसदी से बढ़कर 12 फीसदी हो गया. दिल्ली सरकार द्वारा शराब जोन चलाने के लिए 100 करोड़ रुपये की आवश्यकता थी, लेकिन इस पर कोई जांच नहीं की गई, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ा.

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